आदत / प्रेम गुप्ता 'मानी'
कई दिनो तक भूख से व्याकुल रहने के बाद उसने एक छोटे से होटल से रोटी की चोरी की। घर के लोग रोटी पाकर बहुत खुश हुए पर किसी ने उससे यह नहीं पूछा कि रोटी वह कहाँ से लाया? इससे उसकी हिम्मत और बढ़ गई।
दूसरी बार से वह लोगों की जेबें भी काटने लगा। घर की ज़रूरतें पूरी होने लगी। इच्छाएँ बढ़ने लगी और वह बेधड़क उन्हें पूरी करने लगा किन्तु फिर भी किसी ने उससे यह पूछने की ज़रूरत महसूस नहीं की कि वह यह सब लाता कहाँ से है।
परिवार के अन्य सदस्यों के साथ स्वयं उसकी इच्छाएँ भी काफ़ी बढ़ गई थी जिसे पूरा करने के लिए अब वह राहजनी और मारपीट भी करने लगा था। जिस दिन किसी कारण वह यह सब न कर पाता, उसे बहुत सूना-सूना लगता।
एक दिन उसे जोरों का ज्वर चढ़ा। तीन-चार दिन कुछ अच्छा, स्वादिष्ट खाने को नहीं मिला तो उसका हाथ खुजलाने लगा। ज्वर में उससे अपनी यह इच्छा रोकी नहीं जा रही थी। ऐसे में बापू को उसने शराब के लिए रुपए छुपाते देख लिया था।
दूसरी सुबह उसके बापू की जेब कटी थी और उसके हाथ की खुजली कम हो गई थी।