आधुनिका / गरिमा संजय दुबे
वे दोनों पिछले दो साल से साथ में थे। तान्या अब इस रिश्ते से बाहर आना चाहती थी, किन्तु अमोघ तो कुछ और ही सपने देख रहा था। अब वह इस लिव इन रिश्ते को विवाद में बदलना चाहता था। आज उसने सोच लिया था कि वह तान्या को मन की बात बता देगा, तान्या भी खुश हो जाएगी। सपने सजाते हुए वह घर पहुँचा तो तान्या अभी आई नहीं थी। उसबे साथ लाया डिनर टेबल पर सजाया, अंगूठी, फूल सब रख अँधेरा कर वह उसका इंतज़ार करने लगा। दरवाज़ा बंद था एक चाबी तान्या के पास थी, तभी दरवाज़ा खुलने की आहट हुई, तान्या ने जैसे ही लाइट जलाई सारा कमरा जगमगा उठा, सजी हुई टेबल देख उसने हंसते हुए कहा, अरे न आज तुम्हारा जन्मदिन है न मेरा, और कोईं ख़ास बात भी नहीं फिर आज ये किसलिए, अमोघ ने उसका हाथ-हाथ में लेकर कहा, भूल गईं आज ही के दिन तो हम इस लिव इन रिलेशन में रहने लगे थे, कुछ देर ठहर कर बोला मैं इस लिव इन रिलेशनशिप को लाइफ लांग रिलेशनशिप बनाना चाहता हूँ। कुछ देर की चुप्पी के बाद ज़ोर से खिलखिलाने की आवाज़ आई, आर यू मेड अमोघ, लाइफ लांग रिलेशनशिप, अच्छा हुआ जो तुमने सात जन्म की बात नहीं की, वह खिल्ली उड़ाती-सी बोली, अरे ये कमिटमेंट, ये बंधन, पूछ ताछ, रोक टोक से बचने के लिए तो लिव इन है, पूरी ज़िंदगी एक साथ गुजारने के ख़्याल ही बेमानी है, कल को मुझे और कोईं पसंद आ जाये, तुम्हे कोईं और पसंद आ जाए और फिर कसमसाते रहो, घुटते रहो उस रिश्ते में, अरे छोड़ो अमोघ मुझे अपनी स्वतंत्रता प्यारी है और हाँ तुम्हे शादी ही करनी है तो कोईं मेर्रिज स्टफ देखो यार, अपने से तो यह होने से रहा, वैसे भी दो साल हो गए है अब तुमसे बोरियत भी होने लगी है, चलो गुड नाईट कहती, नशे में झूमती वह अंदर चली गई, उसकी टक्कर से टेबल पर रखा गिलास गिरकर टूट गया, साथ ही अमोघ के सपने भी।