आंकी बांकी रेखा का बीजगणित होना / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 15 अक्टूबर 2014
आंकी बांकी रेखा इंद्र कुमार की 'सुपर नानी' का प्रचार जमकर कर रही हैं। वर्षों बाद वे परदे पर नजर आएंगी। सफल गुजराती नाटक से प्रेरित यह पारिवारिक फिल्म 31 अक्टूबर को प्रदर्शित होने जा रही है। वे गुजश्ता 45 वर्षों से अभिनय में है आैर आज भी काबिले-तारीफ जोशो-खरोश के साथ काम करती हैं। टेलीविजन पर सलमान खान के 'बिग बॉस' आैर कपिल शर्मा के शो में प्रस्तुत हो चुकी हैं। कपिल के शो में पहले दिन वे रणधीर कपूर आैर शरमन जोशी तथा इंद्र कुमार की बेटी के साथ प्रस्तुत हुई आैर दूसरे दिन वे अकेली ही आईं आैर उन्होंने 'सिलसिला', मुकद्दर का सिकंदर के गीत गाए आैर कपिल शर्मा ने भी अमिताभ बच्चन द्वारा बोले गए संवाद की पैरोडी प्रस्तुत की गोयाकि रेखा के कार्यक्रम में अमिताभ बच्चन अतिथि कलाकार की तरह या मि. इंडिया की तरह अदृश्य होते हुए भी मौजूद थे। सारांश यह कि पूरा कार्यक्रम ही कमोबेश रेेखा की यादों की जुगाली था परंतु अन्य नायकों का कोई उल्लेख नहीं था। यहां तक कि 'सुपर नानी' में उनके पति की भूमिका करने वाले रणधीर कपूर जिनके साथ उन्होंने अपने प्रारंभिक दौर में अनेक फिल्में की थी, भी उनके लिए अदृश्य से रहे।
रेखा ने कुछ गजलें भी गाईं जो उसी अमिताभमय भावना से आेत-प्रोत थीं। मसलन रेखा ने गाया, "बात करना मुझे मुश्किल कभी ऐसी तो थी जैसी अब है, तेरी महफिल कभी ऐसी तो थी जैसी अब है, सब्रो करार बेकरारी तुझे दिल कभी ऐसी तो थी।' उन्होंने कार्यक्रम में यह रहस्य भी उजागर किया कि उनके आेंठ के ऊपर जो तिल वर्षों से नजर रहा है आैर जिसे उनकी सेक्स अपील का केंद्र भी प्रचारित किया गया, वह नकली है। उन्हें नजर ना लगे, इसलिए उनकी मां काजल का टीका ऐसा लगाती थी कि वह स्वाभाविक तिल लगे।
उन्होंने सारी उम्र इस नकली तिल को लगाना जारी रखा। उसी तिल की तरह अमिताभ बच्चन का साथ या उनका जिक्र उन्होंने अपनी जीवन का 'स्थायी' भाव बना रखा है। आज जब अमिताभ बच्चन दादा हो गए हैं आैर रेखा फिल्म में ही सही नानी कहला रही हैं तब सरेआम यादों की जुगाली, जिनमें संकेत इतनी बार दोहराए गए है कि सारा प्रकरण दयनीय लगता है, करना बच्चन परिवार को बुरा लग सकता है। यह बात अलग है कि बच्चन परिवार ने गरिमामय खामोशी बनाए रखा। सारे कार्यक्रम में कपिल शर्मा इतने खुश नजर रहे थे मानो उन्होंने कोई बड़ा तीर मारा हो। स्त्रियों के अपमान पर आधारित इस फूहड़ हास्य कार्यक्रम में रेखा एपिसोड गिरावट का आखिरी पायदान रहा है। कैसे कोई इतना आत्मलीन हो सकता है? कार्यक्रम में प्रस्तुत दादी के पात्र के पुरुष होने का संकेत भी रेखा ने दिया मानो यह कोई राज हो। सारा अंदाजे बयां ही बर्दाश्त का इम्तहान रहा है। यह मुमकिन है कि टीआरपी अच्छी आई हो आैर टीआरपी के लिए कोई कुछ भी कर सकता है।
रेखा ने अपनी निजता की रक्षा बड़ी शिद्दत से की है आैर अपने व्यक्तित्व पर रहस्य के परदे बनाए रखे हैं परंतु शायद उनका सब्र इंतिहा से गुजर गया। उन्होंने "सुपर नानी' के प्रमोशन के बहाने अब तक अपने दबाए रखे ख्वाब को उजागर कर दिया। उम्र के इस मोड़ पर इस बेपरदगी को हताशा के सिवा क्या कहा जा सकता है। बहरहाल उन्हें पूरी स्वतंत्रता है कि वे कैसे कब उजागर हो। किसी सुनहरे दौर की यादें किताबों के पन्नाें में सूखे गुलाब की तरह होती हैं आैर उनमें खुशबू भी कायम रहती है अगर दिल उसकी ख्वाहिश करे तो सब कुछ मुमकिन है। सलमान खान के शो में उन्होंने पुनीत इस्सर को अनदेखा किया। ज्ञातव्य है कि "कुली' के सेट पर हुई शूटिंग में पुनीत की गलती नहीं थी आैर बच्चन परिवार ने उन्हें कभी दोषी नहीं माना परंतु उनकी अदृश्य सदस्या आज भी उसे मुजरिम समझती है। पूरे कार्यक्रम में वे अपने शिखर दिनों की अदाआें के साथ प्रस्तुत हुईं परंतु उम्र के हर दौर के अपने तकाजे भी होते हैं। हमेशा उमराव जान अदा बने रहना मुमकिन नहीं है। अपने शिखर दिनों को अपनी याद में सहेजे रखना एक अलग बात है। राजदारी एक सौंदर्य है, एक उम्दा अहसास है। रेखा ने 16 वर्ष की आयु में अभिनय प्रारंभ किया आैर आज भी वे स्वयं को सोलह की दिखाने का प्रयास कर रही है, यह उनका बचपना है। मेकअप की परतों से उम्र झांक रही है।