आउटडोर में इनडोर अंतरंगता? / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 03 अप्रैल 2019
आउटडोर शूटिंग स्टूडियो में की गई शूटिंग से कहीं अधिक कठिन और महंगी पड़ती है। स्टूडियो में कैमरामैन को प्रकाश और छाया पर नियंत्रण रखना आसान होता है। आउटडोर में सबसे बड़ी परेशानी उस भीड़ को नियंत्रित करने की होती है, जो सितारों को देखने आती है। तमाशबीन तमाशे का हिस्सा बनने के लिए लालायित रहते हैं। वर्तमान में उपकरणों का वजन अधिक नहीं है परंतु विगत दौर में कैमरा ही 40 किलो का होता था! एरिफ्लैक्स कैमरे के आविष्कार के बाद पात्र का क्लोज अप लेना आसान हो गया है। पुराना मिचेल कैमरा बहुत अधिक वजनी था परंतु उससे शूट किए गए दृश्यों में छोटी से छोटी वस्तु या पात्र की मामूली-सी हरकत भी बड़ी स्पष्ट नज़र आती थी। सिनेमा टेक्नोलॉजी तीव्र गति से बेहतर होती जा रही है। क्या किसी दिन ऐसा कैमरा भी बन जाएगा, जो कलाकार के अवचेतन को भी देख ले? यह संभव नहीं है। अवचेतन अभेद्य किला है, जिसमें कई तलघर हैं, सुरंगे हैं, सुषुप्त ज्वालामुखी हैं, भीतर बहती हुई नदियां हैं।
आउटडोर में भी कला निदेशक को कुछ सेट्स लगाने होते हैं परंतु उसे वृक्षों से छेड़छाड़ की इजाजत नहीं होती। एक सरकारी नुमाइंदा साथ चलता है परंतु उसे 'खुश' करना बहुत आसान होता है। रिश्वत राष्ट्रीय शगल है।
मुंबई के निकट खंडाला और महाबलेश्वर में बहुत-सी शूटिंग हुई है। एक फिल्म में तो आमिर खान नायिका रानी मुखर्जी से पूछते हैं- 'आती क्या खंडाला?' अब खंडाला उतना रमणीय नहीं रहा। इंसानी बस्तियां फैलती जा रही हैं और पहाड़ तथा जंगल सिमटते जा रहे हैं। इसीलिए आए दिन खबर प्रकाशित होती है कि तेंदुआ शहर में घुस आया। सीधी-सी बात है कि मनुष्य ने उनके रहवासी क्षेत्र पर अतिक्रमण किया है तो वे इस तरह प्रतिवाद कर रहे हैं।
आउटडोर शूटिंग से उस क्षेत्र के व्यवसाय को बढ़ावा मिलता है। यूनिट के लोग ठहरते हैं और खूब खर्च करते हैं। राज कपूर 'जिस देश में गंगा बहती है' के एक गीत की शूटिंग करने के लिए जबलपुर के भेड़ाघाट गए थे। तमाशबीन लोगों के लिए वहां चाय-नाश्ते के ठिए खुल गए। जब राज कपूर अपना काम पूरा करके लौट रहे थे तब एक चाय नाश्ते वाले ने निवेदन किया कि कुछ दिन और शूटिंग करें, क्योंकि उसने लोकेशन पर चाय-नाश्ते के ठिए से रकम कमाकर अपने कर्ज का बड़ा भाग चुका दिया है। राज कपूर ने उसे बताया कि प्रतिदिन शूटिंग पर कितना खर्च होता है। उन्होंने उसके बचे हुए कर्ज की राशि उसे दे दी परंतु शूटिंग को अनावश्यक रूप से जारी रखना उनके लिए संभव नहीं था।
अजय देवगन ने अपनी फिल्म 'राजू चाचा' के लिए उटकमंड में जबरदस्त व्यवस्था की थी। यूनिट के सदस्यों के लिए चौबीसों घंटे खुला रहने वाला कैफे बनाया था। शशि कपूर भी आउटडोर शूटिंग में होटल का एक बड़ा कक्ष इस तरह रखते थे कि यूनिट का कोई भी सदस्य कभी भी आकर अपना मनपसंद भोजन कर सके। एक फिल्म की शूटिंग एक ऐसे ऊंचे स्थान पर की जा रही थी, जहां ऑक्सीजन की कमी थी। फिल्मकार ने यूनिट को यह जानकारी नहीं दी कि शराब पीने वाले को आम आदमी से अधिक ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। एक यूनिट सदस्य की मृत्यु हो गई, क्योंकि उसे यह जानकारी नहीं दी गई थी। लद्दाख के इसी स्थान पर कुछ समय बाद अन्य फिल्म की शूटिंग में करीना कपूर अपनी मां से फोन पर बात करना चाहती थीं। मोबाइल काम नहीं कर रहे थे। सह-कलाकार सैफ अली खान ने वहां तैनात एक सैनिक की मदद से करीना के लिए यह संभव कराया कि वह फौज के दूरसंचार उपकरण से अपनी मां से बात कर सके। इस तरह वह सिलसिला चला जो उन्हें विवाह तक ले गया। इस तरह आउटडोर शूटिंग में प्रेम संबंध भी विकसित होते हैं। घर से दूर घर बन जाते हैं।
इंग्लैंड, फ्रांस, इटली में आउटडोर पर आए विदेशी यूनिट द्वारा वहां किए गए खर्च का 30 फीसदी निर्माता को सरकार लौटा देती है। वे जानते हैं कि शूटिंग के कारण स्थानीय व्यवसाय पनपता है। हमारी सरकार ऐसा कुछ नहीं करती। यूरोप में शूटिंग के लिए फिल्मकार को अधिक समय मिलता है, क्योंकि सूर्यास्त बहुत देर से होता है। भारत में कैमरामैन चार बजे के बाद शूटिंग नहीं करता, क्योंकि सूर्यकिरणों में इन्फ्रा रेड बढ़ जाता है। एक दौर में फिल्मकार कश्मीर जाते थे परंतु राजनीतिक हालात के कारण उन्होंने स्विट्जरलैंड जाना प्रारंभ कर दिया। यश चोपड़ा ने स्विट्जरलैंड में बहुत शूटिंग की है। वहां की सरकार ने उन्हें यथेष्ट आदरांजलि भी दी है। राज कपूर ने 'संगम' की शूटिंग यूरोप और इंग्लैंड में लगभग तीन माह तक की है। वह पहली फिल्म थी, जिसकी शूटिंग विदेश में हुई थी। इसी दौर में उनकी वैजयंतीमाला से अंतरंगता हुई थी। इस तरह हम आउटडोर को प्रेम इनसाइड आउट साइड भी कह सकते हैं।