अवचेतन में कहीं / महेश कुमार केशरी
नाहट को लड़कियाँ शुरू से पसंद थीं l जब वह दस साल का था तब से ही l जब वह क्लास दो तीन में था l तब से ही l ये उसका पहला स्कूल था l वह स्कूल एक मिशन का था l और वहाँ , फादर पढ़ाते थें l वहाँ का यूनिफार्म बैंगनी टी - शर्ट और गुलाबी पैंट था लड़कियों के बारे में उसे शुरू से ही उत्सुकता रहती थी l उसे लंबी छरहरी और मादक छातियों वाली लड़कियाँ शुरू से ही पसंद थीं l दिव्या लंबी छरहरी और बड़ी - बड़ी दूधिया छातियों वाली थी l उसके डिंपल आते थें l वह , उससे उम्र में भी बहुत बड़ी थी l मैच्योर
लड़कियाँ और डिंपल वाली लड़कियाँ नाहट को बहुत आकर्षित करतीं थीं l नाहट ने अपना पहला प्रेम पत्र भी दस साल की उम्र में लिखा था l संयोग से ये लेटर उसके बक्से में पकड़ लिया गया था l तब नाहट को घर में बहुत मार पड़ी थी l बाद में उसका बचाव उसकी माँ ने उसके पिता से यह कहकर किया था l कि ये लेटर नाहट ने नहीं बल्कि, उसके दोस्त नरकष ने लिखा है l इस तरह वह उस दिन बच गया था l उसकी स्कूल में वर्षा नाम की एक लड़की पढ़ती थी l वह , बहुत पतली और लँबी थी l पतली और लंबी लड़कियाँ नाहट को शुरू से ही पसंद नहीं थी l उसको ऐसी लड़कियाँ शुरू से ही पसंद थीं l जो शरीर से मोटी - ताजी और जिनक चेहरे भरे - भरे होते थें l ऐसी लड़कियाँ उसको पसंद थी l नाहट को कई बार उसके मोहल्ले की एक दलित औरत ने बाथरूम में जेनिफर के साथ पकड़ा था l उसकी माँ कहती अब बहुत हुआ l तुम्हारा
"वह" कटवा दूँगी l लेकिन, नाहट को इन सब बातों से कोई मतलब नहीं था l जेनिफर का शरीर भरा - भरा था l उसके गाल संतरे की तरह मोटे - मोटे थें l लेकिन वह साँवली थी l उसकी छातियाँ भी उस समय नहीं थी l लेकिन, जेनिफर , नाहट को अच्छी लगती थी l जेनिफर का बाप रँडवा था l उसने दूसरी शादी की थी l ये बात उसने जेनिफर को बताई थी l सचमुच वह उदास करने वाली एक शाम थी l नाहट को लगा था कि कहीं जेनिफर अपने
घर में जाकर ये सब बातें ना बता दे l कि उसका बाप रँडुआ है l खैर , जेनिफर ने अपने घर में कुछ नहीं बताया l और इस तरह नाहट पिटते - पिटते बच गया था l जेनिफर में नाहट को एक मादकता हमेशा से लगती थी l वह और लड़कियों से हटकर थी l वह , मैच्योर भी थी l उसे शुरू से अपने से बहुत बड़ी उम्र की लड़कियाँ पसंद थीं l
उसका बाप फल बेचता था l गर्मियों में उनके यहाँ आम आता था l म ई - जून में उसके घर पर बचे हुए आमों से अमावट बनती थी l जेनिफर उसको अमावट ख़ूब खिलाती थी l और अमावट की तरह उसके होंठ भी मीठे थें l जेनिफर उससे दो साल सीनियर थी l बावजूद इसके वह दोनों अच्छे दोस्त थें l ये बहुत बाद की बात है l नाहट के घर से थोड़ी ही दूरी पर एक टूटा हुआ पुराना स्कूल था l स्कूल
सुबह दस से चार तक चलता था l नाहट ने जानबूझकर चार बजे के बाद का समय चुना था l ठीक छट्टी के बाद वाला l ताकि , वह जेनिफर को अच्छे से प्यार कर सके l
