अयान मुखर्जी और रणबीर कपूर का ब्रह्मास्त्र / जयप्रकाश चौकसे

Gadya Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
अयान मुखर्जी और रणबीर कपूर का ब्रह्मास्त्र
प्रकाशन तिथि :17 अक्तूबर 2017


फिल्म उद्योग के पुराने घराने हैं मुखर्जी और कपूर। इन घरानों के युवा रणबीर और अयान 'वेक अप सिड' और 'ये जवानी है दीवानी' फिल्में प्रस्तुत कर चुके हैं। 'वेक अप सिड' ने रुपए पर चार आने कमाए थे परन्तु 'ये जवानी है दीवानी' चार गुना अधिक मुनाफे की फिल्म थी। खबर आई थी कि अयान मुखर्जी रणबीर कपूर के साथ विज्ञान फंतासी बनाने वाले हैं परन्तु लेखन के स्तर पर उन्हें लगा कि कुछ बात नहीं बन रही है। अब उन्होंने वर्तमान कालखंड में घटित होने वाली एक प्रेम कहानी रची है परन्तु उसमें पौराणिक कथाओं के संदर्भ हैं, इसलिए फिल्म का नाम 'ब्रह्मास्त्र' रखा है। ज्ञातव्य है कि कर्ण ने ब्रह्मास्त्र घटोत्कच के वध में प्रयोग किया था अन्यथा कुरुक्षेत्र का परिणाम कुछ और होता। याद आता है कि श्याम बेनेगल ने महाभारत प्रेरित कथा को इसी तरह 'कलयुग' के नाम से बनाया था। सामूहिक अवचेतन आख्यानों से प्रेरित है और वैचारिक आधुनिकता इसके पथरीले किनारों से अपना सिर टकराती रहती है।

आमिर खान भी वर्षों से महाभारत प्रेरित फिल्म बनाने का सपना संजोये बैठे हैं। इस पवित्र क्षेत्र में करण जौहर ने भी घुसपैठ करने का प्रयास किया था। उन्होंने एक उपन्यास के अधिकार खरीदे थे। कुछ लेख पौराणिकता को विज्ञान फंतासी के अंदाज में लिखकर लोकप्रियता अर्जित कर रहे हैं परन्तु शोध का अभाव है। गहराई में उतरने की चाह भी नहीं है। सतही माल बिक रहा है और बाजार भी यही चाहता है। गहराई से परहेज सभी के लिए सुविधाजनक है। सुविधा बाजार, साहित्य कला इत्यादि क्षेत्रों में निर्णायक सिद्ध हो रही है। फिल्मकार गुरुदत्त के अभिन्न मित्र अभिनेता रहमान और जॉनी वॉकर थे। निहायत ही संजीदा गुरुदत्त और हंसोड़ कलाकार जॉनी वॉकर बहुत गहरे मित्र थे। मित्रता हो या प्रेम, उनके लिए वैचारिक समानता अनिवार्य नहीं है। दिल और उसका सनकीपन रिश्तों में सीमेंट का काम करता है। राज खोसला और धर्मेन्द्र गहरे मित्र रहे हैं। महेश भट्‌ट और विनोद खन्ना एक दौर में आचार्य रजनीश के कारण नजदीक आए थे। अजय देवगन और रोहित शेट्‌टी अभिन्न मित्र हैं और उनके पिताओं में भी खूब गहरी छनती थी। इस तरह की मित्रता में धर्म संकट इस तरह आता है कि अयान मुखर्जी रणबीर कपूर की अंतरंग मित्र दीपिका पादुकोण और कैटरीना कैफ से अब मिलते रहें या लॉयल्टी नामक भावना के तहत, अयान मुखर्जी भी अब दीपिका व कैटरीना कैफ से किनारा कर लें? रिश्तों की चाशनी में मित्रता की तितली के पंख चिपक जाते हैं और उसकी उड़ान सीमित हो जाती है। इसी तरह का एक प्रसंग इंग्लैंड के प्रिंस हैनरी व बैकेट का है। दोनों अभिन्न मित्र रहे परन्तु राजा होते ही उसने बैकेट को चर्च का उच्चतम पद दिया। इसके बाद वे एक-दूसरे के विरोधी हो गए क्योंकि बैकेट स्वयं को ईश्वर का प्रतिनिधि मानता है। चर्च के अधिकारों को सीमित करने के प्रयास से दोनों मित्र अब एक-दूसरे के विरोध में खड़े हैं। अंग्रेजी भाषा में बनी फिल्म बैकेट में हैनरी की भूमिका रिचर्ड बर्टन ने और चर्च के अधिकारी की भूमिका पीटर ओ'टूल ने अभिनीत की थी। इसी से प्रेरित ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्म 'नमक हराम' में अभिनेता अमिताभ बच्चन और राजेश खन्ना टकराए थे। ज्ञातव्य है कि 'नमक हराम' के पहले राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन गहरे मित्र थे। फिल्म 'अभिमान' का निर्माण भी उसी दौर में हुआ था। परदे पर निभाई गई भूमिकाएं घर से शुरू होकर मित्रता के भवन को भी तोड़ देती हैं। आज सलमान खान और आमिर खान गहरे मित्र हैं परन्तु अब वे दोनों एकसाथ फिल्म नहीं कर सकते जैसा कि उन्होंने राजकुमार संतोषी की फिल्म 'अंदाज अपना अपना' में किया था। सूर्यउदय के समय आप सूर्य को देख सकते हैं परन्तु दोपहर के सूर्य को नहीं देखा जा सकता। आंखें चौंधिया जाती हैं। संतोषी की फिल्म उनके सूर्योदय काल की फिल्म थी।

पृथ्वीराज कपूर और फिल्मकार विश्राम बेडेकर गहरे मित्र थे परन्तु विश्राम बेडेकर के पास प्राय: धन की कमी रहती थी। रुस्तम सोहराब की शूटिंग के समय पृथ्वीराज कपूर ने विश्राम बेडेकर को कहा कि आज उन्हें दस हजार की किश्त अवश्य चुकाएं। यारी दोस्ती में बहुत काम मुफ्त में करा लिया। उनकी मांग के अनुरूप लंच विश्राम के बाद उन्हें उनकी किश्त मिल गई और पृथ्वीराज प्रसन्न थे कि थोड़ी सी सखती काम कर गई। शूटिंग समाप्त होने के बाद पृथ्वीराज कपूर घर लौटे तो उनकी पत्नी ने पूछा कि दस हजार का क्या काम आ गया था जो तुमने विश्राम को घर पहुंचाकर पैसे मंगवाए? पृथ्वीराज अपना सिर पकड़कर बैठ गए परन्तु शीघ्र ही उन्हें हंसी आ गई। उन दिनों वे माटुंगा के फाइव गार्डन्स के निकट रहते थे। उसी मोहल्ले में रमेश सहगल व अनेक फिल्म बिरादरी वाले अन्य लोग भी रहते थे। विश्राम बेडेकर ने सभी को अपनी करतूत सुना दी थी। नतीजा यह हुआ कि सारे मित्र आ गए और उन्होंने पृथ्वीराज कपूर से दावत खिलाने का आग्रह किया क्योंकि उन्हें एक मोटी किश्त जो मिली थी। उस दौर के दुश्मन आज के दौर के दोस्तों से अधिक भले लोग थे।