अलसभोर तक शराब खाबो और भोजन पियो / जयप्रकाश चौकसे

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अलसभोर तक शराब खाबो और भोजन पियो
प्रकाशन तिथि :17 फरवरी 2017


पंद्रह फरवरी को राज कपूर के ज्येष्ठ पुत्र रणधीर कपूर का जन्मदिवस उनके चेम्बुर स्थित निवास पर मनाया गया। रेखा अपनी मित्र एवं सचिव फरजाना के साथ पधारीं और कोई पंद्रह मिनट पश्चात अमिताभ बच्चन आए। दोनों की नज़रें मिलीं परंतु वे मीडिया से बचते हुए दो विपरीत दिशाओं में मेहमानों से मिलते हुए नज़र आए परंतु नज़र बचाकर कनखियों से एक-दूसरे को निहारते रहे गोयाकि नज़रों के पुल पर यादों की जुगाली में लीन रहे। दोनों ही इतने प्रवीण कलाकार हैं कि नज़रों का खेल मौजूद मेहमानों को नज़र ही नहीं आया। 'दिल की नज़र से नज़रों के दिल से ये बात क्या है कोई हमें बता दे,' यह राज कपूर अभिनीत 'अनाड़ी' फिल्म का गीत है।

गौरतलब यह है कि रेखा की अंतरंग सचिव फरज़ाना और अमिताभ बच्चन के कपड़े काफी समानता रखते थे। क्या रेखा ने यह अनुमान लगा लिया था कि अमिताभ किस तरह की पोशाक पहनकर जलसे में शरीक होंगे? रेखा और अमिताभ बच्चन ने जितनी फिल्में साथ-साथ अभिनीत कीं हैं, लगभग उतनी ही फिल्में रणधीर कपूर और रेखा ने भी साथ-साथ अभिनीत की हैं और वे एक-दूसरे के अच्छे मित्र रहे हैं। यह बात इस तथ्य से भी स्पष्ट होती है कि रणधीर कपूर ने अपनी निर्माण व निर्देशित फिल्म 'धरम करम' में रेखा को ही बतौर नायिका लिया था। इस दावत में रणधीर कपूर की पत्नी बबीता भी अपनी दोनों बेटियों करिश्मा व करीना के साथ आई थीं और करीना के साथ उनके पति सैफ अली खान भी मौजूद थे।

रेखा के नायक रहे जितेंद्र और राकेश रोशन भी दावत में मौजूद थे और रेखा उनसे बड़ी गर्मजोशी से मिलीं परंतु हर किसी से मुलाकात के समय नज़रों का मिलन कनखियों द्वारा जारी रखे हुए थी। अगर नज़रों का भी उदर होता है तो कहेंगे जमकर भोजन किया गया जैसे अनुष्ठानों में पुरोहित करते हैं। लोकप्रिय कथन है कि बामन को हर लड्‌डू खाने के पहले एक श्लोक बोलना होता है। इस तरह जमकर खाया भी जाता है और बहुत वक्त बिताने के लिए जायज कारण भी मिल जाता है। भक्ति और भूख का भी रिश्ता है, इसलिए कहते हैं कि भूखे पेट न हो भजन की अदाएगी। हमारे भारत महान में अधिकतर लोग पेट से विचार करते और मस्तिष्क से खाते हैं। इस महान प्रचारित विकासकाल में भूख से मरने वाले शिशुओं के आंकड़े भी प्रकाशित हुए हैं और साधनों की बहुलता वाले प्रांतों में ही भूख से मरने वाले बच्चों की संख्या अधिकतम है। यह सारे विरोधाभास समझने के लिए कबीर की उलटबासियों को अवश्य पढ़ें।

दावत में शरीक हर आदमी कृष्णा राज कपूर के प्रति आदर अवश्य प्रकट करता था। उम्र के छियासवें वर्ष में भी उनके चेहरे की दमक किसी महारानी से कम नहीं है। आत्मा का ताप इसी तरह अभिव्यक्त होता है। जब वे अपनी बहुओं बबीता व नीतू के सहारे सभी मेहमानों की मिजाजपुर्सी कर रही थीं तो यह महसूस होता है कि राज कपूर अपनी भव्य दावतों के लिए किसके दमखम पर लोकप्रिय थे। इसी तरह की एक दावत में नरगिस दत्त भी अपने पति और पुत्र के साथ आई थीं और उन्हें न्योता देने ऋषि कपूर गए थे। उस यादगार अवसर पर ही कृष्णा कपूर ने नरगिस को आश्वस्त किया था कि वे अपने दिल में कोई अपराध बोध नहीं रखें, क्योंकि प्राय: अपराध बोध मिथ्या होते हैं और मन को मथकर रख देते हैं। कृष्णा कपूर अपने पति के आशिक व आवारा मिज़ाज से वाकिफ थीं। वे लोगों को मंत्रमुग्ध करने की कला में पारंगत थे।

चेम्बुर के इस बंगले के पड़ोस में ही एक गर्ल्स होस्टल है, जिसकी बालकनी से कन्याएं दावत में शरीक कलाकारों को देखती हैं और मनपसंद कलाकार के लिए तालियां भी बजाती हैं। कृष्णा कपूर इन कन्याओं के लिए टिफिन भरकर व्यंजन भी भेजती हैं और वे चटखारे लेकर भोजन करते हुए सितारों को निहारती भी हैं। किसी सितारे के आने पर उनकी बजाई हुई तालियां सितारे की लोकप्रियता को भी जाहिर करती हैं। सबसे अधिक तालियां युवा रणवीर कपूर के आगमन पर बजाई गईं और उसकी मां नीतू कपूर, उसकी बड़ी बहन की तरह ही सलोनी नज़र आ रही थीं। ऋषि कपूर की आत्म-कथा 'खुल्लम खुल्ला' के लिए उन्हें सभी ने बधाई दी।

जन्म दिवस पर काटे जाने वाले केक को जॉनी वॉकर ब्लैक लेबल की बोतल के आकार में बनाया गया था, क्योंकि सारे कपूरों का यह प्रिय पेय है गोयाकि यह पेय पेय नहीं कोई खाद्य है। भारत में केवल ंगाली भाषा में ही कहते हैं, 'अमी जोल (जल) खाबों' और उसी तर्ज पर हर कपूर दावत की तरह इस बार भी अलसभोर तक 'शराब खाबो' और 'भोजन पिया' जाता रहा।