एक बार नाहट ने जेनिफर को प्रेम करने के लिये उस टूटे हुए स्कूल में बुलाया था l वह लोग अभी प्रेम करने की शुरूआत कर ही रहें थें l कि असलम आ गया l असलम , नाहट का पड़ोसी और दोस्त था l और रँग में भँग पड़ गया l उसका पहला एडमिशन एक मिशनरी वाले स्कूल में हुआ था l उसमें फादर पढ़ाते थें l फादर , बड़े गुस्सैल स्वभाव के थें l जब वह छड़ी से मारते l तो पीठ पर लँबे - लँबे निशान पड़ जाते l नाहट की माँ इस तरह की मार - पिटाई की शिकायत लेकर अक्सर स्कूल में जाती और फादर से कंप्लेन करती l नाहट का घर और मिशनरी का स्कूल आसपास था l घर से , स्कूल की घँटी की आवाज़ साफ़ सुनाई पड़ती थी l नाहट खाने की मेज पर बैठा होता l और सुबह का नाश्ता कर रहा होता l लेकिन, जैसे ही स्कूल की घँटी बजती l नाहट नाश्ता छोड़कर भाग खड़ा होता था l
फादर बड़ा खडूस टाईप का था l हमेशा चिड़चिड़ा टाईप का रहता l बच्चों से ख़ूब चिढ़ता l
फादर आदिवासी से कंर्वट हुआ ईसाई था l उनका स्कूल कुल चार कमरों का था l उसका स्कूल सीढ़ियों से चढकर दो मँजिले पर था l सीढ़ियाँ ख़त्म होते ही स्कूल के सामने का आॅफिस था l उसके फादर , चूँकि आदिवासी से कंर्वट हए थें l इसलिए नाहट की हेड मिस सिंदूर लगातीं थीं l और कभी - कभी सिंदूर का टीका भी l लगभग दो पीरियड ख़त्म होने के बाद l हेड मिस , फादर को चाय देने के लिये आती थीं l अक्सर उनका टीका (सिंदूर से बनाया हुआ) मिटा या अधमिटा या खराब-सा दिखता था l या बिगड़ा हुआ दिखता था l नाहट को हमेशा ये लगता कि फादर ने ज़रूर उनके साथ कुछ ना कुछ किया है l कुछ ना कुछ का मतलब छेड़ छाड़ किया है l खैर , नाहट को अक्सर हेड मिस्ट्रेस का लिपस्टिक और बाल बिखरा मिलता था l लिहाज़ ा कुछ भी साफ- साफ़ नहीं कहा जा सकता था l
नाहट की माँ बहुत सनकी औरत थी l उसकी किसी से नहीं
बनती थी l एक बार की बात है l वह उसी मिशनरी स्कूल में पढ़ता था l अभी - अभी स्कूल शुरू होने का समय हुआ था l उस दिन उसे स्कूल जाने का मन नहीं था l पिता
इस बात पर मान गये थे l उसे अच्छी तरह से याद है l वह वहीं पलंग पर बैठा हुआ था l अंजाने में वह पलंग से गिर गया था l और उसके घर में रखा हुआ घड़ा उससे टूट गया था l
लिहाजा , उसकी माँ ने उसे मारते - मारते स्कूल पहुँचा दिया था l
देर , से आने के कारण स्कूल में भी उसे मार पड़ी थी l उसका दु:ख अलग से नाहट को था l
खैर ; बाद में उसके पिता ने उसका नाम मिशनरी स्कूल से कटवाकर एक साधारण से सरकारी स्कूल में लिखवा दिया था l मिशनरी स्कूल में नाहट चौथी कक्षा में पढ़ता था l लेकिन, नाहट सरकारी स्कूल के के टेस्ट में फेल हो गया था l इसलिये उसका नाम कक्षा तीन में लिखा गया l उस समय संस्कृत में एक टीचर थें l पंडित सर l पंडित सर ने ज्वाईनिंग के बाद ही वहाँ से मैट्रिक का एग्जाम पास किया था l पंडित सर बहुत अनुशासन पसंद व्यक्ति थें l छात्रों को बहुत पीटते थे l
