आरती अग्रवाल री गळी / डॉ. मदन गोपाल लढा / कथेसर

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मुखपृष्ठ  » पत्रिकाओं की सूची  » पत्रिका: कथेसर  » अंक: अक्टूबर-दिसम्बर 2012  

पूरै चवदै बरसां पछै करण उण गळी साम्हीं ऊभो हो।

नगरपालिका रै रिकार्ड में उण गळी रो नांव सेठ शोभाचंद मार्ग दरज हो पण करण री ओळूं में उण रो नांव 'आरती अग्रवाल री गळी’ थिर हो। करण नै लखायो कै गळी रो रूप पैलां करता खासा बदळग्यो। पैलां जठै गळी रै खूंणै माथै लाल रंग री लोह री खिड़क अर लाम्बी-चवड़ी बाखळ वाळो घर हो, बठै अबै तीन तल्ला हेली बणगी। गळी री खड़वंजा सड़क री जगै अबै सीमेण्टेड चौका लाग्योड़ा दीसै हा। पैलां गळी में दोनूं पासै नाळी ही पण अबै उण नै चौकां हेठै लुको दीवी ही। करण आपरी मन मगजी में बस्योड़ी उण गळी री इमेज नै अपडेट करै हो। चाणचकै उणनै लाग्यो कै गळी रो उणियारो भलांई बदळग्यो हुवै पण उणरो हियो मतळब उणरी सौरम बा ई सागी है। करण दूर सूं गळी मुड़ण सूं ठीक दो घर पैलां आरती अग्रवाल रै घर कानी तकायो। करण नै लाग्यो कै उण घर रो उणियारो कोनी बदळ्यो। बारै कुत्ता खिड़की री ठौड़ मोटो बारणो अर गळी में उतरतो रैम्प अवस नुवों हो, जिण सूं उण घर में साझन बापरणै री सूचना मिलै ही। उण घर नै मांयनै सूं तो पैलां ई नीं देख्यो इण कारण बदळाव रो ठाह पड़णो ओखो हो।

करण ओळूं रै बुगचै ने खंगेरतो गळी रै अैन बिचाळै भूरै गंडक नै सोधणो चायो पण बो कोनी दीस्यो। कांई ठाह गंडकराज बीजी गळी में आपरो बास बणा लियो हुवै का सौ बरस करग्या हुवै। गंडक कित्ता बरस जीवै आ उणनै ठाह कोनी। चवदै बरस पैलां बो गंडक कित्ता बरसां रो हो, इणरी पण जाण कोनी। गंडक री चिंता छोड़’र बो गळी में पूठो बावड़्यो पण बगत उणनै बार-बार चवदै बरस लारै खींचै हो। बै 'मुझे नींद ना आये..’ रा दिन हा अर आज 'बंगले के पीछे है ताला..’ तांई आवतां-आवतां अेक पूरो-सूरो जुग बीतग्यो। इण बिचाळै 'चैन इक पल नहीं..’ सूं लेय’र 'सीली-सीली औंदी है हवा..’ तांई केई रंग बगत रै कैनवास माथै उतर्या-उड्या है। करण चावतो कै मोबाइल रै इनबॉक्स में आयोड़ै अणचाइजता मैसेज दांई चवदै बरसां रै आंतरै नै मिटो न्हाखै पण मन री खूंटी टंग्योड़ा अेक-अेक कर’र पूरा चवदै कलैण्डर फडफ़ड़ा’र आपरै वजूद री साख भरै हा।


मुड़’र देख्यो जद

करण हिम्मत कर’र मन री ऊंडी सुरंग में उतर्यो तो चवदै बरस जूनो बगत उणरी आंख्या साम्हीं फिलम दांई चालण लागग्यो। सियाळै री ठण्ड़ी अर लम्बी रातां, भारत-पाक सींवाड़ै माथै बस्योड़ै श्रीगंगानगर जिलै रै सूरतगढ़ सहर रै हाउसिंग बोर्ड इलाकै में अेक कमरा रो घर अर उणमें माची ढाळ’र रेडियो सुणतो करण। मंगळवार रात साढ़ी नौ बजतां ई आरती अग्रवाल री मिसरी जैड़ी मीठी-मधरी वाणी हळगळ में गूंजण लाग जावती- 'मीडियम वेव तीन सौ छब्बीस दशमलव सात सौ नौ मीटर अर्थात् नौ सौ अठारह किलो हाट्रर्स पर आकाशवाणी का यह सूरतगढ़ केन्द्र है। राजस्थानी गीतों का गजरा 'गोरबंध’ लेकर मैं आरती अग्रवाल हर बार की तरह आपकी सेवा में हाजिर हूं........।’ ठण्डी रात में आरती अग्रवाल री झीणै बायरै-सी बोली अर 'मोर बोलै ओ पिवजी आबू रै पहाड़ां में ....।’ जैड़ै गीतां री सरगम करण नै किणीं बीजी दुनियां में खींच ले जावती। 'गोरबन्ध’ रा पचास मिनट इत्ता खाता टिपता कै पूछो मती! करण रै मन में आवती कै कदास ओ कार्यक्रम आखी रात चालबो करै अर बो आखी रात आरती अग्रवाल री जादुई आवाज नै घूंट-घूंट पीवतो रैवै।

