आर.बाल्की की 'का' और 'की' दाम्पत्य दास्तां / जयप्रकाश चौकसे

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आर.बाल्की की 'का' और 'की' दाम्पत्य दास्तां
प्रकाशन तिथि :03 अगस्त 2015


आर. बाल्की विज्ञापन फिल्मों में शिखर सिंहासन पर बिराजे हैं और उन्होंने कथा फिल्मों का निर्माण तथा निर्देशन प्रारंभ किया 'चीनी कम' से जिसमें पैंतीस-चालीस के बीच की तब्बू और करीब साठ के अमिताभ बच्चन की मनोरंजक प्रेम-कथा थी। इस सफलता के बाद उन्होंने अमिताभ बच्चन और अभिषेक बच्चन के साथ 'पा' बनाई जो सफल रही। उनकी पत्नी गौरी शिंदे ने श्रीदेवी के साथ 'इंग्लिश विंग्लिश' बनाई जो अत्यंत सफल रही। आर.बाल्की ने अमिताभ बच्चन और दक्षिण भारत के धानुष के साथ 'शमिताभ' रची जो उनकी एकमात्र असफल फिल्म है। अपनी पहली दो फिल्मों में आर. बाल्की अपनी फिल्मों पर पूरा नियंत्रण रखे हुए थे परंतु 'शमिताभ' संभवत: उन्होंने अमिताभ बच्चन के प्रशंसक के रूप में गढ़ी और फिल्म का मध्यांतर के बाद का भाग असंतुलित हो गया। उन्होंने धनुष के पात्र को अत्यंत जनप्रिय पात्र के रुप में गढ़ा और दर्शक छोटे कस्बे के गरीब गूंगे ल़ड़के के सफल सितारे होने की यात्रा से भावनात्मक तौर पर जुड़ गए परंतु आर. बाल्की ने इस प्यारे पात्र को मार दिया और अमिताभ के साथ कई ऐसे दृश्य रचे जिनके साथ दर्शक को जुड़ना संभव नहीं था। मसलन लंदन में रॉबर्ट डिनीरो के पोस्टर से बच्चन का एकालाप और अनजान कब्र से लंबी बातचीत इत्यादि। 'शमिताभ' से अधिक गैर पारंपरिक एवं साहसी 'चीनी कम' और 'पा' के साथ दर्शक भावनात्मक तादात्म्य जोड़ना आर. बाल्की की अभूतपूर्व सफलता थी।

बहरहाल उनकी नई निर्माणाधीन फिल्म में करीना कपूर और अर्जून कपूर पति-पत्नी की भूमिका में हैं और यह दाम्पत्य जीवन के आनंद और अवसाद की कथा हो सकती है और अपनी पहली तीन फिल्मों की तरह इसका टाइटिल 'का एंड की' भी दर्शक की जिज्ञासा जगाता है। सुना है कि इस फिल्म में भी अमिताभ बच्चन और जया बच्चन की मेहमान भूमिकाएं हैं। अमिताभ बच्चन उनकी सृजन प्रक्रिया का अविभाज्य अंग बन चुके हैं। बहरहाल, दाम्पत्य जीवन आज बहस का विषय बन चुका है, क्योंकि तलाक की संख्या बढ़ रही है और कई लोग इस महान संस्था को अनावश्यक मानने लगे हैं। इस विषय में बोल-चाल की भाषा में सदियों पूर्व से इस तरह के वाक्य सुनने को मिलते रहे हैं कि 'शादी वह ल़ड्‌डू है कि जो खाए वह पछताए और जो न खाए वह भी पछताए।' दाम्पत्य जीवन एक कला है, जिसे दोनों सदस्यों को बार-बार नएपन से सींचना चाहिए, ऊब और थकान इस रिश्ते से दूर रखना चाहिए। हंसने-हंसाने का माद्‌दा इस संस्था रूपी मशीन के लिए तेल की तरह है ताकि इंजन में कार्बन न जमा हो सके।

शादी प्राय: गुरिल्ला युद्ध में बदल जाती है, पति-पत्नी मौका पाते ही आक्रमण करते हैं और फिर अपनी जन्मना कमजोरियों के पहाड़ों के पीछे छुप जाते हैं। इस तरह का रिश्ता संतानों के लालन-पालन में खोट पैदा करता है। प्रेम के प्रारंभ में युवक को युवती सबसे खूबसूरत स्त्री लगती है और युवती को पुरुष सद्गुणों की खान लगता है परंतु शादी के बाद दोनों के भरम टूटते हैं और गुरिल्ला युद्ध के हालात बनते हैं। शादी के बाद भी पहले वाला दृष्टिकोण बनाए रखना कठिन होता है। प्रेम में नित नए आविष्कार करते रहना चाहिए। बहरहाल सफल शादी के कोई नुस्खे नहीं हो सकते परंतु शादी की वजह प्रेम के अतिरिक्त कुछ नहीं होनी चाहिए। आर.बाल्की की पत्नी का नाम गौरी शिंदे है। स्पष्ट है कि उदारमना आर. बाल्की ने अपनी प्रेमिका को नाम बदलने के लिए बाध्य नहीं किया। यह सफल शादी के लिए अनिवार्य है कि दोनों अपने निजी व्यक्तित्व को कायम रखें और उसे विकसित करें। यह प्रकृति का अजूबा है कि कोई दो व्यक्ति एक से नहीं हैं। एक ही सैम्पलिंग से थोड़ी-सी दूरी पर लगाएं दो पौधे बड़े होते हैं तो उनके पत्तों का डिजाइन अलग हैं, उन पर लगने वाले फलों का स्वाद अलग है। शादी में दो लोगों के मतों में विरोध के बावजूद वे प्रेम से रहें - यह आवश्यक है।

'का एंड की' की कास्टिंग कमाल की है। करीना कपूर और अर्जुन कपूर दोनों ही राज कपूर से जुड़े लोग हैं। अर्जुन के दादा सुरिंदर कपूर राज कपूर के पड़ोसी रहें और दोनों परिवारों के बच्चे साथ खेले खाए हैं। अर्जुन ने दीपिका, नसीरुद्दीन शाह और पंकज कपूर जैसे शिखर अभिनेताओं के साथ 'फाइंडिंग फैनी' में अपनी जमीन नहीं छोड़ी और आर. बाल्की की इस दाम्पत्य कथा में अमिताभ बच्चन व जय का तड़का भी है।