क्लास में एक बार नाहट ने चार- पाँच संस्कृत वाले शब्दों का रट्टा मार लिया था l और उसे पंडित सर को याद करके सुना दिया था पंडित सर ने उस पर दस्तखत कर दिया था l इसी को नाहट होमवर्क चेक के समय दिखा देता था l और बार - बार बच जाता था अब वह स्कूल से बंक मारकर बाहर जाने लगा था l दोस्तों के साथ l एक बार उसके घर में उसके पिताजी को पता चल गया था l कि वह स्कूल बंक करके फ़िल्म देखने चला गया था l नाहट को अच्छी तरह याद है l वह , आधी फ़िल्म देखकर ही वापस आ गया था l फ़िल्म का नाम भी उसे अच्छी तरह याद है , फ़रिश्ते l ये फ़िल्म विनोद खन्ना और धर्मेंद्र वाली थी l उस दिन नाहट की माँ ने नाहट को बताया था कि तुम्हारे पिताजी बहुत गुस्से में हैं l स्कूल वाले अगले दिन वह अटेंडेंस सीट चेक करने जायेंगें l तुम्हारे स्कूल उस रात नाहट को पूरी रात नींद नहीं आई थी l अटेंडेंस रजिस्टर की जाँच के कारण l
उसी स्कूल में एक योगा और शारीरिक शिक्षा के शिक्षक थें l अतुल सर l पाँचवीं के टीचर l वह स्कूल में पी. टी । का सारा काम देखते थें l कुछ लड़कों को पी. टी. करना अच्छा नहीं लगता था l वह , जानबूझकर क्लास में लेट से आते l पता नहीं पी । टी. सर को ये बात कौन बता देता था l कि ये अमुक - अमुक लड़के देर से आयें हैं l यानी पी. टी. ख़त्म होने के बाद l
मोटी और गद्देदार लडकियाँ पी. टी. सर की कमजोरी थीं l पी. टी. सर उनके कूल्हे और पीठ पर ख़ूब हाथ फिराते थें l उस स्कूल में साईंस के भी टीचर थें l जो साईंस पढ़ाते थें l एक दम बेवकूफ़ क़िस्म के शिक्षक l महापुरूषों का ज़िक्र होता तो साईंस टीचर बताते की वे लोग असाधारण लोग थें l लेकिन हम तो साधारण भी नहीं है़ं l तो नाहट के आसपास ऐसे - ऐसे शिक्षक थें l जिनको साधारण और असाधारण में फ़र्क़ नहीं पता था l एक बार किसी बात पर उन्होनें नाहट को पीट दिया था l नाहट को इतना गुस्सा आया था कि पूछो ही मत l उसको जब पीटा गया था l तो पूरी क्लास शाँत थी l उस कक्षा सात में उसकी एक नयी - नयी प्रेमिका बनी थी l नाम था उसका लाली l लाली , नाहट की पडोसन भी थी l जब नाहट की पिटाई हुई थी l साईंस टीचर के द्वारा l तब नाहट को बहुत बुरा लगा था l और नाहट ने पिटने के दौरान टूटे तीन बालों को गिनकर अपनी किताब में छिपाकर रख लिया था l ये सोचकर की जिस दिन भी उसे मौका मिलेगा l वह इसका बदला ज़रूर ले लेगा l लेकिन वह दिन कभी नहीं आया l
खैर , वह लीला की बात कर रहा था l वह , छठी कक्षा में उस समय पढ़ता था l जिस समय उसके पिता ने किराये पर दूसरी जगह रूम लिया था l यहीं उसकी मुलाकात लीला से हुई थी l सरकारी स्कूल में आने के बाद नाहट एक मेघावी छात्र के रूप में जाना जाने लगा था l उससे लीला बहुत प्रभावित थी l फिर , दूसरी बार नाहट ने एक प्रेम पत्र लिखा था l जो उसकी माँ ने पकड़ लिया था दरअसल लीला नाम की दो लड़कियाँ थीं l एक लड़की उसके फल और सब्जियों के दुकान के ऐन सामने रहती थी l उसकी मिठाई की दुकान थी l नाहट बार - बार उसकी दुकान से मिठाई खरीदता था l पहली वाली , लीला काॅलोनी वाली लीला से बहुत बेहतर थी l उसकी छातियाँ भरी - भरी थीं l उसको भी डिंपल आते थें l और नाहट की कमजोरी थी l भरी - भरी और बड़ी छातियों वाली लड़कियाँ l खैर; उसने जो लेटर लिखा था l वह पहली वाली लीला के लिये लिखा था l लेटर जब पकड़या तो नाहट बच गया l नाहट की माँ को लगा , कि नाहट ने काॅलोनी वाली लीला के लिये वह लेटर लिखा है l खैर ; नाहट की माँ ने नाहट को समझाया l ये लोग जाट हैं l इनकी छोरियों को लेटर मत लिखा कर l नहीं तो बात का बतंगड़ बन जायेगा l
