आयकर और मनोरंजन उद्योग / जयप्रकाश चौकसे

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आयकर और मनोरंजन उद्योग

प्रकाशन तिथि : 02 फरवरी 2011

आयकर विभाग ने कैटरीना कैफ, प्रियंका चोपड़ा और रेशमा शेट्टी के घर पर छापे मारे हैं। रेशमा कैटरीना, करीना और सलमान की बिजनेस मैनेजर हैं। उपलब्ध जानकारी यह है कि कैटरीना के घर इस छापे में कुछ नहीं मिला, यहां तक कि मध्यम वर्ग के परिवार में होने वाली छोटी रकम भी नहीं मिली। उन्होंने अपनी आय का निवेश सरकारी अनुमति से नियामानुसार किया है, परंतु प्रियंका के घर से कुछ धन मिला है। इन आयकर छापों को मीडिया में यथेष्ट प्रचार मिला और यही शायद उनका मकसद भी था। यह सब उन दिनों में हुआ जब विदेशी बैंकों में भारतीय काले धन की खबरें सर्वत्र फैली थीं। आम आदमी के मन में गुस्सा है कि उसका जीवन कठिनतम हो रहा है और नेताओं, अफसरों और धनाड्य व्यक्तियों ने अपार धन विदेशों में छुपाया है। क्रोध इस बात पर भी है कि नेता-अफसर और बड़े उद्योगपतियों के काले धन और दुराचरण की रक्षा सरकारी तंत्र करता है। जीवन के हर क्षेत्र में हमारे दोहरे मानदंड और कानूनी विधान हैं। पूरे राष्ट्र के लिए एक नियम और एक नीति नहीं है।

आयकर के तार्किक होने के बाद फिल्म उद्योग में काला धन मात्र दस प्रतिशत रह गया है, क्योंकि सारा निर्माण और वितरण कॉर्पोरेट कंपनियों के हाथ में है और वे काला धन नहीं देतीं। दूसरी बात यह है कि आज के सितारे अपनी आय का व्यवसाय व संपत्ति में निवेश करना चाहते हैं और इसमें काला धन काम नहीं आता। हर सितारे ने संपत्ति और व्यवसाय प्रबंधन के विशेषज्ञों की सेवाएं ली हैं। इन सितारों को पटकथा समझने का ज्ञान भले ही न हो, परंतु बैलेंस शीट समझते हैं, लाभ-हानि समझते हैं।

सितारों के घर मारे गए छापों में उनके कम्प्यूटर और मोबाइल पर प्राप्त संदेश मनोरंजक हो सकते हैं। गुप्त धन के बदले गुप्त प्रेम प्रकरण उजागर हो सकते हैं। विदेशों में कराई सौंदर्य शल्य चिकित्सा का हिसाब भी मिल सकता है। यह सुडौल नाक, रसीले होंठ और उम्र के पंजों से मुक्त त्वचा सौंदर्य सर्जन की कलाकारी है। रतजगों से आंख के नीचे की व्यक्तिगत कुंठाएं गठानों की तरह उभरती हैं और मात्र पंद्रह मिनट की शल्य क्रिया से दूर हो जाती हैं। कुंठाओं को जिस्म में कहीं और ठिकाना खोजना होता है।

जहां फिल्म के निर्माण में राजनैतिक दल का धन लगा है, वहां फिल्म की आय के काल्पनिक आंकड़े खड़े करके काला धन सफे द बनाया जाता है। यह कुछ समय पूर्व की एक भव्य सफलता की हकीकत है। इस तरह का खेल इतने महीन ढंग से बुना जाता है कि एक भी सबूत नहीं मिलता।