अवसर / आलोक कुमार सातपुते

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वह विलाप करता हुआ जा रहा था कि ईश्वर ने उसके साथ बड़ा ही अन्याय किया । दुर्भाग्य सदा ही उसके पीछे पड़ा रहता है, तभी एक धन्ना सेठ के घर से एक व्यक्ति बाहर निकला और उससे कहा – “मैंने कई बार तुम्हारे घर के चक्कर लगाए, पर तुमने अपने अंतस में ताला जड़ रखा था । खैर अब बताओ कि मैं तुम्हारी क्या मदद कर सकता हूँ ।” इस पर उसने कहा – “अरे जाओ भाई अपना रास्ता नापो...। मुझे मेरे हाल पर छोड़ दो...।” इतना सुनकर वह व्यक्ति आगे बढ़ गया, तभी उसने जिज्ञासावश सेठ के घर जाकर उससे पूछा कि अभी अभी आपके घर से जो व्यक्ति निकला, वह कौन था ?


“वह अवसर था ।” सेठ ने जवाब दिया ।