इस तरह भारी छातियों और डिंपल निकालने वाली लड़की लीला के बारे में किसी को कुछ पता नहीं चला था l
तो बात लीला की हो रही थी l लीला जो दूसरी वाली थी l उसकी छातियाँ पिचकी हुई थीं l उसके शरीर में माँस नहीं था l फिर भी वह नाहट की पडोसन थी l पढ़ाई में भोथी थी l एक बार की बात है l क्लास में भूगोल का पेपर दिखाया जाना था l उस दिन तुक्के से लीला का नंबर नाहट के बराबर आया था l उस दिन नाहट देर रात तक बहुत रोया था l नाहट को अच्छी तरह याद है l नाहट उस समय छठी कक्षा में पढ़ता था l लीला और नाहट एक ही कक्षा में पढते थें l उस दिन नाहट ने पहली बार कक्षा में लीला से पानी माँगा था l क्लास जब ख़त्म हुई l तो नाहट के दोस्त नाहट की चुटकी ले रहें थें l और नाहट मुस्कुरा रहा था l हाँलाकि, दूसरी वाली लीला जिसको डिंपल नहीं निकलता था l उतनी आकर्षक नहीं थी l खैर ! ये किशोरावस्था का प्रेम था l
आठवीं में नाहट को ट्यूशन पढ़ने की ज़रूरत पड़ी l सरकारी स्कूल में भी टीचरों का बैकवर्ड - फारर्वर्ड वाला ग्रुप था l नाहट ने टीचरों को बच्चों की तरह ग्रुप बनाकर लड़ते देखा था l जो छात्र साईंस वालों के पास नहीं पढ़ता था l उनको मैथ्स और साईंस में नंबर कम मिलने थें l साईंस , मैथ्स और पी. टी. सर का एक कुनबा था l जो आर्ट्स वाले सर थें l उनका नाम हितेष सर था l वह , ओ. बी. सी. से थें l जिनसे ये फारर्वर्ड ग्रुप जलता था l क्लास के सारे बच्चे हितेष सर के पास ही ज्यादातर ट्यूशन के लिये जाते l फारर्वड़ तिगड़ी को ये बात अखरती थी l कारण की हितेश सर एक तो ओ. बी. सी. से थें l दूसरे वह आर्टस के टीचर थें l बावजूद इसके ज्यादातर छात्र उनसे ही कोचिंग लेते l ये बात इन तिकड़ी को चुभती थी l
हितेश सर इंगलिश के ग्रामर की किताब भी स्कूल में बेचते थें l स्कूल में ही एक लकड़ी की अलमारी थी l हितेश सर ताली में बँद कर किताबों को रखते थें l वहीं से निकालकर वह ग्रामर की किताबें
बेचते थें l खैर ; हितेष सर की मैथ्स और इंगलिश और भूगोल सब चीज बढ़िया थीं l नाहट ने ईष्या और द्वेष उस स्कूल के टीचरों में साफ़ - साफ़ देखा था l मुदित सर गणित के शिक्षक थें l और वह भी फारर्वर्ड थें l
खैर ; लीला की बात पर आता हूँ l हमारा स्टैंडर्ड बढ़ने लगा था l और हम और दूसरी वाली लीला जिसको डिंपल नहीं पड़ते थें l दोनों साथ - साथ हाई स्कूल तक गये l नाहट को
लगता है कि दुनिया में कुत्तों से वफादार कोई नहीं होता है l वहीं , लड़कियों से गद्दार कोई नहीं होता है l हाईस्कूल पहुँचने के बाद लीला का व्यहवार नाहट के प्रति बहुत रूखा - रूखा हो गया था l दूसरी वाली लीला बहुत बदल गई थी l इस स्कूल में को- एजुकेशन जैसी ही व्यवस्था थी l लेकिन , लड़कियाँ ऊपर वाले माले पर रहतीं थीं l और लड़कों की नीचे के कमरों में कक्षायें लगती थीं l अब लीला अपने सहेलियों के साथ आती- जाती थी l नाहट से कभी भूले से भी बात नहीं करती थी l