अवाम के जीवन से हैप्पी भाग गई है! / जयप्रकाश चौकसे

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अवाम के जीवन से हैप्पी भाग गई है!
प्रकाशन तिथि :24 फरवरी 2018


'हैप्पी भाग जाएगी' की अगली कड़ी बन रही है और नाम है 'हैप्पी फिर भाग जाएगी'। पहले भाग में हैप्पी नामक युवती का विवाह उसकी इच्छा के विरुद्ध किया जा रहा है। वह दुल्हन के लिबास में भाग जाती है। वह जिस ट्रक में जा छुपी है, वह ट्रक पाकिस्तान पहुंच जाता है। सरहद की जांच पड़ताल में सामान के पीछे पड़ी बेहोश लड़की पर किसी की नजर नहीं पड़ती। अभय देओल अभिनीत पात्र पाकिस्तान के एक अमीर और सियासी तौर पर प्रसिद्ध खानदान का है। हैप्पी का पिता, प्रेमी और दूल्हा भी पाकिस्तान पहुंच जाते हैं। मनोरंजक घटनाक्रम के अंत में हैप्पी अपने प्रेमी, पिता और दूल्हे के साथ भारत आती है जहां उसकी इच्छा का सम्मान किया जाएगा। फिल्म में एक संवाद है कि मधुबाला बहुत सुंदर थी और उसे चाहने वाले भी अनेक थे परन्तु अहमियत इस बात की है कि मधुबाला किसे चाहती थी। गौरतलब है कि जुल्फिकार अली भुट्‌टो भी मन ही मन मधुबाला से इश्क करते थे। बहरहाल मधुबाला दिलीप कुमार को चाहती थी परन्तु यह कहा जाता है कि मधुबाला के पिता ने यह शर्त रखी कि विवाह के बाद उनके द्वारा निर्माण की जाने वाली फिल्मों में दिलीप व मधुबाला काम करेंगे। दिलीप कुमार ने इस तरह की शर्त मानने से इन्कार कर दिया। उस दौर के व्यक्ति का कहना है कि अभिनेता प्रेमनाथ ने दिलीप कुमार को यकीन दिलाया कि मधुबाला प्रेमनाथ से प्यार करती है। यह सफेद झूठ था। दिलीप कुमार कान के कच्चे थे, अत: मुमकिन है कि उन्होंने यकीन कर लिया हो। मधुबाला के बंगले के तलघर में एक छोटा सा सिनेमाघर था जिसमें वे बार-बार 'मुगले आजम' के प्रेम दृश्य देखती थीं। कालांतर में वह दिल की बीमारी से मरीं, इस रोग को 'मशीन्स मरमर' कहते हैं। उनकी मृत्यु के कुछ समय बाद ही इस रोग को दूर करने के लिए शल्य चिकित्सा की खोज कर ली गई। इसी तरह, पृथ्वीराज कपूर की मृत्यु के चंद दिन बाद ही उस रोग का निदान भी खोज लिया गया था।

बहरहाल भारत-पाक रिश्ते पर अनेक फिल्में बनी हैं जैसे चेतन आनंद की 'हिन्दुस्तान की कसम' राजकपूर की 'हिना' इत्यादि परन्तु 'हैप्पी भाग जाएगी' एक विशिष्ट हास्य फिल्म है। यह फिल्म गुदगुदाती है। कुछ वर्ष पूर्व 'जिंदगी' नामक चैनल पर पाकिस्तानी सीरियल दिखाए जाते थे। किसी वजह से वे बंद कर दिए गए परन्तु टेक्नोलॉजी के चमत्कार हैं कि यूट्यूब के माध्यम से नए सीरियल देखे जा रहे हैं। उन्हें बकमाल लिखा गया है और कलाकार भी मंजे हुए हैं। 'दिल लगी' सीरियल में कुछ समानता है हमारी फिल्म सलमान खान अभिनीत 'हम दिल दे चुके सनम' से। टेक्नोलॉजी के सेतु पर विचार आ रहे हैं जिन्हें कोई वीजा नहीं लगता। बिन बुलाए ईद की मुबारकबाद देने पहुंचे, बिन बुलाए मेहमान हुक्मरान से पाकिस्तान ने प्रवेश करने का कर मांग लिया है। विदेश नीति हास्यास्पद हो चुकी है। विदेश नीति गृहनीति का ही एक हिस्सा होती है। बहरहाल पाकिस्तानी सीरियल के संवादों में शुद्ध हिन्दी के अनेक शब्दों का प्रयोग किया गया है जैसे अंतर्द्वंद, अंतरमन इत्यादि। भाषा भी सरहद के पार आती जाती है। देश के विभाजन के बाद ऊर्दू पाकिस्तान की और हिन्दी भारत की राष्ट्रभाषा घोषित हुई। पाकिस्तान के अधिकांश भाग में पंजाबी बोली जाती है और एक हिस्से में सिंधी बोली जाती है। ऊर्दू के जानकार वहां उत्तर प्रदेश से भी कम हैं।

बहरहाल कुछ पंजाबी लोगों को महान राजिंदर सिंह बेदी से शिकायत रही कि उन्होंने अपना उपन्यास 'एक चादर मैली सी' ऊर्दू में लिखा है। पाकिस्तान में बने एक सीरियल पर 'एक चादर मैली सी' का गहरा प्रभाव है। इस उपन्यास से प्रेरित फिल्म गीताबाली ने शुरू की थी परन्तु उनकी मृत्यु के कारण फिल्म अधूरी ही रह गई। गीताबाली के पति शम्मी कपूर को लगा कि फिल्म की शूटिंग के समय ही उनकी पत्नी बीमार हुई थी। इसलिए उन्होंने फिल्म को 'अभागी' मानकर नष्ट कर दिया। दरअसल गीताबाली को बचपन में टीका नहीं लगाया गया था, इसलिए स्मॉल पॉक्स होने के कारण उसकी मृत्यु हुई।

इस घटना के अनेक वर्ष पश्चात एक औद्योगिक घराने ने पूंजी निवेश किया और 'एक चादर मैली सी' फिल्म बनाई गई, जिसमें हेमा मालिनी, ऋषि कपूर एवं पूनम ढिल्लो ने अभिनय किया था। बहरहाल दोनों पड़ोसी दोस्त-दुश्मन देशों के अवाम के बीच 'हैप्पी' भाग गई है। प्रांतीय सरकारें हैप्पीनेस विभाग खोलकर एक और सफेद हाथी पालना चाहती है। हैप्पीनेस मनुष्य मस्तिष्क में स्थित एक रहस्यमयी कदरा में निवास करती है। जिसे भीतर जगाना चाहिए, उसे बाहर खोज रहे हैं।