असली नकली चेहरे देखे, क्या ख्वाब सुनहरे देखें / जयप्रकाश चौकसे

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असली नकली चेहरे देखे, क्या ख्वाब सुनहरे देखें
प्रकाशन तिथि : 17 अप्रैल 2021


ताजा खबर है कि कोरोना की दवा की तस्करी करने वाले रंगे हाथों पकड़े गए। इस कठिन दौर में पुलिस सतर्कता से काम कर रही है। भारत में पुलिस वालों के वेतन दुनिया के सभी देशों की तुलना में अत्यंत कम हैं। जाने कैसे दवा बनाने का लाइसेंस मिल जाता है? वैक्सीन के नाम पर डिस्टिल वाटर का इंजेक्शन देते हुए कंपाउंडर पकड़ा गया। राज कपूर की ‘श्री 420’ में एक व्यापारी कहता है कि उसे आठ सौ मन चावल मिल गए हैं, परंतु आर्डर हजार मन का मिला है। साथ ही भागीदार कहता है कि क्या उसे दौ सौ मन कंकर पत्थर नहीं मिलते? बोनी कपूर की फिल्म ‘मिस्टर इंडिया’ में भी अनाज में मिलावट का सीन था।

दिलीप कुमार अभिनीत फिल्म ‘फुटपाथ’ में नायक दवा बनाने वाली कंपनी में नौकरी करता है। नकली दवा निर्माता कंपनी पर पुलिस दबिश डालती है। कंपनी के मालिक भाग जाते हैं। कर्मचारी नायक पकड़ा जाता है। अदालत में दिलीप अभिनीत पात्र कहता है कि वह कंपनी के घिनौने इरादे जान गया था परंतु चुप रहा क्योंकि वह परिवार का एकमात्र कमाने वाला था। ‘आज उसे अपनी सांस में सैकड़ों मुर्दों की गंध आ रही है।’ दिलीप ने अपना संवाद इतने प्रभावी ढंग से अदा किया कि सिनेमा हॉल में बैठे दर्शक घबराकर खुली हवा में सांस लेने भाग गए।

‘फुटपाथ’ के प्रदर्शन के मात्र 7 बरस बाद ऋषिकेश मुखर्जी की मोतीलाल, राज कपूर, नूतन अभिनीत फिल्म ‘अनाड़ी’ आई। एक महामारी के समय मोतीलाल और भागीदार दवा बनाने की कंपनी के संचालक रहे। उनकी कंपनी की बनाई दवा की एक खेप में तकनीकी त्रुटि रह जाने से दवा लेने वाले की सांस उखड़ जाती और वह मर जाता है। मोतीलाल उस त्रुटि वाली खेप को बाजार से उठवा लेना चाहता है। इसमें असली-नकली दोनों ही दवाएं बाजार से उठाना पड़ सकती हैं। मोतीलाल के भागीदार यह नहीं करना चाहते हैं। वे कहते हैं कि बड़े सौभाग्य से महामारी आती है और दवा निर्माण के कारोबार में धन बरसता है।

फिल्म में एक क्रिश्चियन उम्रदराज महिला अपने घर का एक भाग बेरोजगार युवा को किराए पर देती है। वह पेंटिंग भी करता है। उसकी कड़की के दौर में मकान मालकिन उसकी पेंटिंग बेच कर उसे पैसे देती है। दरअसल वह पेंटिंग बिकी ही नहीं। उस दयालु स्त्री की मृत्यु, नकली दवा लेने के कारण होती है। मृत्यु के बाद नायक को अपनी बिकी हुई पेंटिंग एक कमरे में रखी मिलती है। मोतीलाल को ज्ञात होता है कि उसकी भतीजी, जिसे उसने पाला है वह नायक राज कपूर से प्रेम करती है। वह युवा नायक को मकान मालकिन की हत्या के झूठे आरोप में पकड़वा देता है। इत्तेफाक से मकान मालकिन ने कुछ दिन पहले ही अपनी वसीयत में मकान अपने किराएदार के नाम कर दिया था।

अदालत में मुकदमा चलता है। मोतीलाल की गवाही पर फैसला निर्भर करता है। नूतन मोतीलाल के सामने उसकी बनी कंपनी की दवा लेने जा रही है और मोती लाल दवा छीन लेता है। अब उसे पश्चाताप है कि अपने भागीदार के दबाव में उसने दवा के नाम पर जहर बिकने दिया। अगले दिन अदालत में वह गुनाह स्वीकार करता है। वह अपने भागीदारों सहित गिरफ्तार होता है। नायक बाइज्जत बरी होता है। नकली दवा के विषय पर बनी ‘फुटपाथ’ असफल रही और ‘अनाड़ी’ सफल रही।

फिल्म बनाने का यह अंदाज-ए-बयां चार्ली चैपलिन का आविष्कार था। भारत में राज कपूर, ऋषिकेश मुखर्जी से होते हुए यह परंपरा राजकुमार हिरानी तक आई है। वर्तमान में ‘बाहुबली’ ने इसका रास्ता रोका हुआ है। आज सतह के नीचे गई यह धारा भविष्य में सतह के ऊपर आकर बहेगी। शंकर-जयकिशन ने ‘अनाड़ी’ में माधुर्य रचा। शैलेंद्र, किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार, किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार, किसी के वास्ते हो तेरे दिल में प्यार,जीना इसी का नाम है।