आनंद ले काम का कामयाबी खुद आएगी / राजी खुशी
मुखपृष्ठ » | पत्रिकाओं की सूची » | पत्रिका: राजी खुशी » | अंक: दिसम्बर 2011 |
हम में से कम ही लोग काम का मजा लेते हैं। ज्यादातर लोग काम को एक बोझ समझते हैं। ऐसे लोग महज अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए काम करते हैं व सामाजिक उत्थान के कार्यों में अपना योगदान नहीं देते। वे नहीं जानते कि काम करने के दौरान कैसे उसका आनंद लिया जाए।
ऐसा तभी होता है, जब हम अपनी पसंद का काम नहीं चुनते। हमें यह समझना होगा कि जब हम अपनी पसंद का काम नहीं चुन सकते तो जो कर रहे हैं उसी में आनंद खोजें। हम अक्सर काम को बदलने की सोचते रहते हैं। दुनिया में ऐसा कोई काम नहीं जिसमें हम अपनी योग्यता न साबित कर सकें। ऐसे लोगों को मुम्बई के डब्बावालों की कहानी पढऩी चाहिए। वे अपने काम को इतने सलीके से करते हैं कि उसमें असफलता की गुंजाइश 0.01 प्रतिशत से भी कम रहती है, जबकि ज्यादातर उसमें अनपढ़ लोग ही हैं। वे अपने काम का आनंद लेते हैं, इसलिए सफल हैं। उनकी वितरण प्रणाली को न केवल भारत, बल्कि विदेशों में टॉप मैनेजमेंट संस्थानों में पढ़ाया जाता है। उन्होंने साबित कर दिखाया कि कोई भी काम छोटा नहीं होता है। आपको अपने आस-पास भी ऐसे कई उदाहरण मिल जाएंगे। मैं कभी भी एक बार में दो प्रोजेक्ट हाथ में नहीं लेता। इससे मुझे समझने और गुणवत्तायुक्त समय देने में आसानी होती है। लोग मुझसे पूछते हैं, तो मैं उन्हें कहता हूं कि मैं पैसे से ज्यादा अपनी संतुष्टि और आनंद के लिए काम करता हूं। पैसे के लिए काम करना और काम करते हुए उसका आनंद लेना, दो अलग चीजें हैं।
एक बार कारखाने का प्रबंध निदेशक (एमडी) कारखाने में श्रमिकों का निरीक्षण कर रहा था। उसने देखा कि दीवार के पास एक युवक आराम से खड़ा है। उसके पास जाकर उसने पूछा, तुम्हें कितना वेतन मिलता है? वह युवक पहले तो थोड़ा हैरान हुआ कि ऐसा उससे क्यों पूछा जा रहा है, फिर उसने जवाब दिया, दस हजार रुपये महीना, सर। लेकिन क्यों? एम.डी. ने बिना उत्तर दिए अपनी जेब से तीस हजार रुपये निकालकर उसे देते हुए कहा, मैं यहां लोगों को काम करने के पैसे देता हूं, खड़े होकर सुंदरता निहारने के लिए नहीं। ये लो तुम तीन महीने की सैलरी और दफा हो जाओ, यहां से..। युवक ने तेजी से वहां से खिसक लिया। दूसरे कर्मचारियों को अपनी ओर आश्चर्य से देखते पाकर एम.डी. ने गुस्से के साथ उन सभी को ताकीद की, कि इस कंपनी में हर आदमी के साथ यही नियम लागू होगा। फिर एम.डी. ने एक कर्मचारी से पूछा, वह युवक कौन था, जिसे अभी बाहर किया है? जो जवाब उसे मिला उसे सुनकर वह हैरान रह गया, वह पिज्जा डिलीवरी करने वाला लड़का था, सर। मैं नहीं जानता कि आप उस एम.डी. को किस श्रेणी में रखेंगे, पर इतना तय है कि ज्यादातर लोग यह समझ नहीं पाते कि वे क्या करने जा रहे हैं। मैंने खुद ट्रेनिंग, प्रोजेक्ट बनाने, एडमिनिस्ट्रेशन और शिक्षण आदि कई तरह के काम किए हैं, लेकिन हर काम में मैंने आनंद खोज लिया था। मैंने कभी नहीं कहा कि मुझ पर काम का बोझ है। मुझे याद नहीं कि किसी काम को समय पर न कर पाने के लिए मैंने कभी क्षमा मांगी हो, जबकि मैं अक्सर अपनी पारिवारिक व पेशेगत जिम्मेदारियों के अलावा सामाजिक कार्यो में भी शामिल होता हूं। ऐसा इसलिए, क्योंकि मैं अपने काम का आनंद लेता हूं और उसे पूरे दिल से करता हूं।अपने काम को पूरे दिल से करें तो सफलता आपके कदम चूमेगी। अपने काम का आनंद लेना ही सफलता का मूलमंत्र है। आपको तब तक सफलता हासिल नहीं हो सकती, जब तक आप अपने काम का आनंद नहीं लेंगे। जब आप जीवन में कुछ हासिल करेंगे तो आपके आस-पास के लोग आपको प्रेरित करेंगे, जिससे आपको लोगों से अलग होने का एहसास होगा। यही वजह है कि भारत के प्रसिद्ध प्रेरक एवं प्रशिक्षक शिव खेड़ा ने कहा है कि विजेता कोई अलग काम नहीं करते लेकिन वे अलग तरीके से काम करते हैं। अपने काम को एंज्वाय करने के लिए आपको उसके हिसाब से एडजस्ट होना होगा। कोई दूसरा आपको यह नहीं सिखा सकता। दूसरों की मदद का इंतजार भी न करें। अगर आपको सफल होना है व विजेता बनना है तो यह आपकी सोच यह होनी चाहिए कि आप सर्वोत्तम हैं। याद रखें कि हर काम में सर्वोत्तम किया जा सकता है।
(पुस्तक खुद बदलें अपनी किस्मत से साभार)