करण जिण आरती अग्रवाल री आवाज रो पागलपण री हद तांई दीवानो हो बा आकाशवाणी में किणीं ऊंचै ओहदै माथै नीं, फगत अेक केजुअल कम्पेयर ही। केजुअल कम्पेयर मतळब घण्टा दीठ मानदेय माथै काम करण वाळी अस्थाई उद्घोषक। आ ड्यूटी हफ्तै में अेक-दो मस्सां मिलती। उणरै दांई बीस नैड़ा बीजा लोग ई केजुअल कम्पेयर रै रूप में आकाशवाणी सूं जुड़्योड़ा हा। आं में केई तो अैड़ा पण हा जकां नै केजुअल कम्पेयर रै रूप में काम करतां दस-दस बरस हुग्या। आरती अग्रवाल बी.कॉम री भणाई पूरी कर’र पैली बार ऑडिशन टेस्ट दियो अर आपरी मखमली आवाज रै पाण चुणीज’र पैली बार केजुअल कम्पेयर री ड्यूटी करै ही।

करण बां दिनां अेक दवा कंपनी रै अेम.आर. मतळब मेडिकल रिप्रंजटेटिव रै रूप में सूरतगढ़ इलाकै रो काम देखतो। डाकदरां अर मेडिकल दुकानदारां सूं मिलणो अर आपरी कंपनी री दवायां बेचण सारू अरज करणो उणरो काम हो। आखै दिन भाजा-नासी पछै बो आथण कमरै बावड़तो अर रोटी-पाणी रै सरंजाम पछै रेडियो खंनै लेय’र आडो हुय जावतो। महानगर जैपुर में आपरै घर सूं लगैटगै चार सौ किलोमीटर दूर इण ओपरै सहर में रेडियो ई उणरो सागड़दी हो। मंगळवार नै गोरबन्ध तो उणरी खास पसंद ही अर बिचाळै ई जद-कद उण मखमली आवाज नै सुण’र बो झट ओळख लेवतो कै आ आरती अग्रवाल बोल रैयी है। रेडियो बंद कर्यां पछै ई आ आवाज उणरी मन-मगज में गूंजती रैवती- 'गोरबंध सुणणियां सगळा श्रोतावां नै आरती अग्रवाल रो प्यार भर्यो नमस्कार। सावण री सुरंगी रुत में जद मन रो मोरियो घेर-घूमेर नाचण ढूकै तो कंठां सूं अै बोल आपै ही फूट पड़ै....।’ इण आवाज री उडीक में बो रेडियै रो पक्को श्रोता बणग्यो। जद बो कमरै हुवतो तो आकाशवाणी रै टैम मुजब रेडियो चालू ई रैवतो। चाणचकै जद उणरै कानां में आरती अग्रवाल री आवाज पड़ जावती तो लॉटरी लागणै सूं बेसी खुसी हुवती करण नै। बण 'आपका पत्र मिला’ कार्यक्रम में आरती अग्रवाल री आवाज री बिड़द रा च्यार-पांच कागद ई भेज्या, पण अेक ई सामल कोनी करीज्यो। इणरो कारण बींनै खासा पछै ठाह पड़्यो कै कागद बांचणिया उद्घोषक आरती अग्रवाळ जैड़ी नुवीं उद्घोषक री बडाई कींकर कर सकै ?


