आज़ादी / ख़लील जिब्रान / बलराम अग्रवाल
Gadya Kosh से
वह मुझसे बोले - "किसी गुलाम को सोते देखो तो जगाओ मत। हो सकता है कि वह आज़ादी का सपना देख रहा हो।"
"अगर किसी गुलाम को सोते देखो तो उसे जगाओ और आज़ादी के बारे में उसे बताओ।" मैंने कहा।