आधी हक़ीक़त आधा फ़साना – भाग 11 / राकेश मित्तल
प्रकाशन तिथि : मई 2015
1955 में एक बार फिर राजकपूर ने अपनी फिल्म `श्री 420’ के द्वारा सर्वाधिक कमाई का कीर्तिमान अपने नाम किया। भारतीय फिल्मों के इतिहास में पहली बार इस फिल्म ने 2 करोड़ के आँकड़े को छुआ। उस समय एक अमेरिकन डॉलर की कीमत चार रूपए अस्सी पैसे हुआ करती थी। वार्षिक महंगाई दर और रूपए के अवमूल्यन को देखते हुआ यह आंकड़ा आज के लगभग 120 करोड़ रूपए के बराबर है। `श्री 420’ अगले दो साल तक कमाई के शिखर पर रही। फिल्म के गीत `मेरा जूता है जापानी, ये पतलून इंग्लिस्तानी’ ने देश और देश की सरहद के पार धूम मचा दी। ख़्वाजा अहमद अब्बास द्वारा लिखित यह फिल्म चार्ली चैपलिन की `लिटिल ट्रैम्प’ से प्रभावित थी।
`श्री 420’ की सफलता के कीर्तिमान को 1957 में आई फिल्म `मदर इंडिया’ ने पीछे छोड़ दिया। मेहबूब खान ने एक बार फिर कामयाबी का सेहरा अपने सर बांध लिया। पचास के दशक में `बरसात’ से `मदर इंडिया’ तक मानो राजकपूर और मेहबूब खान के बीच कामयाबी और कमाई की होड़ चलती रही। `मदर इंडिया’ भी भारतीय सिने इतिहास में एक मील का पत्थर है। इस फिल्म ने मेहबूब खान को अमर बना दिया। ‘मदर इंडिया’ ने `श्री 420’ से लगभग दो गुना कमाई की और पहली बार किसी फिल्म ने चार करोड़ के आँकड़े को छुआ।
`मदर इंडिया’ की कमाई को पीछे छोड़ा 1960 में के. आसिफ की फिल्म `मुग़ले आज़म’ ने। इस फिल्म ने कामयाबी के पिछले सभी रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए। गीत-संगीत, अभिनय, निर्देशन हर मामले में यह फिल्म बेजोड़ रही। देश के सुप्रसिद्ध बिल्डर-उद्योगपति एवं वर्त्तमान में टाटा समूह के प्रमुख सायरस मिस्त्री के दादा शापूरजी पालनजी मिस्त्री ने इस फिल्म का निर्माण किया था। दिलीपकुमार-मधुबाला की जोड़ी, पृथ्वीराज कपूर के संवाद, नौशाद का संगीत और निर्माण की भव्यता नई इस फिल्म को भारत की महानतम फिल्मों में से एक बना दिया। अगले पंद्रह वर्षों तक भारत की कोई फिल्म `मुग़ले आज़म’ की कमाई का रिकॉर्ड नहीं तोड़ सकी। 1960 के समय में किसी फिल्म का साढ़े पांच करोड़ के आंकड़े को पार कर जाना बहुत बड़ी बात थी। (अमेरिकन डॉलर की कीमत उस समय भी चार रुपये अस्सी पैसे स्थिर थी)।
`शोले’ फिल्म ने भारत में कामयाबी का इतिहास रच दिया। फिल्म के संवाद गली-गली में गूंजने लगे। देश के शीर्षस्थ कलाकारों से सजी इस फिल्म में रमेश सिप्पी के कैसे हुए निर्देशन ने चार चाँद लगा दिए। `मुग़ले आज़म’ ने साढ़े पांच करोड़ के मुकाबले `शोले’ ने पैंसठ करोड़ की कमाई आज से करीब अड़तीस वर्ष पहले कर ली थी। हालांकि 1960 और 1975 के बीच रूपए का काफी अवमूल्यन हो चुका था किन्तु अमेरिकन डॉलर की कीमत आठ रूपए चालीस पैसे ही थी। उस समय की पैंसठ करोड़ आज के ढाई सौ करोड़ से भी ज्यादा होंगे। `शोले’ का कीर्तिमान अगले 19 साल तक कोई फिल्म नहीं तोड़ सकी (यूं देखा जाए तो शायद आज भी नहीं तोड़ सकी है)।