अमेरिकन स्टेक और आमलेट डोसा / जयप्रकाश चौकसे

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अमेरिकन स्टेक और आमलेट डोसा
प्रकाशन तिथि : 18 जुलाई 2013


'भाग मिल्खा भाग' के एक सप्ताह बाद निखिल आडवाणी की 'डी- डे' का प्रदर्शन होने जा रहा है और दोनों फिल्मी कहानियों की नाल पाकिस्तान में गड़ी है। दोनों में ही देशप्रेम की भावना है, परंतु इसके अतिरिक्त उनमें कोई समानता नहीं है। राकेश ओमप्रकाश मेहरा की 'भाग मिल्खा भाग' सत्य घटना पर आधारित है और निखिल आडवाणी की फिल्म काल्पनिक है। ओसामा बिन लादेन की पाकिस्तान में हत्या के कारण निखिल को यह विचार आया कि हिंदुस्तानी भी पाकिस्तान जाकर दाऊद इब्राहीम को उठा लाएं। अमेरिका की आर्थिक सहायता से पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ सेना सजाई है और अमेरिका के साथ उनका मैत्री करार भी है तथा अफगानिस्तान में अमेरिकन सेना को सारी रसदपाकिस्तान के रास्ते भेजी जाती रही है तथा हर समय अमेरिकन वायुसेना के जहाज और कुछ सैनिक पाकिस्तान में मौजूद रहते हैं। यह भी मुमकिन है कि पाकिस्तान की अमेरिकापरस्त सेना के कुछ लोगों ने खामोश तरीके से उनकी सहायता की हो।

बहरहाल, निखिल की फिल्म में ऋषि कपूर दाऊद बने हैं और इरफान खान, अर्जुन रामपाल, हुमा कुरैशी और श्रीस्वरा के साथ अन्य कलाकार भी हैं तथा एक्शन दृश्यों के लिए हॉलीवुड के विशेषज्ञों की सेवा ली गई है। निखिल प्रतिभाशाली हैं और अनुभवी भी हैं, परंतु करण जौहर का साथ छोडऩे के बाद कोई कामयाब फिल्म नहीं बना पाए हैं। इसका यह अर्थ नहीं कि धर्मा प्रोडक्शन के लिए उनकी बनाई फिल्म 'कल हो न हो' करण जौहर ने बनाई है, जैसे यह भी ठीक नहीं कि 'कुछ कुछ होता है' और 'कभी खुशी कभी गम' करण के दाहिने हाथ की तरह काम करने वाले निखिल आडवाणी ने बनाई है वरन वे दोनों तो अलग भी इसलिए हुए कि किसी एक पटकथा पर उनमें गहरा मतभेद हो गया था। निखिल के लिए यह फिल्म 'करो या मरो' के समान चुनौती है।

करण जौहर ने 'अग्निपथ' के नए संस्करण में ऋषि कपूर को कसाई खलनायक की भूमिका के लिए बड़ी कठिनाई से तैयार किया था, परंतु उनके अभिनय को इसमें खूब सराहा गया। उन्हें अभिनय के लगभग ४५ वर्षों का अनुभव है। 'मेरा नाम जोकर' के पहले काव्यमय भाग में उन्होंने किशोर वय के राज कपूर की भूमिका की थी और उसके लिए राष्ट्रीय पुरस्कार भी पाया था। अमिताभ बच्चन की आंधी से लेकर शाहरुख खान के आगमन तक ऋषि कपूर ने अपनी जमीन नहीं छोड़ी और 'प्रेमरोग' तथा 'दामिनी' जैसी नायिकाप्रधान फिल्मों में अपने अभिनय से दर्शकों को प्रभावित किया।

