आई फॉर इंडिया का अर्थ / जयप्रकाश चौकसे

Gadya Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
आई फॉर इंडिया का अर्थ
प्रकाशन तिथि : 17 अप्रैल 2013


सोमवार रात मनमोहन शेट्टी ने अपने मनोरंजन परिसर 'इमेजिका' में मीडिया को संबोधित किया। दर्शकों के लिए इस मायानगरी के द्वार १८ अप्रैल को खोले जाएंगे। उन्होंने बताया कि कुछ वर्ष पूर्व पश्चिम के थीम पार्क विशेषज्ञों ने भारत का दौरा किया और उनका आकलन यह रहा कि अभी भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर के थीम पार्क के लिए तैयार नहीं है, न दर्शक उपलब्ध हैं और न ही तकनीशियन मौजूद हैं। यहां इस तरह के भव्य एवं विविध मनोरंजन परिसर के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर भी उपलब्ध नहीं है। परिणामस्वरूप इस क्षेत्र के पुरोधा डिज्नी ने चीन में पार्क रचने का फैसला किया और उनकी विशाल पूंजी के बराबर धन चीन की सरकार ने भी लगाने की घोषणा की। शंघाई में इस पार्क की रचना हुई।

इन घटनाओं को मनमोहन शेट्टी ने भारत के लिए एक चुनौती माना और मुंबई शहर से ८० किलोमीटर दूर तथा लगभग पूना से भी इतनी ही दूरी पर सैकड़ों एकड़ जमीन खरीदी। उन्होंने विदेशों से इस क्षेत्र के कुछ नामी तकनीशियनों को बुलाया और भारतीय स्पर्श के साथ पश्चिमी टेक्नोलॉजी की मदद से विविध मनोरंजन रचने का कार्य प्रारंभ किया। ढाई हजार मजदूर और भारतीय तकनीशियनों ने निरंतर तीन वर्ष तक काम करके थीम पार्क के सपने को हकीकत में बदल दिया। लगभग पंद्रह हजार वृक्ष भी रोपे गए हैं, जिनके बड़े होने में अभी दो वर्ष और लगेंगे। इस पर लागत आई है लगभग सत्रह सौ करोड़ रुपए और विदेशी विशेषज्ञों का कहना है, यह कार्य अमेरिका में इससे कई गुना लागत में संभव हो पाता। उनका यह भी कहना है कि भारतीय तकनीशियनों को अवधारणा समझने में समय नहीं लगा और उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर की गुणवत्ता के पार्क की रचना की है। वे लोग युवा भारतीय प्रतिभा से अचंभित हैं। मनमोहन शेट्टी द्वारा आमंत्रित विदेशी विशेषज्ञों के पास इस तरह के कार्य का अनुभव था, परंतु उनके मार्गदर्शन में भारतीय युवा तकनीशियनों ने कुछ इस तरह काम किया, मानो वे इसे दशकों से करते आ रहे हैं। भारत मेें विज्ञानजनित सिनेमा इसलिए लोकप्रिय हुआ कि यह कथा कहने का माध्यम है और इसी तथ्य के कारण इस थीम पार्क की रचना में भारतीय तकनीशियनों के हृदय में जुनून जागा। शेट्टी साहब की बेटी आरती शेट्टी ने कथाओं का सृजन किया और उनकी बहन पूजा शेट्टी ने साधन जुटाए।

मनमोहन शेट्टी ने कहा कि जब वे भारतीय बैंकों के पास ऋण लेने के लिए पहुंचे तो उन्हें कहा गया कि अगर वे पश्चिम की किसी बड़ी कंपनी जिसे इस तरह की रचना का अनुभव है, को अपना सहयोगी बनाएं तो उनकी अर्जी स्वीकार की जा सकती है। मनमोहन शेट्टी की जिद रही है कि वे भारतीय प्रतिभा, परिश्रम और साहस से इस 'इमेजिका' पार्क को रचना चाहते हैं और हमेशा विदेशी ब्रांड का ठप्पा अपने पर लगाकर वे काम नहीं करना चाहते। इस सख्त एवं नितांत भारतीयता के दृष्टिकोण के कारण विदेशों को अवचेतन में जमाए बैठे लोगों से सहायता लेना अत्यंत कठिन सिद्ध हुआ।