नाहट साफ़ दिल का था l उसे समझ में नहीं आ रहा था l कि लीला आख़िर इतना क्यों बदलती जा रही है l सब लड़कियाँ ही ऐसी होतीं हैं l इनकी कोई थाह नहीं होती है l इधर हाल की बात है l उसके ससुराल में की दो सालियाँ थीं l दोनों से नाहट के अच्छे सम्बध थें l लेकिन, एक दिन उसे पता चला की उसकी दोनोें सालियों ने उसे फ़ेसबुक पर ब्लाॅक कर रखा है l नाहट आज भी लीला के इस तरह के व्यहवार से दु:खी था l और अपनी दोनोें सालियों से भी l जब किसी को किसी बात की सजा मिलती है l तो उसे उस सजा का कारण भी बताया जाता है l अब ये क्या बात हुई की कोई आपका ख़ास हितैषी जो आपसे लगातार बात कर रहा हो l अचानक से आपसे बात करना ही बँद कर दे l इसलिये भी नाहट को लगता है l कि दुनिया में सबसे बेवफा जो चीज है l या कोई बहुत बुरी शै है l तो वह औरत ही है l इसलिए भी नाहट को औरतों से नफ़रत है l
उन्हीं दिनों की एक घटना है l नाहट छठी कक्षा में पढ़ता था l उसके कुछ दोस्त थें l अमरीश , दानिश , जुबैर और बिंद्रा l छठी कक्षा में कुछ लड़कियों की कहासुनी इन लड़कों से हो गई थी l नाहट के स्कूल के पास एक बहुत पुराना जँगल था l इतना पुराना और घुमावदार जँगल की उसमें कई लोग जाकर गुम हो गये थें l खैर , इस जँगल में रात की कौन कहे l दिन में भी लोग जाने से डरते थें l पहले स्कूल था l उसके बाद एक नदी पड़ती थी l और उसके बाद वह जँगल था l उसी जँगल से अलकुस्सी (एक तरह का खुजली फैलाने वाला जंगली पत्ता l जिसके शरीर पर लगने से ही आदमी बहुत ज़ोर - ज़ोर से हाथ पैर खुजाने लगता था l इसको ठीक करने का बस एक ही उपाय था l कि , अलकुस्सी वाली जगह पर गाय या भैंस का गोबर लगाया जाये l) मिलती थी l जो नाहट जुबैर ,दानिश और अमरीश
ने साथियों के सहयोग से जँगल से तोड़कर प्लास्टिक में लाया था l इसकी प्लानिंग एक सप्ताह पहले ही बना ली गई थी l कौन अलकुस्सी लेकर आयेगा l और कौन इसे बेंच पर छींटेगा l स्कूल की कुछ
लड़कियों ने मेघलाल सर से जानबूझकर नाहट और और उसके दोस्तों की शिकायत करके उन्हें
पिटवाया था l और इसका बदला लेना लड़कों के लिये उनके साख की बात हो गई थी l और छठी कक्षा की बेंच पर नाहट के दोस्तों ने मिलकर बेंच पर अलकुस्सी छिड़क दिया था l फिर जो हँगामा स्कूल में हुआ था l वह देखते ही बनता था l सारी लड़कियाँ अपना पूरा बदन खुजा - खुजा कर परेशान थीं l परेशान इतनी बढ़ गई l कि खुजाते - खुजाते लड़कियों का शरीर लालम लाल हो गया था l ये बात मेघलाल सर को पता चली l तो मेघलाल सर अजगर की तरह लड़कों पर फुँफकारने लगे थें l वह , लाल पीला होने लगे थें l उनका शरीर गुस्से से काँपने लगा था l उन्होनें बेहया का मोटा - मोटा दो - तीन डंडा तिवारी से मँगवाया l और नाहट , अमरीश , जुबैर , बिंद्रा की जमकर धुनाई कर दी थी l
