अमोल पालेकर, डेनमार्क और हैमलेट / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 20 नवम्बर 2019
आने वाले 24 नवंबर को अभिनेता और फिल्मकार अमोल पालेकर अपना पचहत्तरवां जन्मदिन रंगमंच पर मनाएंगे। वे अपनी पत्नी संध्या गोखले के लिखे नाटक में अभिनय करेंगे। संध्या गोखले ने डेनमार्क में बनी एक फिल्म से प्रेरित होकर नाटक लिखा है। ज्ञातव्य है कि महाराष्ट्र में नाटक भी इसी काम के लिए बने सेंसर को दिखाकर ही मंचन की अनुमति लेनी होती है। गोयाकि भारत महान में पग-पग पर सेंसर के मेग्नीफाइंग ग्लास से गुजरना होता है। गणतंत्र का महान आदर्श पानी की तरह है, जिस बर्तन, मग या ग्लास में रखें, उसी आकार का हो जाता है। गौरतलब है कि अमोल पालेकर पच्चीस वर्ष बाद रंगमंच पर वापसी कर रहे हैं।
अमोल पालेकर एक बैंक में कार्य करते थे। शनिवार-इतवार को वे नाटक में अभिनय करते थे। फिल्मकार बासु चटर्जी ने उन्हें फिल्मों में अभिनय करने का अवसर दिया था। इसके बाद मध्यम वर्ग के जीवन की कठिनाइयों को प्रस्तुत करने वाली मनोरंजक फिल्में बनने लगीं। अमोल पालेकर और उत्पल दत्त अभिनीत ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्म 'गोलमाल' अत्यंत सफल रही। बाद में 'गोलमाल' टाइटल की शृंखला भी बनी और अजय देवगन ने इनमें विश्वसनीय अभिनय किया। 'गोलमाल' द्वारा ही वे एक्शन फिल्मों से हास्य फिल्मों में प्रवेश कर गए।
बहरहाल, संध्या गोखले का नाटक पढ़ने के बाद अमोल पालेकर ने अभिनय करने का निश्चय किया। पत्नी का हुक्म अनुरोध के स्वरूप में सामने आता है और दुनिया का कोई भी महारथी इसे टाल नहीं पाता है। कुछ लोग ये भी कहते हैं कि वे अपनी पत्नी की आज्ञा से ही घर में हुकूमत करते हैं। पत्नियों पर व्यंग्य, महिलाओं को दोयम दर्जे के नागरिक बनाए रखने के षड्यंत्र का ही हिस्सा है। शासक शासित भूमिकाओं में उलटफेर का एक बड़ा लुभावना खेल रहा है। बैंक से कॅरियर प्रारंभ करके अमोल पालेकर रंगमंच से गुजरते हुए फिल्मों में अभिनय करते-करते फिल्म निर्देशक भी बन गए। राजस्थान के महान लेखक विजय दान देथा की कहानी से प्रेरित फिल्म पहेली अमोल पालेकर ने निर्देशित की थी। कथा में लालची पिता की आज्ञा से रीढ़हीन पुत्र विवाह के तुरंत बाद धन कमाने के लिए दूर बसे स्थान पर जाता है। उसे गए बहुत अधिक समय हो चुका है। पत्नी की ननद पत्नी को मंदिर चलकर प्रार्थना करने को कहती है तो पत्नी कहती है कि जो पति प्रेम के लिए नहीं आया, वह प्रार्थना से क्या लौटेगा? ज्ञातव्य है कि यात्रा पर गए पति का रूप धारण करके एक भूत उसके घर आता है। क्या मानव शरीर धारण किया भूत पति, पत्नी के साथ अंतरंगता स्थापित कर सकता है? इसी कथा के एक स्वरूप में इस तरह की अंतरंगता से प्राप्त पुत्री का नाम 'उजाली' रखा जाता है। शरीर और शरीरहीनता में भी अंतरंगता स्थापित हो सकती है?
सर रिचर्ड बर्टन की किताब 'बॉडी एंड सोल' में भी इसी तरह की अंतरंगता का विवरण दिया गया है। इस उपन्यास का नायक पानी के जहाज पर काम करता है और महीनों पत्नी से दूर रहता है। जहाज के केबिन में वह इतनी शिद्दत से पत्नी को याद करता है कि पत्नी की सशरीर मौजूदगी से वह अंतरंगता स्थापित करता है। अपने मित्रों को बिस्तर पर पड़ी सिलवटें दिखाता है। ये सिलवटें एक इबारत की तरह पढ़ी जा सकती हैं। उम्रदराज लोगों के चेहरे पर आई झुर्रियां भी ऐतिहासिक इबारत ही होती हैं। प्रकृति जगह-जगह लिखती है और मनुष्य ही उसे पढ़ नहीं पाता। यहां तक कि आगामी दो या तीन वर्षों में आने वाली वैश्विक आर्थिक मंदी की चेतावनी भी हमारे हुक्मरान पढ़ नहीं पा रहे हैं।
बहरहाल, श्रीमती संध्या गोखले ने डेनमार्क में बनी फिल्म से प्रेरित नाटक लिखा है। क्या नायक शेक्सपीयर के अमर पात्र हैमलेट की तरह दुविधा का शिकार होगा? वह निश्चय नहीं कर पाता कि अपनी माता और उनके प्रेमी अपने चाचा द्वारा मारे गए अपने पिता की हत्या का बदला चाचा और माता की हत्या करते ले या नहीं? हर आम आदमी अपने जीवन में किसी न किसी तरह की दुविधा का सामना करता है। असमान जीवन संग्राम का यह निहत्था सैनिक बड़ा साहसी व्यक्ति है। कहावत है कि प्रिंस हैमलेट के अनुपस्थित होने पर डेनमार्क भी डेनमार्क बना नहीं रह पाता। इसी तरह संसद गढ़ने वाला आम आदमी संसद में अदृश्य ही बना रहता है। वह सदियों से हाशिये पर पड़ा है।