आनंद एल. राय और शाहरुख खान की जुगलबंदी / जयप्रकाश चौकसे

Gadya Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
आनंद एल. राय और शाहरुख खान की जुगलबंदी
प्रकाशन तिथि :03 जनवरी 2018


आनंद एल.राय की शाहरुख खान अभिनीत फिल्म का नाम 'ज़ीरो' रखा गया है। यह एक बौने पात्र की कथा है। बांग्ला भाषा के लेखक शंकर के उपन्यास 'चौरंगी' में एक पांच सितारा होटल में आने-जाने वाले मुसाफिरों और वहां कार्यरत कर्मचारियों के सुख-दु:ख की कथा है। होटल में एक लंबी लड़की और उसके बौने साथी के आइटम में बौने को लड़की का प्रेमी बताया गया और वह उसकी जांघ, कंधे पर पैर रखकर उसके सिर पर बैठ जाता है। नृत्य जारी रहता है, दरअसल उस लड़की का सगा भाई है वह बौना और अपनी रोजी-रोटी की खातिर उन्हें यह काम भी करना पड़ता है। राजिंदर सिंह बेदी या अमृता प्रीतम ने एक लंबी लड़की की व्यथा-कथा लिखी है। अपने कद के कारण उसका विवाह नहीं हो पाता। हास्य कलाकार राजपाल यादव का विवाह एक ऊंचे कद वाली महिला से हुआ है। मनुष्य के कद से उसके काम-आचरण का आकलन करना निहायत ही गैर वैज्ञानिक है। यौन विषय पर मास्टर्स ने भी यही तथ्य प्रस्तुत किए हैं।

बहरहाल, आनंद एल. राय की फिल्म का शंकर के उपन्यास 'चौरंगी' से कोई सम्बंध नहीं है। पटकथा अलग स्वतंत्र रचना है परंतु चौरंगी पढ़ने से आनंद एल. राय को लाभ हो सकता है। ज्ञातव्य है कि कमल हासन एक फिल्म में बौने की भूमिका कर चुके हैं। आज टेक्नोलॉजी विकसित हो चुकी है और विशेष प्रभाव वाले दृश्य विश्वसनीयता से प्रस्तुत किए जाते हैं। व्यवस्थित फिल्मकार आनंद एल. राय ने कुछ दिन महज प्रयोग के लिए शूटिंग भी की है। अपने कॅरियर की ढलान पर शाहरुख खान को यह फिल्म अनेक अवसर उपलब्ध करा सकती है और उनके दिल में यह जो मलाल है कि उनकी कोई फिल्म उनके समकालीन सलमान खान और आमिर खान की फिल्मों की आय के नजदीक भी नहीं पहुंच पाई, काफी हद तक कम हो सकता है। किसी दौर में शाहरुख खान का तकिया कलाम था कि 'आई एम ग्रेटेस्ट' और वे ही अब बौने पात्र की भूमिका करेंगे तो उनकी सोच से मिथ्या अहंकार का भ्रम दूर हो जाएगा। इस तरह भूमिकाएं भी व्यक्तित्व विकास में सहायक हो जाती हैं जो 'परकाया प्रवेश' से अलग बात है। तंत्र परम्परा में 'परकाया प्रवेश' एक रस्म की तरह है।

मीना कुमारी ने गुरुदत्त की 'साहब, बीबी और गुलाम' में अपने पति का प्रेम आदर पाने के लिए उसके आग्रह पर शराब पीना प्रारंभ किया। पति का प्रेम उसे मिला परंतु वह शराब नहीं छोड़ पाई। यही उसकी त्रासदी थी।

ज़ीरो को हिन्दी में शून्य और उर्दू में सिफर कहते हैं। शब्दों के जन्म और उनकी रोमांचक यात्रा पर भोपाल निवासी डॉ. शिवदत्त शुक्ल ने गहन अध्ययन किया है। इसी विषय पर अजीत वडनेरकर की भी किताब प्रकाशित हो चुकी है। सिफर अरबी भाषा का शब्द है। विज्ञान के विकास में सिफर या शून्य प्रारंभिक यूनिट है, यह वह आधारशिला है जिस पर विज्ञान गणित का भवन खड़ा है। दशमलव प्रणाली विज्ञान की लंबी कूद सिद्ध हुई। हिब्रू भाषा में सिफर का अर्थ गणना माना जाता है। अंग्रेजी भाषा में डिसाइफर भी गुत्थी को सुलझाने की तरह माना जाता है। मौजूदा हुकूमत का सीक्रेट एजेन्डा सचमुच सीक्रेट नहीं है। उन्हें उनके घिनौने इरादों की पारदर्शिता के लिए बधाई दी जानी चाहिए। अवाम के बंटते रहने में उनका टिका रहना निहित है। दीवार की दरारों में तिलचट्‌टे अपना घर बना लेते हैं। जिरहबख्तर छाती में धंसकर प्राण बचाने के बदले प्राण ले लेता है। आंतड़ियों में बने सिस्ट में कुरीतियों का अमीबा फलता-फूलता रहता है।

बाजार ने कद और गौर वर्ण के आधार पर बड़ा व्यवसाय रच लिया है। आनंद एल. राय ने टेलीविजन उद्योग में काम किया है और फिल्म निर्माण में उनकी 'तनु वेड्स मनु' एक कल्ट फिल्म सिद्ध हुई है। आज भी नायिका के चरित्र चित्रण में तनु का प्रभाव देखा जा सकता है। तनु नामक चरित्र चित्रण एक एटम बम की तरह साबित हुआ और विकिरण सभी जगह देखा जा सकता है। वे अधिकतम प्रभाव अल्पतम खर्च से प्राप्त करना जानते हैं।

भारतीय मध्यम-वर्ग की गृहिणियों के किफायत मंत्र से ही देश की अर्थव्यवस्था अभी भी जीवित है। हमारे वित्त मंत्रालय में कुछ गृहिणियों की नियुक्ति की जानी चाहिए, क्योंकि आला अफसर अर्थशास्त्र की चंद किताबें पढ़कर तबाह हो चुके हैं। अधूरा ज्ञान अज्ञान से अधिक हानिकारक होता है। शाहरुख खान के फिल्म निर्माण विभाग में तो सितारे के अंडर गारमेंट्स भी विदेशी ब्रैन्ड के खरीदे जाते हैं। आनंद एल. राय का निर्माण प्रबंधन कच्छे भी खरीद लेता है। इस फिल्म की निर्माण प्रक्रिया में शाहरुख खान अपने व्यक्तित्व के प्रवासी भारतीय तत्वों से मुक्त हो सकते हैं।