आज आई.एस. जौहर याद आते हैं / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि :09 फरवरी 2018
एक निर्माणाधीन फिल्म में अजय देवगन नकली आयकर अधिकारी की भूमिका कर रहे हैं। आयकर विभाग द्वारा छापा मारते ही व्यक्ति डर जाता है, भले ही उसने अपनी आय पर पूरा कर जमा किया हो। आयकर का हौवा आयकर के डर से बड़ा होता है। आयकर द्वारा प्राप्त धन का अधिकांश भाग उसे वसूल करने के तामझाम में खर्च होता है परन्तु कोई भी सरकार इस कोड़े को छोड़ने को तैयार नहीं है। अपने राजनैतिक विरोधियों के खिलाफ यह एक शस्त्र की तरह इस्तेमाल किया जाता है और उसे किसी एक राजनैतिक दल से नहीं जोड़ा जा सकता क्योंकि यह सभी ने किया है। आयकर नियमों की सतही जानकारी भी मनुष्य को भयमुक्त कर सकती है परन्तु इसका हौवा बनाए रखा जाता है। इसी तरह अवैध शराब बनाने वालों पर भी छापे पड़ते हैं परन्तु जब्त की गई शराब का क्या होता है, यह कभी ज्ञात नहीं होता।
एक मामले में शराब जब्त हुई और किसी दिलजले ने प्रकरण उठाया तो बताया गया कि गोदाम के चूहे उसे पी गए। नशे की हालत में उन चूहों ने अनेक सरकारी फाइलें और गोपनीय दस्तावेज कुतुर डाले। रक्षा सौदों के दस्तावेज भी चूहें कुतर जाते हैं। दरअसल पूरी दुनिया में रक्षा सौदों में दलाल होते हैं। बोफोर्स तोप सौदे में 64 करोड़ के घपले का आरोप था। यह रकम इस तरह के सौदों में मामूली मानी जाती है। एक अफवाह तो यह है कि इस राशि के हथियार लिट्टे को दिए गए थे और देने वाले की नृशंस हत्या भी लिट्टे ने ही की थी। दान इस तरह भी लौटकर आता है। उस दौर में 'वॉयस ऑफ अमेरिका' नामक प्रसारण संस्था को वहां आने से रोकने के लिए लिट्टे को हथियार दिलाए गए थे। 'मद्रास कैफे' नामक फिल्म में इस प्रकरण पर प्रमाणिक जानकारी दी गई थी। यह फिल्म सामाजिक सोद्देश्यता के शपथ-पत्र की तरह बनाई गई थी।
आई.एस. जौहर बहुमुखी प्रतिभा के धनी फिल्मकार, कलाकार एवं पटकथा लेखक थे। एक बार उनके यहां आयकर का छापा पड़ा। उन्होंने बताया कि एक अलमारी में धन रखा है और उन्हें खोजने का कष्ट उठाने की आवश्यकता नहीं। दोपहर के भोजन का समय है, अत: पहले भोजन कर लेते हैं। उन्होंने फोन पर भोजन का ऑर्डर देते हुए यह भी कहा कि आयकर अधिकारी आए हैं तो स्वादिष्ट चीजें भेजें। बहरहाल बीयर पीकर खाना खाया गया जिसके बाद अलमारी खोली तो उसमें कुछ नहीं मिला। पूरे घर की तलाशी लेने पर भी मात्र चार सौ रुपए मिले। जौहर ने आरोप लगाया कि भारी रकम मिली है और मुझे लिखकर नहीं दिया जा रहा है। कहा जाता है कि अधिकारियों को अपनी जेब से उन्हें धन देना पड़ा।
एक बार आई.एस. जौहर मुंबई के 'सन एन्ड सैंड' होटल में दोपहर का भोजन कर रहे थे। वहां फिल्मकार आर.के. नैय्यर आए और उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया कि जौहर द्वारा निर्देशित फिल्म की शूटिंग चल रही है और वे यहां बैठे हैं। जौहर ने जवाब दिया कि किस किताब में लिखा है कि शूटिंग के समय डायरेक्टर का वहां मौजूद होना आवश्यक है। वे सुबह ही अपने प्रमुख सहायक को सब कुछ समझा चुके हैं। वे संपादन के समय सब दुरुस्त कर लेते हैं। वे स्वयं को रिमोट कंट्रोल डायरेक्टर कहते थे। दरअसल जौहर पूरी फिल्म व्यवस्था का ही मखौल उड़ाते थे। उनकी बेसिर पैर की फिल्में जैसे 'जौहर मेहमूद इन गोवा', 'जौहर मेहमूद इन हांगकांग', इत्यादि ने अपनी लागत पर पचास प्रतिशत मुनाफा भी कमाया था। आई.एस. जौहर ने ही फिल्म पत्रिका 'फिल्मफेयर' में प्रश्नोत्तर का कॉलम शुरू किया था। उनके जवाब अत्यंत रोचक होते थे।
अजय देवगन की फिल्म एक यथार्थ घटना से प्रेरित है। इसके पहले बनी 'बादशाहो' में भी राजस्थान के एक राजपरिवार की दौलत को दिल्ली ले जाने का प्रकरण उठाया गया था। वह घटना आपातकाल लगाए जाने के समय की बताई गई थी परन्तु अघोषित आपातकाल तो हमेशा ही जारी रहा है। हाल ही में 'जी' चैनल के पत्रकार ने बताया कि मध्यप्रदेश की अधिकृत स्कूली पाठ्य किताब में खिलजी के युद्ध कौशल की खूब प्रशंसा की गई है। 'पद्मावत' के प्रदर्शन को लेकर धुंध छाई है। क्या यह फिल्मकारों को संदेश दिया जा रहा है कि वे कपोल कल्पित, मजाकिया फिल्में ही बनाएं गोयाकि दादा कोंणके नुमा फिल्मों की दूसरी पारी प्रारंभ करें। दादा कोंणके ने लगातार सत्रह सफल फिल्में बनाई थीं।
आई.एस. जौहर नुमा फिल्मों को हरी झंडी दिखाई जा रही है। सुना है कि भंसाली की अगली फिल्म भी एक हास्य फिल्म होगी। जाने कैसे 'पद्मावत' को एक आणविक विस्फोट की तरह बना दिया गया है अब उसके विकिरण प्रभाव सामने आ रहे हैं।