नाहट और दूसरे साथियों के हाथ पाँव जगह - जगह से फूल गये थें l वह , लोग घर में आख़िर क्या बताते ? किसलिये मार खाई है l बताने का तो सवाल ही नहीं उठता था l संदीप तिवारी क्लास का माॅनीटर था l वह , चुन - चुनकर बेहया के डँड़े लेकर आता l मेघलाल सर पाँच कहते l वह , सात - आठ डँड़े लेकर आता l और सारे डँड़े हम बेकसूर के दोस्तों पर पड़ते l इसके कारण भी संदीप हमारा खासा बड़ा दुश्मन बन गया था l वह , क्लास में मेघलाल सर का चहेता था l वह , नाजनीन , देवकी, माला के बीच का एक अकेला कृष्ण था l लेकिन अब वह हमारे टारगेट पर रहने लगा था l हम लोगों की अव्वल तो इन लड़कियों से दुश्मनी थी l संदीप तो खैर दूसरे नंबर पर था l
हमारी उम्र छोटी तो ज़रूर थी l लेकिन हमारे मँसूबे बहुत बड़े - बड़े थें l मेघलाल सर और पी. टी. सर और साईंस टीचर इन तीनों को पीटने का हम लोग रोज-रोज प्लान बनाते रहते थें l
नाहट को तैराना नहीं आता था l लेकिन, तीसरी - चौथी क्लास से वह स्कूल से बंक मारना सीख गया था l उसके स्कूल से लगभग दो किलोमीटर दूरी पर एक जँगल था l लगभग एक किलोमीटर पर एक नदी थी l नदी बहुत गहरी तो , नहीं थी l लेकिन , इतनी गहरी तो थी , ही कि उसमें कोई डूब जाये l मखमूर , नाहट का बहुत अच्छा दोस्त था l वह गर्मियों की एक सुबह थी l जब नाहट और मखमूर नदी में स्कूल से बंक मारकर नहा रहें थें l नाहट को तैरना नहीं आता था l लिहाज़ ा वह डूबने लगा था l तब छपाक से मखमूर ने तैरकर नाहट को बचा लिया था l आज भी जब दोनों दोस्त मिलते हैं l तो उस डूबने वाली घटना और मखमूर के बचाने वाली बात नाहट को हँसाती है l नाहट, मखमूर, जुबैद , अमरीश, दानिश और बिंद्रा इन लोगों का एक ग्रुप था l उन दिनों यानी चौथी - पाँचवी कक्षा में l उन दिनों नाहट और उसके दोस्त लड़कियों को इंप्रेस करने के लिये तुलसी मिक्स खाते थें l अपनी क्रश लड़कियों के मुँह पर सिगरेट के छल्ले उडाते थें l नाहट की सोच थी l कि सिगरेट पीने से लड़कियाँ इंप्रेस होती हैं l
उन्हीं दिनों की बात है l तब नाहट की उम्र मात्र चौदह साल की थी l उन दिनों उसने पहली बार हस्त - मैथुन किया था l पहली बार उससे कुछ नहीं हो पाया था l लेकिन, फिर धीरे - धीरे उसे बहुत मज़ा आने लगा था l अब वह दो - चार दिनों में अक्सर हस्त - मैथुन करने लगा था l उसे बड़ा मज़ा आता था l बाद में नौंवी - दसवीं में उसके हाथ डाइजेस्ट लगा था l उसमें कामुक और उत्तेजक कहानियाँ होती थीं l डाईजेस्ट पढ़ने का उसका शौक बढ़ता ही जा रहा था l डाइजेस्ट की किताब पँद्रह रूपये की आती थी l ये किताब माखन लाल की दुकान पर बिकती थी l
माखन लाल बड़ा अच्छा आदमी था l लेकिन अफीमची था l वह , फुटपाथ पर एडल्ट किताबें बेचता था l ज्यादातर
किताबें डाइजेस्ट और एडल्ट लिट्रेचर
की होती थीं l मस्तराम को नाहट ने पहली बार बोर्ड के ईम्तेहान के वक़्त पढ़ा था l
अजीब- अजीब रोमांचित करने वाली उसमें कहानियाँ होतीं थीं l उसमें मामी और भाँजे की कहानी l मौसी और लड़के की कहानी l सब्जी वाली की कहानियाँ हुआ करतीं थीं l जिसको रस ले - लेकर नाहट और उसके दोस्त पढ़ते थें l उन दिनों बैगी पैंट का चलन हुआ करता था l जो आजकल की महिलाओं का प्लाजो सरीखा पैंट हुआ करता है l कुछ - कुछ वैसा ही l बालों को बड़ा- बड़ा रखने का चलन था l नाहट बालों को बड़ा करके रखता था l लड़कियों को इंप्रेश करने के लिये l