आकी बाकी पगडंडियों की अनूठी प्रेम कथा / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि :05 मई 2016
करीना और करिश्मा कपूर की नानी की मृत्यु हो गई। वे 72 वर्ष की थीं। उन्होंने असम में अंग्रेज पिता के लिए काम करने वाले भारतीय से प्रेम विवाह किया था। आज की तरह उस दौर में भारतीय नागरिकता विवाद का विषय नहीं थी। इस विवाद के जन्मदाताओं की जिद है कि जो उनके विचार से सहमत नहीं, वह अभारतीय है। करीना-करिश्मा की माता बबीता के पिता हरि शिवदासानी टेनिस के खिलाड़ी थे और एक स्टूडियो के मालिक थे परंतु व्यापार बुद्धि के अभाव में उन्होंने सबकुछ खो दिया और चरित्र भूमिकाएं करके रोजी-रोटी अर्जित की। वे हंसोड़ स्वभाव के महफिलबाज थे। जीपी सिप्पी ने नए संघर्षरत राजेश खन्ना और बबीता के साथ 'राज' से कॅरिअर शुरू किया और बबीता ने अत्यंत साधारण अभिनेत्री होते हुए भी विषय चयन के कारण सफल फिल्मों में काम किया। हरि शिवदासानी के भाई की बेटी साधना सफल सितारा होने के साथ श्रेष्ठ कलाकार भी थीं। साधना व बबीता अपनी नज़दीकी रिश्तेदारी के बावजूद कभी अच्छी मित्र नहीं रहीं और उनके बीच अघोषित शीत युद्ध रहा!
जब राज कपूर के ज्येेष्ठ पुत्र रणधीर कपूर को हरि शिवदासानी की पुत्री बबीता से प्रेम हुआ तब राज कपूर को यह बात खटक रही थी कि उनका ही एक 'दरबारी' अब उनका समधी बनेगा। समाजवादी फिल्में बनाने वाले राज कपूर के बेहद उलझे व्यक्तित्व में एक ऐसा सामंतवादी भी था, जिसे उन्होंने अपनी फिल्मों में नहीं आने दिया। बहरहाल, यह विवाह अत्यंत धूमधाम से हुआ परंतु उसके पहले ही रणधीर कपूर ने अपनी पीढ़ियों के बीच संवादहीनता पर 'कल, आज और कल' निर्देशित की थी, जिसमें उनकी नायिका उनकी तत्कालीन प्रेयसी बबीता ही थी। रणधीर कपूर की 'कल, आज और कल' तथा 'धरम-करम' में राज कपूर ने बतौर चरित्र अभिनेता बहुत ही प्रभावोत्पादक अभिनय किया है। इस फिल्म का गीत था, 'जब हम होंगे साठ साल के और तुम होगी पचपन की, बोलो प्रीत निभाओगी क्या तभी अपने बचपन की।' रणधीर और बबीता ने प्रीत निभाई परंतु कुछ वर्ष साथ रहने के बाद अलग-अलग रहते हुए भी निरंतर संपर्क बनाए रखा और प्राय: होटलों में दोपहर या रात का खाना भी साथ-साथ खाया। इतना ही नहीं बबीता का विवाह भी राज कपूर के चेम्बूर स्थित निवास से पूरी कपूरियन शान-ओ-शौकत के साथ हुआ था और राज कपूर ने अपने 'दरबारी' हरि शिवदासानी से समधियों की गले मिलने की रस्म भी निभाई थी। बच्चों के प्रेम-प्रसंग पिताओं की हेकड़ी तोड़ देते हैं। एक दौर में अभिषेक बच्चन और करिश्मा के बीच प्रेम हुआ था तथा इनकी सगाई भी हुई थी। बाद में रिश्तों मंे जाने कैसे तनाव आया और बच्चन परिवार ने रिश्ता तोड़ दिया। इस तरह की अस्पष्ट अफवाह भी है कि करिश्मा के दिल्ली के औद्योगिक घराने में रिश्ते के समय अभिषेक देवदासनुमा व्यवहार कर रहे थे और उनके तत्कालीन पारिवारिक मित्र अमर सिंह ने प्रयास किया कि विवाह रुक जाए और बाद में अभिषेक से ही हो परंतु तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
यह संभव है कि इस बार शहजादे सलीम को विद्रोह करने में देर हो गई हो और इस बार के जिल्लेइलाही अकबर के जोर का हौवा काफी बड़ा हो। अनेक सलीम अकबर के कद और संपत्ति से घबरा जाते हैं। 'सलीम' अनिल अंबानी नहीं घबराए यद्यपि उनके 'अकबर' धीरूभाई मुगलकालीन असल अकबर से अधिक धनवान थे। इतिहास के बादशाहों के इलाके भारत तक सीमित थे परंतु आज के धनाढ्य लोगों के व्यापार विदेशों तक फैले हैं और सुदूर निकारागुआ में भी फर्जी कंपनी पंजीकृत है। बोफोर्स के 64 करोड़ अन्य उजागर या उजागर नहीं हुए घपलों में छौंक लगाने के बराबर भी नहीं है। खलनायक गब्बर सिंह तो अब हंसोड़ लगता है और बच्चों के कॉमिक्स ही उसका सही स्थान है। आजकल करिश्मा कुछ विज्ञापन फिल्मोें में दिखाई देती हैं। उनका समय अपने बच्चे के लिए है। मौसी करीना उस बच्चे पर जान छिड़कती है। बबीता का अधिक समय उनके पुणे स्थित बंगले में बीतता है और बंगले के निकट ही रणधीर कपूर का फ्लैट भी है। बचपन की प्रीत दूरी परंतु परस्पर विश्वास के साथ अनोखे ढंग से निभाई जा रही है। दोनों के निवास रजनीश के कोरेगांव मार्ग पर है, जहां उन्होंने 'संभाेग से समाधि तक' किताब लिखी थी।