अमेरिकी उपन्यास स्पार्टाकस
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आठ मई को वर्ल्ड मदर्स डे है
पश्चिम वालों ने हर दिन किसी न किसी के नाम कर रखा है ठीक वैसे ही जैसे हमने अपने कैलेंडर में हर दिन किसी न किसी देवता के नाम कर रखा है। कोई न कोई व्रत या त्यौहार हर दिन मिल ही जायेगा। फिलहाल बात मां के दिन की।
बहुत पहले की पढ़ी एक कहानी याद आती है कि किस तरह एक प्रेमी अपनी प्रेमिका का दिल जीतने के लिए मां का कलेजा चीर कर भाग कर जाता है ताकि जल्दी से प्रेमिका के पास पहुंच कर उसे मां का कलेजा भेंट कर सके। प्रेमी हड़बड़ी में ठोकर खा कर गिरता है। मां के कलेजे से आवाज़ आती है – बेटे, चोट तो नहीं लगी। पहली नज़र में हर पाठक को ये कहानी भारतीय ही लगेगी। अपनी मां तो जहान में सबसे बड़ी और त्यागमयी मां।
लेकिन ये किस्सा है 1932 में नोबल पुरस्कार से सम्मानित अमेरिकी लेखक हावर्ड फास्टी के उपन्यास स्पार्टाकस का। मां तो मां ही होती है। तेरी हो या मेरी। हर मां ममतामयी और त्यागमयी।
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