बहरहाल, 'अग्निपथ' में उनकी अभिनीत भूमिका करीम लाला से प्रेरित थी, तो अब इसमें वे दाऊद इब्राहिम से प्रेरित पात्र कर रहे हैं। फिल्म के लिए उनकी वेश-भूषा तथा चाल-ढाल भी दाऊदनुमा है। कुछ ही सप्ताह पश्चात एकता कपूर की 'वन्स अपॉन ए टाइम' के भाग दो में अक्षय कुमार दाऊद प्रेरित पात्र अभिनीत कर रहे हैं, जिसे भाग एक में इमरान हाशमी ने निभाया था। दरअसल, दाऊद मुंबई के एक गरीब कांस्टेबल का बेटा था, गोया कि पिता कानून की तरफ खड़े और बेटा जुर्म की दुनिया में शामिल हो गया। सलीम-जावेद की 'शक्ति' में भी आईजी का बेटा जुर्म की दुनिया में शामिल हो जाता है। यही कहानी १९८२ में प्रदर्शित 'शक्ति' के लगभग तीन दशक पूर्व अशोक कुमार अभिनीत 'संग्राम' की थी, परंतु सलीम-जावेद ने रिश्ते को पैनी धार दी थी, जिसके लिए अफसर की पत्नी और अपराधी की मां के चरित्र में राखी ने अच्छा अभिनय किया था। सलीम-जावेद की मिक्सी में पिसकर मसाले मौलिक हो जाते थे।

बहरहाल, इस फिल्म में एक ऐसा चरित्र प्रस्तुत किया गया है, जो पाकिस्तान में दस वर्ष से बसा है, परंतु वह दाऊद के अपहरण की योजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है अर्थात इस काल्पनिक कथा में योजना बहुत चतुराई से बनाई गई है और चार भारतीय पाकिस्तान में मौजूद हैं। इसकी बुनावट में तनाव और एक्शन गूंथे हुए लगते हैं। इस तरह के थ्रिलर अमेरिका में अनेक बार बनाए गए हैं। यूं भी अपराध कथा पर फिल्में सबसे पहले वहीं बनना प्रारंभ हुईं। संगठित अपराध का जन्म भी वहीं हुआ।

इस फिल्म में ऋषि कपूर और इरफान खान आमने-सामने हैं और दोनों की अभिनय शैली भिन्न है, परंतु दोनों का अपने काम के प्रति समर्पण एक-सा है। ऋषि कपूर ने विभिन्न शैलिों के व्यावसायिक निर्देशकों के साथ काम किया है। दूसरी ओर, इरफान खान ने विदेशी फिल्मों में भी काम किया है और 'द नेमसेक', 'स्टोरी ऑफ पाइ' इत्यादि में वे खूब सराहे गए हैं। इरफान खान मैथड स्कूल के कलाकार हैं, जबकि ऋषि कपूर अभिनय में आशु कवि की तरह हैं। वे त्वरित अभिनेता हैं। इरफान द्वारा अभिनीत पात्र के लिए उनके पास कोई रिफरेंस पॉइंट नहीं है, परंतु ऋषि कपूर को दाऊद इब्राहिम का चरित्र निभाना है और रिफरेंस सामने है। अपनी पहली फिल्म 'मेरा नाम जोकर' मेें रिफरेंस स्पष्ट था। दरअसल, तुलना तो अक्षय कुमार अभिनीत दाऊद और ऋषि कपूर अभिनीत दाऊद की संभव है। बहरहाल, इरफान को ऋषि कपूर आश्चर्यचकित कर सकते हैं। इस फिल्म के साथ प्रभुदेवा की 'रमैय्या वस्तावैय्या' भी प्रदर्शित हो रही है, परंतु निखिल और उनकी शैलियां अलग-अलग हैं। प्रभुदेवा की मसाला फिल्में आमलेट डोसा की तरह हैं और निखिल आडवाणी की स्टेक की तरह। बहरहाल, दर्शक अपना निर्णय देंगे और उनकी पसंद का ऊंट किस करवट बैठता है, यह तो रेगिस्तान भी नहीं बता सकता।