अलका प्रमोद / परिचय
अलका प्रमोद की रचनाएँ |
नाम: अलका प्रमेाद
माता: श्रीमती सन्तोष डींगर (अवकाष प्राप्त अघ्यापिका)
पिता: श्री कृष्णेष्वर डींगर (अवकाष प्राप्त वरिष्ठ लेखाधिकारी एवं वरिष्ठ साहित्यकार)
पति: श्री प्रमोदकुमार पाण्डेय (संयुक्त सचिव ,उ०प्र०पा०का०लि०)
लखनऊ में जन्म। शिक्षा केजी से इण्टर तक "सन्त अंथेानी कान्वेन्ट गर्ल्स इण्टर कालेज" से बी०एस०सी० "इवनिंग क्रिष्च्यिन कालेज" से तथा एम०एस०सी० "इलाहाबाद विश्वविद्यालय" से। स्नातकोत्तर डिप्लोमा पत्रकारिता तथा कम्प्यूटर। कालेज के जीवन से कालेज पत्रिका आदि में लेखन तथा आकाशवाणी के युववाणी कार्यक्रम में प्रसारण। वर्ष 1992 से निरंतर अनेक पत्र-पत्रिकाओं में लेखन तथा आकाशवाणी लखनऊ एवं इलाहाबाद से प्रसारण।
जहां तक मेरी रचना यात्रा का प्रश्न है मेरा सर्जन के प्रति कब रुझान हुआ और मैंने कब लिखना प्रारम्भ किया यह मुझे भी नहीं पता। जैसे कब मैंने चलना सीखा कब स्वयं खाना नहीं पता, संभवतः उसी प्रकार मेरे मन के उद्गार कल्पना के रंगों के मेल से कोरे कागज स्वमेव रंगने लगे। पढ़ना बचपन से मेरा एकमात्र सबसे प्रिय व्यसन रहा है जिसने मेरी कल्पनाओं को दिशा दी और कहानियां जन्म लेने लगीं। मेरी कहानियां भी कहीं न कहीं अपने आसपास की घटती घटनाओं के मन पर अंकित हस्ताक्षरों और कल्पना का समावेष हैं। जीवन की ऊंची-नीची राह पर कभी रंग-बिरंगे पुष्पों की वर्षा मन को खुशियों से भिगो जाती है तो मन उन्हे बांटने के लिये पन्नों को रंग देता है तो कभी मन पर षूल चुभने के दर्द से साक्षात्कार, कहानी में ढल जाता है। जब भी कहीं कोई विचार मेरे मन को उद्वेलित करता है, तो उद्गार कल्पना के रंगों में रंग कर कहानी का स्वरुप धारण करते हैं। हम सामाजिक प्राणी हैं तो कालचक्र के प्रहार से समाज के निरंतर बदल रहे कलेवर के साथ साथ हमारा बदलाव भी अवश्यम्भावी है। हमारी विचारधारा भी नित्य नई दिशा में बह रही है जो हमारी कहानियों के माध्यम से संप्रेषित हो रही है और कहानियों में भी समय के साथ साथ बदलाव आ रहा है। हाँ अपने लेखन में मैं इतना सतर्क रहने का प्रयास अवश्य करती हूँ कि मेरी रचनाओं में समाज का सच तो परिलक्षित हो पर उसमें समाज का अहित न हो। यथार्थ की आंच इतनी तीव्र न हो कि सकारात्मकता झुलस जाए.