अश्रु स्वेद रक्त से लथपथ-लथपथ / जयप्रकाश चौकसे

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अश्रु स्वेद रक्त से लथपथ-लथपथ
प्रकाशन तिथि : 26 सितम्बर 2019


हरिवंश राय बच्चन का सजातीय श्यामा से विवाह हुआ था। उनका एक मित्र श्यामा से अपना आध्यात्मिक रिश्ता मानता था, जिसका शारीरिक अंतरंगता से कोई संबंध नहीं है। इस तरह के प्लेटोनिक प्रेम होते रहते हैं और धर्मवीर भारती ने इस लिजलिजे संबंध को अपने उपन्यास 'गुनाहों का देवता' में बड़ा गरिमामय स्थान देने की चेष्टा की। कालांतर में धर्मवीर भारती अपने उपन्यास पर शर्मसार भी हुए। इसी उपन्यास से प्रेरित फिल्म में अमिताभ ने काम किया परंतु फिल्म अधूरी रही। हरिवंशजी अपने मित्र के इस झुकाव को न केवल जानते थे वरन् प्रोत्साहित भी करते थे। श्यामा की क्षय रोग से मृत्यु हुई। कहा जाता है कि हरिवंशजी का आग्रह था कि शवदाह में उनके मित्र भी शामिल हों। ज्ञातव्य है कि पुणे फिल्म संस्थान से संपादन में योग्यता अर्जित करने वाली महिला का विधु विनोद चोपड़ा से प्रेम विवाह हुआ। फिल्मकार सुधीर मिश्रा भी अपने मित्र की पत्नी से प्लेटोनिक प्रेम करते थे। महिला संपादक की मृत्यु हुई तो विधु विनोद चोपड़ा और सुधीर मिश्र दोनों ने चिता को अग्नि दी थी। संपादक की मृत्यु के काफी पहले विधु विनोद चोपड़ा का तलाक हो चुका था।

बहरहाल, 'मधुशाला' के रचयिता हरिवंश राय का प्रेम सिख परिवार की तेजीजी से हुआ और उन्होंने विवाह कर लिया। हरिवंश राय बच्चन और तेजी बच्चन के नेहरू परिवार से निकट के संबंध रहे। नेहरूजी ने हरिवंश राय को भारत सरकार के विदेश विभाग में हिंदी अधिकारी के पद पर नौकरी दी और कुछ समय बाद उन्हें राज्यसभा में नामजद किया। नेहरू के निवास के निकट ही बच्चन परिवार को बंगले का आवंटन किया गया।

अमिताभ बच्चन, राजीव गांधी और संजय गांधी में मित्रता रही और तेजी बच्चन ने ही सोनिया गांधी को साड़ी पहनना सिखाया। राजीव गांधी और सोनिया के विवाह में केवल परिवार के सदस्य शामिल रहे। बच्चन परिवार भी मौजूद रहा। राजीव गांधी और अमिताभ बच्चन की मित्रता इतनी गहरी रही कि उन्होंने अमिताभ को चुनाव लड़ने के लिए आमंत्रित किया। गंगा तट का छोरा भारी बहुमत से विजयी हुआ। बोफोर्स घोटाले में अमिताभ का नाम जबरन ठूंसा गया और लंदन की एक अदालत ने उन्हें निर्दोष घोषित किया। भीतरी लोग जानते हैं कि बोफोर्स के कमीशन के एवज में लिट्‌टे को हथियार दिए गए, जिसका बदला लेने के लिए राजीव की नृशंस हत्या की गई। जॉन अब्राहम अभिनीत 'मद्रास कैफे' नामक फिल्म में इसका विवरण इतनी विश्वसनीयता से किया गया है कि फिल्म को ऐतिहासिक दस्तावेज माना जा सकता है। हरिवंश राय तेजीजी के साथ पुणे गए थे, जहां उनका मित्र उन्हें आग्रह करके एक फिल्म की शूटिंग देखने ले गया। फिल्मकार ने अनुरोध किया कि हरिवंशजी उसके लिए फिल्म लिखें और तेजीजी उसकी नायिका हों। इस अनुरोध को हरिवंशजी ने अस्वीकार कर दिया। तेजीजी के मन में इस प्रस्ताव को स्वीकार करने की इच्छा थी, परंतु उस समय वे गर्भवती थीं। अगर ऐसा कुछ घटित होता तो अमिताभ बच्चन भी फिल्म परिवार से आए माने जाते।