वह और मखमूर लँबे - लँबे बाल रखते थें l चौदह साल की उम्र में ही मखमूर अपने बाप की मोटर साइकिल चलाकर ले आता था l उस समय उसके बाप ने नयी - नयी सी. डी. डाॅन गाड़ी खरीदी थी l वह , लोग उसी मोटर साइकिल से फ़िल्म देखने चले जाते थें l अजंता टाॅकीज l मखमूर और नाहट कई बार रविवार को छट्टी वाले दिन उसी बीहड़ जँगल में चले जाते थें l बीयर पीने l बीयर पीने का उनको चस्का चौदह - पँद्रह साल की उम्र में लग गया था l बाद में नाहट और उसके साथी मखमूर माल्टा भी पीने लगे थें l जब पैसे नहीं होते तो पाऊच भी चल जाता था l कई बार पैसे नहीं होने पर मखमूर अपने बाप के जेब से पैसे निकाल लेता था l नाहट और मखमूर उसी जँगल में पार्टी करते थें l मखमूर का बाप कसाई था l मच्छी , भी बेचता था l उसके दुकान पर बकरे का गोश्त बिकता भी बिकता था l उसके बाप ने दो शादियाँ की थी l मीट उसके दुकान पर मिल जाती थी l मखमूर मीट अपने पाॅकेट में पन्नी में भरकर ले आता था l अमरीश के बाप का चौक पर होटल था l उसका बाप ठरकी था l दिन भर शराब के नशे में धुत्त रहता था l अमरीश अपनी दुकान से मीट भूँजवा कर लाता था l और नदी किनारे नाहट के साथ पार्टी चलती थी l बिंद्रा के बाप की एक बेकरी की दुकान थी l उसमें मक्खन और ब्रेड मिलता था l जब पैसे नहीं होते थें l तो बिंद्रा अपनी दुकान से मक्खन और सिंकी हुई
ब्रेड ले आता था l हमेशा नाहट , मखमूर , बिंद्रा और अमरीश के पास पैसे नहीं होते थें l इसलिए कभी बियर और कभी - कभी ठर्रा भी चल जाता था l नाहट और , उसके दोस्तों को
जँगल में मँगल अक्सर वे लोग मिलकर करते थें l l जब कोई जुगाड नहीं होता l तो बिंद्रा ताड़ी के लिये शाम को उसी जँगल में लबनी बाँध देता था l सुबह - सुबह एक दो लबनी ताड़ी मिल जाती थी l पेंड़ पर चढ़ने और उतरने में बिंद्रा को महारत हासिल थी l उसके जाँघ बहुत मज़बूत था l कारण कि बिंद्रा के घर में घोड़े थें l उसके दूर के एक चाचा साईस थें l मौका पाकर बिंद्रा घुड़सवारी भी करता था l मखमूर के डिग्गी में एक पुरानी मच्छर दानी थी l उसका बाप उससे मच्छी पकड़ता था l जब नाहट को बीयर के साथ कुछ खाने को नहीं मिलता l तो मखमूर जँगल वाली नदी में मच्छर दानी डालता l आप यक़ीन नहीं करेंगे l उस मच्छर दानी में खाने पीने भर मछ लियाँ फँस जाती थी l फिर , जँगल में ही आग सुलगाई जाती थी l और मछली को आग पर भूनकर खाया जाता था l बीयर और मछली की एक बेहतरीन पार्टी होती थी l
नाहट जब कक्षा पाँच में पढ़ता था l तो एक बँगालन लड़की सुमी चटर्जी भी उसके साथ पढ़ती थी l उसका चेहरा गोल था l उसकी छातियाँ भी भरी - भरी थीं l लेकिन, उसको डिंपल नहीं पड़ते थें l बावजूद इसके वह नाहट की मन पसंद लड़की थी l इसका कारण था l कि वह बहुत गोरी और बहुत खूबसूरत थी l
कक्षा जब लगती थी l तब , सभी छात्र और छात्रायें l नीचे ज़मीन पर बैठकर पढ़ते थें l बँगालन , दुधिया गोरी थी l वह नेकर पहनकर आती थी l उसकी नेकर से उसकी जाँध बाहर झाँकती रहती थी l जो कि बहुत खूबसूरत थी l क्लास रूम बहुत छोटा और संकुचित था l कमरे में छात्रों की संख्या बहुत ज़्यादा होती थी l लिहाज़ ा छात्र - छात्राओं को बहुत सटा - सटाकर बिठाया जाता था l सुमी चटर्जी और नाहट रोज़ - रोज़ एक ही जगह पर बैठते थें l साथ - साथ ज़मीन पर बैठने के कारण दोनोे की दुधिया जाँघे एक दूसरे से सटतीं तो नाहट रोमांचित हो जाता था l
