आँखों देखा ईरान - 3 / अमृतलाल "इशरत" / राजेश सरकार
नाचने में ईरानियों ने कुछ ख़ास ईजाद नहीं किया है। हालांकि भारतीय नृत्य बहुत कामयाब नहीं है। देहात में मर्द और औरतें मिलकर नाचते हैं, या यूं कहिए थिरकते है , तो उसे रक़्स दस्ता, जमी वग़ैरा कहते हैं। पश्चिमी नृत्य (वेस्टर्न डांस) में चाचा , टोस्ट , बेले वग़ैरा का जुनून नौजवानों में ख़ूब पाया जाता है। अब तो घर में नौजवान लड़के लड़कियाँ उन्ही की प्रैक्टिस करते हुये नज़र आते हैं।
ईरानी चित्रकार आज भी पुरानी परिपाटी को निभाने और क़ायम रखने की कोशिश में लगे हुये हैं। लेकिन मौजूदा चित्रकारों में एक भी ऐसा नज़र नहीं आता जिसे क्लासिक फ़नकारों की सूची मेँ जगह दी जा सके। ईरानी चित्रकारी का भ्रम आज भी बहज़ाद और रज़ा अब्बास की सुनहरी रिवायत से क़ायम है।
भाषा और साहित्य –
ईरान का पांचवा हिस्सा आज़रबाईजान से लेकर तेहरान तक के इलाक़े मेँ रहता है। यह लोग आज़री भाषा बोलते हैं। इसका व्याकरण बहुत ही सरल है। इसकी बुनियाद उस तुर्की पर है जिसे कभी मध्य एशिया के तुर्क बोला करते थे। इस भाषा का आज की तुर्की से कोई संबंध नहीं दिखाई देता है। ईरान की दूसरी क्षेत्रीय भाषाओं पर फ़ारसी का गहरा असर है और जो भी आधुनिक फ़ारसी जानता है, वह हर जगह अपना काम चला सकता है। फ़ारसी की क़िस्मों मेँ तेहरानी, इस्फ़हानी, शीराज़ी और मशहदी की ख़ास अहमियत है। इन सब मेँ शीराज़ी बोली का लहजा बहुत रोशन और उम्दा है। इसकी वजह यह है, कि शीराज़ हमेशा से ईरानी संस्कृति और सभ्यता का केंद्र रहा है। हाफ़िज़ शीराज़ी ने ठीक ही कहा है –
“ब शीराज़ी व फ़ैज़ ए रूह ए क़ुदसी, ब जूए अज़ मर्दुम साहिब ए कमाश। की नाम ए क़ंद ए मिसरी बुर्द आंजा, की शीरीनान नदादंद ए अंफआलश। अपनी भाषा की रक्षा के लिए ईरानियों ने हमेशा कट्टरता से काम लिया है। जब अरबों ने ईरान को जीत लिया। तो फ़ारसी ने अरबी से गहरे सम्बन्ध क़ायम कर लिए। लेकिन ईरानी हमेशा से ही इस चादर को उतार फेंकने के लिए बेचैन रहे हैं। सन 1937 ई मेँ ईरान मेँ ‘फरहंगिस्तान’ नाम की एक संस्था ने इस काम को बहुत तेज़ी से अंजाम दिया। इस संस्था ने घोषणा की कि फ़ारसी को अरबी शब्दों की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योकि इस तरह के शब्द भंडार फ़ारसी मेँ मौजूद हैं, या थोड़ी सी मेहनत से तैयार किए जा सकते हैं। संस्था की ओर से बहुत सी किताबें भी इस विषय पर प्रकाशित की गई हैं। जिसमें ज्ञान, विज्ञान, कला तकनीकी से संबन्धित अरबी शब्दों के स्थान पर फ़ारसी के शब्द दिये गए है। और ये नए शब्द जनता मेँ बहुत लोकप्रिय हुये। कुछ शब्द इस तरह हैं-