बहरहाल, अमिताभ बच्चन शेरवुड स्कूल नैनीताल में दाखिल हुए। स्कूल के एक नाटक में उन्होंने अभिनय किया और उन्हें केंडल पुरस्कार दिया गया। ज्ञातव्य है कि शशि कपूर की पत्नी जेनीफर केंडल का परिवार ताउम्र शिक्षा संस्थानों में शेक्सपीयर के नाटक मंचित करता रहा। कालांतर में अमिताभ ने अपने भाई अजिताभ के प्रोत्साहन से अभिनय क्षेत्र में प्रवेश किया। संघर्ष के दिनों में वे हास्य कलाकार महमूद के परिवार में एक सदस्य की तरह रहे, क्योंकि महमूद का भाई अनवर अमिताभ का गहरा मित्र था। कहा जाता है कि इंदिरा गांधी की सिफारिश पर ख्वाजा अहमद अब्बास ने अमिताभ बच्चन को अपनी फिल्म 'सात हिंदुस्तानी' में भूमिका दी और सुनील दत्त ने उन्हें 'रेशमा और शेरा' में गूंगे भाई की भूमिका दी। अमिताभ अपनी आवाज के लिए जाने जाते हैं, परंतु आकाशवाणी के एक अधिकारी ने उसी आवाज को खारिज किया जो बाद में दसों दिशाओं में गूंजी।

बहरहाल, जब तेजीजी के गर्भ में अमिताभ थे तब एक रात हरिवंश राय ने स्वप्न में देखा कि उनके पिता रामायण के मास पारायण में राम जन्म के समय का पाठ बांच रहे हैं। उसी समय तेजीजी को दर्द हुआ और उन्हें अस्पताल ले जाया गया। शिशु के जन्म के समय सुमित्रानंदन पंत हरिवंशजी के घर ठहरे हुए थे और अमिताभ नाम भी उन्हीं का सुझाया हुआ माना जाता है। उसी स्वप्न के कारण हरिवंश राय बच्चन हमेशा यह मानते रहे कि उनका बालक 'विशेष' है और कोई बड़ा काम करेगा। ज्ञातव्य है कि हरिवंश राय ने अमिताभ के जन्म के समय कविता लिखी 'फुल्ल कमल, गोद नवल, मोद नवल, गेह में विनोद नवल, बाल नवल, लाल नवल, दीपक में ज्वाला नवल, दूध नवल, पूत नवल, वंश में विभूति नवल! नवल दृश्य, नवल दृष्टि, जीवन का नव भविष्य, जीवन की नवल सृष्टि।'

अमिताभ बच्चन प्रतिभाशाली, परिश्रमी और अत्यंत अनुशासित कलाकार रहे हैं। ज्ञातव्य है कि उन्हें अनेक रोग हैं, परंतु वे निरंतर कार्य कर रहे हैं। उन्हें मायसेन्थिया ग्रेविस नामक रोग हुआ, जिसका अर्थ है मृत्यु तक ले जाने वाला रोग। ज्ञातव्य है कि इसी रोग से जेकलीन कैनेडी के दूसरे पति ओनिसिस एरिस्टॉटल की मृत्यु हुई। बाद में मेडिकल विज्ञान ने इस रोग की दवा की खोज कर ली। आश्चर्य यह है कि फिल्म के परदे पर अमिताभ व्यवस्था का विरोध करने वाले व्यक्ति का पात्र अभिनीत करते रहे, परंतु अपने जीवन में वे हमेशा सत्ता के साथ खड़े रहे और समर्थक रहे। यही तथ्य रेखांकित करता है कि वे कितने सक्षम कलाकार हैं।