बहरहाल, इसी जद्दोजहद के कारण उनके मन में विचार आया कि एक आकर्षण 'आई फॉर इंडिया' भी रचा जाए। एक भवन में इस तरह का माहौल जमाया गया है कि दर्शक को लगता है कि वह एक हवाईजहाज में बैठा है, जिसका फर्श नहीं, छत नहीं, कोई दीवारें नहीं - यह सर्वथा खुला यान है और परदे पर भारत के प्रमुख दर्शनीय स्थानों के दृश्य उभरते हैं। सारे शॉट हवाई जहाज से लिए गए हैं और दर्शक को यह अनुभव होता है कि इस जहाज में बैठकर वह भारत के विहंगम दृश्य देख रहा है और उन पवित्र स्थानों पर स्वयं मौजूद भी है। कश्मीर के दृश्यों के बाद लेह और लद्दाख के दृश्य आते हैं। बद्रीनाथ, केदारनाथ और फूलों की घाटी के साथ ही अमृतसर का स्वर्ण मंदिर, दिल्ली की जामा मस्जिद, ताजमहल, राजस्थान के रेगिस्तान और शहरी हवेलियां, गुजरात का सौंदर्य, मध्यप्रदेश का चंबल एवं जबलपुर का भेड़ाघाट, मीनाक्षी मंदिर से लेकर विवेकानंद स्मारक तक सारे प्रसिद्ध स्थलों को अत्यंत सुंदरता और भव्यता से प्रस्तुत किया गया है। यह हवाई भारत दर्शन का अनुभव हमें अपने देश के भूगोल औ इतिहास से परिचित कराता है। इसके अंत में आपको भारत पर गर्व होने लगता है। क्या सचमुच हमारा देश इतना सुंदर है। इसके विहंगम दृश्यों में स्वीप का प्रभाव है। प्रकृति के रचे भारत को देखने के बाद जब हम अपने शहरों और गलियों में गंदगी देखते हैं, अपनी रची लचर व्यवस्था और उसकी सड़ांध को महसूस करते हैं तो हमें आश्चर्य होता है कि मनुष्य की रची यह सड़ांध, प्रकृति की रचना की अनुकृति क्यों नहीं बन पाई? हम कहां चूक गए? बहरहाल, धन्यवाद, मनमोहन शेट्टी साहब आपने हमें अपनी गलतियों से परिचित कराते हुए भारत के उस गौरव के प्रति हमें संवेदनशील बनाया, जिसे हम अपने स्वार्थ में डूबकर विस्मृत कर चुके थे। अब 'आई' नहीं 'वी' फॉर इंडिया के लिए प्रयास करेंगे।

मनमोहन शेट्टी ने तो इस क्षेत्र की विदेशी चुनौती की ईंट का जवाब पत्थर से दिया है, अब भारतीय दर्शक ही उनके प्रयास को सफल बनाकर उन्हें यकीन दिलाएंगे कि हम भूतकाल का गौरवमय स्वप्न नहीं, वरन वर्तमान की हकीकत और उज्ज्वल भविष्य के लिए समर्पित हैं। इस तरह के रोमांचक मनोरंजन पार्क को थीम पार्क इसलिए कहते हैं कि दर्शक इन कहानियों का हिस्सा बनने का अनुभव महसूस करता है। हम हिस्सेदार हैं, मात्र पर्यवेक्षक नहीं। इसकी ई-मेल साइट है, contactus@adlabsimagica.com और फोन नं. है, +912242130405