ये गळी सरकारी है

आवाज रै औळावै करण आपरी मन री पाटी माथै आरती अग्रवाल री जकी इमेज बणाई बा उण जमानै री चावी अभिनेत्री तब्बू सूं मेळ खावती ही। केई बार सुपनां में उणरी आरती अग्रवाळ सूं मुलाकात हुई तो बा तब्बू रै रूप में हुई। पण उणरी आवाज तब्बू करतां भोत मीठी ही। करण नै लखावतो कै उणरी आवाज री बरोबरी बीजी किणी सूं कोनी हुय सकै। फगत कोयल री कूक अर झरणै रै कल-कल में उणरी ओळ जोयी जा सकै।

अेक दिन करण नै ठाह पड़्यो कै उणरै बेली अंकित री बैन रंजना री खास भायली है आरती अग्रवाल। अंकित उण दांई अेक बीजी कंपनी रो अेम.आर. हो। इण खबर सूं करण रै हरख रो छेड़ो कोनी। अंकित जद बतायो कै करण आरती अग्रवाल री आवाज लारै बावळो हुयो फिरै तो रंजना री हांसी थाम्यां नीं थमी।

'करण भैया, आप कद मिळ्या आरती सूं?’ रंजना पूछ्यो।

'म्हैं....म्हैं तो कदी कोनी मिल्यो।’ करण कैयो पण इण उथळै रै सागै ई उणरै मन में आरती अग्रवाळ सूं अरू-भरू मिलणै री हूंस जागगी। 'फेर आ दीवानगी?’ रंजना भळै सवाल कर्यो।

'इण दीवानगी रो राज है रेडियो। आरती अग्रवाल री आवाज रेडियो री मारफत करण रै अंतस में घर बणा लियो।’ करण री जगै अंकित सवाल रो उथळो दियो।

रंजना बतायो कै आरती अग्रवाल रो घर कोर्ट री लारली गळी में है अर बा अमूमन हाउसिंग बोर्ड मांयकर ई आकाशवाणी जावै। बातां-बातां में रंजना आपरै जलम दिन री फोटुआं ई दिखाई जिणमें आरती अग्रवाल ई आयोड़ी ही। करण आपरै मन में मंड्योड़ी छिब सूं फोटू रो मिलाण कर्यो- मोढै़ तांई लाम्बा काळा बाळ, तब्बू करतां गोळ उणियारो, गेहूं बरणो रंग, मोटी-मोटी आंख्यां। फोटू देखतां करण नै आरती अग्रवाळ फूठरी लागी ही पण उणसूं ई फूटरी लागी उणरी आवाज। अबै करण सारू रेडियो सुणनै सागै अेक काम भळै बधग्यो। बो जद-कद बगत काढ’र कोर्ट रै लारै आरती अग्रवाळ री गळी रा गेड़ा काटण लागग्यो। उण गळी सूं उंपाळो ई हाउसिंग बोर्ड मांयकर आकाशवाणी तांई जावतो अर मारग में बगती छोर्यां मांय आरती अग्रवाल नै ओळखण नै खसतो। पण पचासूं गेड़ां पछै ई करण अेकर ई आरती अग्रवाल नै कोनी ओळख सक्यो। अेक छिण सारू फोटू में देख्योड़ी छोरी नै गळी बगतां पिछाणनो सोरो कोनी। इणरी ठोड़ जे उणरी आवाज सुण’र ओळखणो हुवै तो करण नै पतियारो हो कै बो अंधारी अमावस में हजार छोर्यां बिचाळै ई चूक कोनी करैला।


जोर रो झटको होळै-सी

आरती अग्रवाल री अवाज रै जादू में चितबगनै करण रा दिन जम्मूतवी अेक्सप्रेस री स्पीड सूं बीतै हा कै अेक दिन धोळै दौपारां उण खनै रंजना रो फोन आयो।

'करण भैया, कांई आप म्हनैं अबा’र कॉलेज में आय’र मिल सको?’

'कांई बात है रंजू?’ अंकित दांई करण ई रंजना नै रंजू कैवतो। 'स्सो ठीक तो है नीं? कॉलेज में अर अबै रो अबै?’ करण पूछ्यो।

'हां, आपसूं अेक जरूरी बात करणी है।’ रंजना री बोली में आवण री अरज ही।

'ठीक है, म्हैं आधी घंटां में पूगूं।’ करण कैयो अर डाकदरां सूं मिलणै रो काम बिचाळै छोड़’र गवर्मेण्ट कॉलेज सारू रवाना हुग्यो। मारग में बो सोचतो बगै हो कै अैड़ो कांई काम पड़ग्यो कै रंजना उणनै खड़ा-खड़ी कॉलेज बुलायो है।

कॉलेज री कैण्टीन में चाय रो कप लियां करण रंजना कानी सवालिया निजरां सूं तकायो तो उणरै मूंडै उतर्योड़ी चिन्ता रा भाव छाना कोनी रैया। 'करण भैया, कांई आप सांच्याणी आरती अग्रवाल री आवाज रा फेन हो?”म्हैं....हाँ..नीं..पण क्यूं?’ करण रै समझ में कोनी आयो कै रंजना फगत इण सवाल सारू ई उणनै कॉलेज बुलायो है कांई?