नाहट को जब आखिरी बार प्रेम हुआ था l तो उस लड़की का नाम मुदिता था l मुदिता के गाल कश्मीरी सेब की तरह गोल - गोल और लाल -लाल थें l उसकी छातियाँ भरी- भरी थीं l लेकिन , उसको डिंपल नहीं पड़ते थें l मुदिता को भी लगता था कि नाहट उससे प्रेम करता है l मुदिता का कोई पति नहीं था l जो था भी वह मर चुका था l नाहट की दिली
ख्वाहिश थी कि वह जेनिफर की तरह उसे बार - बार प्रेम करे l लेकिन , मुदिता एक नंबर की बेवकूफ़ थी l बहुत जिद्दी , घटिया और एक नंबर की घमंडी लड़की थी ,मुदिता l वह , इशारे नहीं समझती थी l वह , उसको , गड मार्निंग विश करता था l तो , वह उसको ब्लॉक कर देती थी l वह मुदिता से बहुत प्यार करता था l वह लड़की उम्र में उससे बहुत सीनियर थी l जिस समय नाहट को उससे प्रेम हुआ था l उस समय मुदिता पचास की रही होगी l लेकिन , उसके होंठ संतरे के फाँकं की तरह मोटे - मोटे और रसीले थें l कमर बहुत भारी थी l वह , उसको प्यार करने के लिये ठंड के महीने का इंतज़ार करना चाहता था l मुदिता को लेकर उसने बहुत सारे ख़्वाब बुन रखें थें l वह चाहता था l मुदिता को उसके पति के मर जाने पर वह उसको उसके पति का सारा सुख देl वह , एक ठंडी रात जो बर्फ की तरह ठंडी हो l मज़बूत पलंग के ऊपर वह और मुदिता जमें हों l साँसों से साँसे टकरायें l लिहाफ में मुदिता की सिसकारियाँ गूँजे l कुछ इस तरह का प्यार वह मुदिता से करना चाहता था l लेकिन मुदिता ने , उसे तीसरी बार ब्लॉक कर दिया था l
नाहट का दु:ख बहुत बड़ा था l उसने व्हाटसएप खोला l नंबरों को स्क्रॉल किया l मोबाइल पर मुदिता टाइप किया l पहले इसमें मुदिता का चेहरा दिखाई देता था l वह अब ब्लैंक था l
ब्लॉक का आॅप्शन किल्क किया l उसके हाथ काँप रहे थें l उसको कंपकपी छूट आयी l लगा वह वहीं कुर्सी पर बैठे - बैठे बेहोश हो जायेगा l वह जिससे सबसे ज़्यादा प्रेम करता था l उसको ब्लाॅक कर रहा था l जिससे प्रेम किया जाता है l उसको कभी ब्लाॅक नहीं किया जाता l उसने आखिरी बार फिर उस व्हाटसएप वाली खाली डी.पी. को देखा l खाली डी. पी. उसे मुँह चिढ़ा रही थी l
उस समय नाहट के जेहन में टाइटैनिक फ़िल्म का आखिरी दृश्य उभर आया था l पटरे पर इस बार जैक था l और रोज़ की ठुड्डी , की जगह मुदिता की ठुड्डी थी l धीरे से नाहट ने मुदिता की ठुड्डी को पटरे पर से अलग किया l और मुदिता ठंडे पानी में समंदर के अंदर समा गई l
सचमुच वहाँ उस समय वहाँ बहुत ठंड थी l ठंड से बचने के लिये नाहट ने सिगरेट सुलगा ली l धीरे - धीरे सिगरेट से घुँआ छूटने लगा l उस धुँए में लीला का चेहरा नूमाँया होने लगा था l हँसती हुई लीला l जिसको डिंपल नहीं आते थें ! जिसकी छातियों में मादकता नहीं थी l जो बहुत क्रूर थी l जिसका व्यहवार हाई स्कूल में बहुत रूखा - रूखा हो गया था !