आग-फूस / सुरेश सौरभ
Gadya Kosh से
पूरे घर में मातम पसरा था। आज एक साथ पूरा परिवार उदास बैठा था। तभी एक अधेड़ सजल आंखों से बोला-इतना विश्वास किया था फिर भी दग़ा दे कर भगा ले गया बेहूदा।
तभी सबके बीच बैठा एक बुज़ुर्ग बोला-मैं तो शुरु से कह रहा था, आग-फूस का साथ खराब होता है जब रोज-रोज लड़की छोड़ने जायेगा, लाने जायेगा तब किसी न किसी दिन यह नौबत आनी ही थी। बुज़ुर्ग की खरी बात से, परिवार के सारे लोगों के चेहरे लज्जा से लटक गये, मानो घड़ो पानी पड़ा हो।
अब वहाँ आग और फूस सबके दिलो में हलचल मचा रहे थे।