आर्थिक मंदी और पशु केंद्रित फिल्में / जयप्रकाश चौकसे

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आर्थिक मंदी और पशु केंद्रित फिल्में
प्रकाशन तिथि :24 जून 2017


अमेरिका में आर्थिक मंदी का दौर 1933 में अपने चरम पर पहुंच गया था। उद्योग धंधे ठप पड़े थे। देश के आधे से अधिक सिनेमाघर बंद हो चुके थे। हॉलीवुड कैसे अछूता रहता, वह भी खस्ता हाल था। एक निर्माण कंपनी अफ्रीका जाकर विराट वनमानुष पर 'किंगकॉन्ग' नामक फिल्म बनाने का विचार कर रही थी। निर्माता को यह दुविधा थी कि वे फिल्म बनाए या नहीं! विचार बैठक में निर्माता ने कहा कि पटकथा रोचक है परंतु इसमें कोई प्रेम कथा नहीं है। लेखक एवं निर्देशक का खयाल था कि पटकथा में प्रेम-कथा की गुंजाइश ही नहीं है। यह एक कपोल कल्पित शिकार कथा है और अफ्रीका के घने जंगल इसका आकर्षण है। फिल्म की सहायक निर्देशिका ने सुझाव दिया कि अगर बनमानुष को उसे पकड़ने आए दल में शामिल एक लड़की से प्रेम हो जाए तो यह एडवेंचर फिल्म एक प्रेम-कथा बन सकती है। इस विचार को सभी ने सराहा और पटकथा का नया संस्करण लिखा गया।

विराट बनमानुष को दल की सदस्या से प्रेम हो जाता है और उस प्रेम-जाल के कारण वह पकड़ा जाता है। दल पानी के जहाज से लौट रहा है, जिसके तलकक्ष में बनमानुष कैद है। ऊपरी तल पर लोहे की जाली लगी है, जिस पर चलती हुई नायिका का लाल रंग का स्कार्फ हवा के कारण जाली से गुजरकर किंगकॉन्ग के चेहरे पर गिरता है। वह उसे चूमता है और नायिका के लिए आर्तनाद करता है। यह संभवत: फिल्म इतिहास का सबसे अनूठा प्रेम दृश्य है। किंगकॉन्ग की तड़प मजनू, फरहाद और रोमियो से अधिक मर्मांतक लगती है।

इस सफल फिल्म को दो बार और बनाया गया और हर बार सफल रही। इसी तरह हॉलीवुड में दो शेर भाइयों के मिलने, बिछुड़ने और फिर मिलने की फिल्म भी सफल रही। उन शेरों का दोस्ताना और भाईचारा किसी भी मनुष्य कथा से अधिक प्रभावित करता है। भारत में चिन्नप्पा थेवर ने राजेश खन्ना के साथ 'हाथी मेरे साथी' बनाई थी, जो अत्यंत सफल रही। कुत्ते की वफादारी पर भी अनेक सफल फिल्में बनी हैं। कस्तूरचंद बोकाड़िया की 'तेरी मेहरबानियां' भी इसी तरह की सफल फिल्म थी और वह उस दौर में सफल रही जब राज कपूर की 'राम तेरी गंगा मैली' धूम मचा रही थी। एक समीक्षक ने लिखा था कि गंगा के किनारे कुत्ता भी दौड़ रहा है।

अरुणा ईरानी के साथ एक सांप वाली फिल्म भी चली थी, जिसकी असंभव-सी कथा में कुछ ही क्षण पूर्व जन्मे सपोले को मानवीय मां दूध पिलाती है और वह ताउम्र 'दूध का कर्ज' चुकाता है। इस तरह की एक कथा उस सपेरे की है, जिसने नागिन पाली है परंतु जब सपेरा का विवाह हो जाता है, तो नागिन उसे डस लेती है। सपेरा सांप का जहर निकाल चुका था परंतु समय बीतने पर जहर का असर फिर हो गया।

अमेरिका में फिल्म की शूटिंग के लिए जानवरों की आवश्यकता पड़ती है, तो वहां एक संस्था में जानवरों को प्रशिक्षित किया जाता है। इसे 'एनीमल स्टूडियो' कहते हैं। कुत्ते की एक किस्म इतनी खतरनाक होती है कि वह मनुष्य के शरीर को चीर सकता है। इस प्रजाति को पालने वाले कुत्ते के जबड़े को लोहे के एक जंगले से बांधे रखते हैं। जर्मनी की फिल्म विधा सिखाने वाली एक संस्था से आया एक मराठी भाषी युवक इसी विषय पर एक पटकथा लिए भारत आया था। उसकी कथा में एक कमजोर आदमी नायक है, जिसकी दुर्बलता का सभी लोग मजाक उड़ाते हैं। वह इसी तरह का खूंखार कुत्ता खरीदकर लाता है और लोग दहशत के कारण उसका मखौल नहीं उड़ाते। इतनी क्षीण-सी कथा पर उस व्यक्ति ने अत्यंत रोचक पटकथा लिखी थी। उसने कई सितारों को पटकथा सुनाई परंतु कोई भी सितारा कुत्ते के नायक वाली फिल्म में चरित्र अभिनेता के रूप में काम करने को तैयार नहीं हुआ। मनुष्य और जानवर की दोस्ती व दुश्मनी पर अनेक फिल्में बनी हैं। कुछ सितारे अपने पालतू कुत्ते के लिए विदेश से डॉग बिस्कुट आयात करते हैं। कुत्ते को सही ढंग से केवल धनवान व्यक्ति पाल सकता है। भवनों के एक काम्प्लेक्स में कारों की सफाई करने वाला बालक सड़क पर आवारा घूमता कुत्ता ले आता है। इस फिल्म में एक नेता उस निरीह कुत्ते से अनावश्यक दुश्मनी पाल लेता है। वह अत्यंंत रोचक फिल्म थी। इस फिल्म का नाम था, 'चिल्लर पार्टी' राज कपूर की जोकर फिल्म के एक गीत की पंक्तियां थीं, 'जानवर वफादार होते हैं और ये इंसान- माल जिसका खाता है, प्यार जिससे पाता है, उसके ही सीने में भोंकता कटार है।'