'म्हनैं ठाह है आप उणरी मखमली आवाज रा मुरीद हो। पण आरती अबा’र अेक मोटी मुसीबत में है अर उणनै आपरी मदद री जरूरत है। कांई आप करोला उणरी मदद?’

'म्हैं....म्हैं कांई मदद कर सकूं? कांई मुसीबत है थांरी भायली रै? रंजना री आडी करण रै अजै ई समझ में कोनी आई। केई छिण मून पछै रंजना जको राज खोल्यो बो करण सारू बम विस्फोट सूं कम कोनी हो। करण नै लाग्यो कै उणरी पगां हैठली जमीन खिसकगी हुवै। रंजना रा बोल उणरै मन में ईको साउण्ड दांई गूंजता रैया-'अेक्चुअली शी इज प्रेगनेंट अर आप जाणो आपणै समाज में कंवारी छोरी रो इण रूप में जीवणो संभव कोनी। आप उणनै संकट सूं बारै काढ़ सको।’

'म्हैं....म्हैं कियां?’

'आपनै फगत अेक दिन उणरै सागै श्रीगंगानगर जावणो है डाकदर खंनै। शी हेज नो अदर ऑप्शन अेक्सेप्ट अबोर्शन। इण छोटै शहर में बात नै लुकोवणी मुस्कल है। अेकली छोरी खातर इण काम में सौ अबखाई है पण अेक 'कपल’ खातर आ कोई बेजा बात कोनी।’

करण मून हो पण उणरै मन में सवालां रा भतूळिया उठ रैया हा।

'कांई म्हैं पूछ सकूं कै इणरै लारै कुण है?’ बण सवाल कर्यो।

'बा अेक लाम्बी कहाणी है। असल में उणरै सागै धोखो हुयो है। आकाशवाणी रो अेक अफसर जको उणनै रेडियो माथै केजुअल कम्पेयर लगावणै में मदद करी बण ई उणनै प्रेम-जाळ में फंसा’र उणनै इण मुकाम माथै ल्याय दी अर खुद कन्नी काटग्यो। बा 'डिप्रेशन’ में है अर आप जाणो अैड़ी हालत में आदमी कोई गळती कर सकै ।’ रंजना रो पडूत्तर हो।

'तो उणनै बीं नालायक रै खिलाफ कारवाई नीं करणी चाइजै?’ करण कैयो।

'थियरिटकली आपरी बात सांची है पण बदनामी रो ठीकरो असल में लुगाई रै सिर ई फूटै। इण बात रो ठाह आरती अर म्हारै अलावा अबै फगत आपनै है। आपरी अेक हामळ सूं अेक छोरी री जिंदगी बच सकै।’

करण गतागम में फसग्यो। मखमली आवाज रो जादू चिंदी-चिंदी बिखरतो दीस्यो। अगलै दिन रंजना रै बतायां मुजब करण आरती अग्रवाल सागै श्रीगंगानगर गयो अर डाकदर सूं मिल’र दो घण्टां में सगळो 'काम’ करवा दियो। जावतां अर आवतां मारग में अेक छिण खातर ई करण री आरती अग्रवाल सूं बात कोनी हुई। टैक्सी में बैठ’र घर जावती बेळा बण नीची नाड़ कर’र रोवणै सुर में 'थैंक्स’ कैयो तो उण आवाज नै अरूं-भरूं सुण’र करण रै जीव नै कीं सौरप पूगी।

इणरै पछै करण रो सूरतगढ़ सूं मन भरग्यो। रेडियो माथै बा आवाज ई सुणीजणी बंद-सी हुयगी। अंकित रै घरै जायां रंजना अवस जद-कद उणरी मदद सारू अेहसान मानती। उणींज बगत कंपनी करण नै महानगर जैपुर तबादलै रो मौको दियो तो बण झट हां भर दी।

मे आई हेल्प यू?

कांई ठाह करण रै मोबाइल नेटवर्क में कैड़ी खामी आई कै रोमिंग में जावतां ई उणरै मोबाइल में इनकमिंग बंद हुय जावती। आखतो हुय’र बण सेवा-प्रदाता कंपनी रै 'कस्टमर केयर’ रै नम्बरां माथै फोन लगायो। दस मिनट तांई कंम्प्यूटर सूं माथा-पच्ची पछै उणनै बतायो गयो कै 'हमारे कस्टमर केयर ऑफिसर जल्दी ही आपकी सेवा में हाजिर होंगे, कृपया प्रतीक्षा कीजिए।’ दो-ढाई मिनट तांई भळै कंपनी री ट्यून सुण्यां पछै चाणचकै उणरै काळजै अेक सैंधी आवाज उतरी-

'गुड इवनिंग, मैं आरती आपकी क्या मदद कर सकती हूं ....।’

करण चितबगनो-सो हुग्यो। कंठां सूं बोलीज्यो तक कोनी। आवाज भळै गूंजी-

'नमस्कार, मैं आपकी क्या मदद कर सकती हूँ...?’