(शब्द) (अर्थ) (शब्द) (अर्थ) शहरदारी म्युनिसिपोलिटी बंगाह संस्था शहरबानी पुलिस दानिशजू विद्यार्थी क्लांतरी पुलिसस्टेशन दानिशमन्द विद्वान दानिशगाह विश्वविद्यालय दावेतल्ब उम्मीदवार वाज़ह शब्द दानिशपज़वह शोधार्थी दानिशकदा कालेज वीज़ह ख़ास बाशगाह होटल ताबबाज़ी झूला झूलना इस्तगाह स्टेशन आशपज़ी बावर्ची का काम राहआहन रेल सुबहाना नाश्ता चहारराह चौराहा नाहार दोपहर का खाना ख़याबान सड़क शाम रात का खाना अस्बदवानी घुड़सवारी फ़ुरुदगाह हवाईअड्डा
बहुत से अरबी शब्दो का प्रयोग अरबी व्याकरण से हट कर किया जाने लगा। जैसे –वज़ीअत कज़ावत, उनसियत, मौक़ियत, सफ़ालत, तनक़ीद, मुनव्वर उल फिक्र, महीरूल अक़ूल, फ़ौक़ुल ज़िक्र, सल्तह, अज़ाम, ईजाद, इस्तकमाल वग़ैरा।
फ़ारसी के परिवर्तन के सौ सालों को हम तीन भागों में बाँट सकते हैंजो इस तरह हो सकता है –
- उच्चारण में परिवर्तन
- विदेशी शब्दों का प्रयोग
- पुराने शब्दों का नया प्रयोग
- व्याकरण में
परिवर्तन
उच्चारण में परिवर्तन-इस बारे में जानना ज़रूरी है, कि फ़ारसी ने मारूफ़ और मजहूल यीये अक्षरों की बहस को सिरे से ही ख़ारिज कर दिया है। हिन्द, पाक और अफ़गानिस्तान में वाव की तीन किस्में पाई जाती हैं। पहले की आवाज़ लंबी होती है। जैसे की अंग्रेज़ी के Moon शब्द में डबल ओ (oo)की आवाज़। दूसरे की आवाज़ अंग्रेज़ी के More शब्द में आए हुये ओ (o)की तरह होती है। तीसरा उच्चारण अंग्रेज़ी के Rockशब्द में आए हुये ओ (o) की तरह होती है। नई फारसी ने पहले के दो उच्चारणों को छोड़ दिया है। अब ज़ोर को ज़ूर, गोश को गूश, होश को हूश और जोश को जूश कहा जाता है। इसी तरह यीये वर्ण के उच्चारण में भी परिवर्तन हुआ है। इसी तरह ईरान की फ़ारसी और हिंदुस्तान की फ़ारसी में काफी अंतर देखा जाता है जिसे हम नीचे दी गई तालिका से समझ सकते है।
(हिन्दुस्तानी उच्चारण) (ईरानी उच्चारण) उमर ख़ैयाम उमर ए ख़ैयाम गोरख़र गूर ए ख़र बहराम गोर बहराम ए गूर अहमद मुख़्तार अहमद ए मुख़्तार ग़ैराबाद ग़ैर ए आबाद ग़ैरमुमकिन ग़ैर ए मुमकिन
इसी प्रकार और बहुत से शब्द भारतीय उच्चारण और व्याकरण के खिलाफ़ हो जाते हैं। जो इस तरह हैं-
(हिन्दुस्तानी उच्चारण) (ईरानी उच्चारण) मादर ए ज़न मादर ज़न सर ए कलयान सर कलयान सर ए अंगुश सर अंगुश सेब ए ज़मीनी सेब ज़मीनी इस्तगाह ए राह ए आहन इस्तगाह राह आहन नोक ए क़लम नोक क़लम
विदेशी शब्दों का प्रयोग