'कुण आरती? आरती अग्रवाल?’ करण अबै तांई जांच लीवी कै आ आवाज उण आरती अग्रवाळ री ई है जकी चवदै बरस पैली सूरतगढ़ आकाशवाणी सूं गूंज्या करती।

'टेल मी सर, हाऊ केन आई हेल्प यू?’ उण आवाज में कोयल री कूक अर झरणै री कल-कल सुणीजी।

'म्हैं करण। करण यादव फ्रॉम जयपुर। ओळख्यो म्हनैं?’ करण री बोली में उंतावळ बधगी।

'बोलिए करण जी, आपकी क्या तकलीफ है? हमारी कम्पनी आपकी सेवा में तत्पर है?’

'आरती जी, आप भूलगी कांई म्हनैं? म्हैं....रंजना...।’

'माफी चाहूंगी सर, आप अपनी समस्या बताइए।”समस्या...कठै हो आप? म्हैं आपसूं मिलणो चावूं...।’ करण नेटवर्क री समस्या भूल’र चवदै बरस जूनै अतीत में जा पूग्यो।

'यदि आपको कोई परेशानी हो तो कस्टमर केयर में फोन कर सकते हैं। थैंक्स।’ बा मखमली आवाज भळै गूंजी अर फोन कटग्यो। करण सोच्यो कै स्यात् 'कस्टमर केयर’ रै फोन रिकॉर्डिंग सिस्टम रै कारण आरती अग्रवाळ उणरै सागै सावळ बात कोनी करी। बो दो-तीन बार भळै फोन लगायो पण आरती अग्रवाल लाइण माथै नीं मिली।

उणींज रात बस रो सफर कर’र बो सूरतगढ़ पूगग्यो अर ओळूं रै बुगचै नै अंवेरतो आरती अग्रवाल री गळी रै मुहांणै ऊभो चवदै बरस लारै तकावै हो। पण आरती अग्रवाल रै बिना उणनै बा गळी उजड़्योड़ी-सी लागी। बेमतळब गळ्यां में रुळतो-फिरतो करण आपरै जूनै भायलै अंकित रै घरै पूग्यो। बरसां बाद आपरै साथी नै देख’र अंकित हरो हुग्यो अर खूब लाड-कोड कर्या। अंकित अेम.आर. री नौकरी छोड़’र अबै खुद रो मेडिकल स्टोर कर लियो हो। उणरै जूनै घर री ठोड़ अबै कोठी बणगी ही। रंजना रो ब्याह हुग्यो हो अर अंकित रै आंगणै ई च्यार बरसां री नानकी रमै।

भायलै रै सुवागत में अंकित आथण 'आचमन’ रो बंदोबस्त कर्यो तो दोवूं बेली जूनी बातां में बिलमग्या।

'यार, बा आरती कठै है आजकळ? आई मीन आरती अग्रवाल, आपणी रंजू री भायली।’ छांटां-छिड़को अर हथाई बिचाळै करण जूनी डायरी रो कोई पानो-सो खोल्यो।

'आरती अग्रवाल? जिणरी मखमली आवाज माथै थूं मर्यो-जीवतो। अजे कोनी भूल्यो बीं नै।’ अेक छिण थम’र अंकित बोल्यो- 'उणरो आकाशवाणी रै अेक अफसर सागै चक्कर हो। केई दिन तो लुकमींचणी चाली, छेकड़ दोवूं 'कोर्ट मैरिज’ कर’र जैपुर चल्या गया। म्हनैं तो उण बगत ई ठाह हो पण थारी दीवानगी रै कारण कदी बतायो कोनी। रंजू बतावै ही कै आजकळै बा अेक कॉल सेंटर में काम करै।’ करण नै लाग्यो कै गळी उजड़णै रै सागै उणरै हियै में थरप्योड़ी मीठी आवाज री देवी री मूरत ई फूट’र खिंडगी हुवै। भीतर रो समंदर हिलोरा भरण लागग्यो तो अंगूर री बेटी रो जादू ई हवा हुग्यो।