फ़तह आली क़ाजार के दौरे हुकूमत में ईरान और यूरोप के संबंध तेज़ी से बढ़े। सैनिक और दूसरी ज़रूरतों के लिए बहुत से कला, विज्ञान और तकनीकी के जानकार यूरोप से ईरान आए ईरानी छात्र तमाम दूसरे विषयों की पढ़ाई के लिए यूरोप जाने लगे। ख़ास तौर पर शाही और अमीर ख़ानदानों को अंग्रेज़ी और उससे भी बढ़कर फ्रेंच भाषा साहित्य से गहरी दिलचस्पी पैदा हुई। जनता में भी आमतौर पर बहुत पसंद किया जाने लगा। चूंकि इन भाषाओं को जानने वाले ईरान में बहुत कम थे। इसलिए अनुवाद के कार्य ने ज़ोर पकड़ा। इसी समय मशहूर देशभक्त मीर्ज़ा तक़ी ख़ान अमीर कबीर ने तेहरान में मदरसा दारुल फुनून की नीव रखी, जिसने बाद में एक विश्वविद्यालय का रूप ले लिया। और ईरान में आधुनिक शिक्षा के फैलने फैलाने में बहुत मदद की। ईरान में छात्रों में राजनीतिक चेतना धीरे-धीरे जागने लगी। यूरोपीय विचारों को धीरे धीरे स्वीकार किया जाने लगा। बीसों अख़बार जारी हो गए और तमाम कालेज खुल गए। । फ़ारसी में यूरोपीय शब्दों की तादाद बढ्ने लगी। अरबी और तुर्की के शब्द भी आने लगे। सामाजिक, राजनीतिक , चारित्रिक, साहित्यिक, ज्ञान विज्ञान, के विषय विशेष रूप से फ्रेंच शब्दों की तादाद बढ्ने लगी-
(नई फारसी) (अर्थ) (फ्रेंच) तिम्बर पुस्त डाक टिकट Tibre Poste नमरह नम्बर Numero वागून गाड़ी का डिब्बा Wagon समंद वाफर रेल Chenim –De-Fer राह आहन “ ब्रेलेथ गाड़ी या सिनेमा का टिकट Billet सेब ज़मीनी आलू Pomme-De-Terre पाकित लिफाफा या पार्सल Poquet तानर थियेटर Theatre अदरस पता Addresse सालदात सिपाही Soldat मोज़िक संगीत Musique आलमान जर्मनी Allemque अकूल स्कूल Ecale मेरसी शुक्रिया Merci काबीना कैबिनेट Cabinet
(नई फ़ारसी) (अर्थ) (रशियन) दुरुशगह बग्घी Dorosky कास्कह गाड़ी Kareta गूरनातूर गवर्नर Gobber Natoor नचालिंग ज़िला आफिसर Nachaling
(नई फ़ारसी) (अर्थ) (इटेलियन) बांक बैंक Banca उरुपा यूरोप Europe मुनात रूसी रूबल Monat इस्काले समुद्री जहाज़ से उतरने की जगह
(नई फ़ारसी) (अर्थ) (तुर्की) उताक़ कमरा Otaq कशंग खूबसूरत Qashag संजाक़ पिन Sanjag दस्ताक़ क़ैदी Dastaq क़रावल कान्स्टेबल Qaarawal क़ाशुक़ चम्मच Qashuq यंगी दुनिया अमेरिका Yangi Dunya
पुराने शब्दों का नया प्रयोग-नई फ़ारसी में एक बड़ी तादाद ऐसे शब्दों की है जो अपने पुराने अर्थ, जिस तरह वो आज भी हिन्द, पाक, अफ़गानिस्तान में बोले जाते हैं, को खो चुके हैं। उनका दूसरे अर्थ को धारण कर चुके हैं। कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं –
(शब्द) (पुराना अर्थ) (नया अर्थ) तामीर बनाना(इमारत) मरम्मत करना तेग़ तलवार ब्लेड तुख़्म बीज अंडा इश्तबाह भ्रम में पड़ना ग़लती करना पैदा शुदन जन्म लेना ज़ाहिर होना शीर दूध दूध या पानी का नल आबी पानी से संबन्धित नीला अक्स परछाई फोटो हरगाह जिस वक़्त अगर तस्नीफ़ ध्यान से कोई चीज़ लिखना तराना हुक़ूक़ हक़ का बहुवचन क़ानून या वेतन इत्तिफ़ाक़ एकता हमराही आवाज़ शब्द गाना बुर्ज गुम्बद महीना जायज़ा गौर करना इनाम खुद्दारी ग़ैरत परहेज़ करना कुल्फ़त रंज नौकरानी निगरान पासबान फिक्रमन्द