आर बाल्की की अनोखी शमिताभ / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि :08 जनवरी 2015
विज्ञापन की दुनिया में शिखर पर विराजे आर बाल्की कथा फिल्मों में 'चीनी कम' और 'पा' के बाद अब 'शमिताभ' फरवरी में प्रदर्शित करने जा रहे हैं। यह अब तक की उनकी सबसे महत्वाकांक्षी फिल्म है। इसमें अमिताभ के साथ दक्षिण के लोकप्रिय धनुष अभिनय कर रहे हैं। जिन्हें अभिनय के लिए राष्ट्रीय पुुरस्कार मिल चुका है। उनकी 'रांझना' अत्यंत सफल फिल्म थी और रांझना में उनके स्वाभाविक अभिनय और भावना की तीव्रता ने दर्शकों को आश्चर्यचकित कर दिया। धनुष सिनेमा के पारंपरिक नायकों की तरह देखने में सुंदर नहीं हैं, परंतु अभिनय का प्रभाव है कि दर्शक सुंदर-असुंदर के संकीर्ण दायरे से बाहर निकल आते हैं। प्रेम की अनुभूति की तीव्रता को जीवंत कर देते हैं धनुष। जब शेक्सपीयर ने लैटिन अमेरिका में रची रोमियो-जूलियट की कथा को अपने नाटक का विषय बनाया तो उनका विचार था कि प्रेमानुभूति की तीव्रता में प्रेमी एक क्षण भी दूर रहना पसंद नहीं करते तो किसी प्रेम कहानी का घटनाक्रम महीनों कैसे चल सकता है, अत: शेक्सपीयर के पात्र मिलते हैं, उनमें प्रेम होता है और एक सप्ताह के भीतर के घटनाक्रम का अंत त्रासदी में होता है। 'रांझना' में धनुष द्वारा अभिनीत युवा प्रेमी इसी कोशिश से जीता है मानो अगली सुबह नहीं होगी।
अमिताभ बच्चन ने अपनी यात्रा अब्बास की सात हिंदुस्तानी से शुरू की थी, परंतु लगभग एक दर्जन असफल फिल्मों के बाद सलीम-जावेद और प्रकाश मेहरा की 'जंजीर' में उन्होंने आक्रोश की मुद्रा कुछ इस ढंग से की कि दर्शक स्तब्ध रह गए। क्या यह मुमकिन है कि चार वर्ष की असफलताओं और अपमान से उनके हृदय में क्रोध का दावानल धधक रहा था और उस पात्र के माध्यम से उन्होंने अपना क्रोध ही अभिव्यक्त किया हो। बहरहाल उसे आक्रोश की छवि ने उन्हें सुपर सितारा बना दिया, परंतु अपनी विलक्षण अभिनय प्रतिभा के दम पर ही उन्होंने इतनी लंबी यात्रा तय की है और अगले पड़ाव और अधिक रोचक होंगे। अब आर बाल्की की इस फिल्म में अमिताभ बच्चन के सामने युवा धनुष हैं, एक ने आक्रोश को जीया है तो दूसरे ने प्रेम में तीव्रता प्रस्तुत की है, गोयाकि एक उम्रदराज अभिनेता, अपने आक्रोश के शमन के बाद अब पके हुए कलाकार हैं और सामने खड़ा है धनुष जो उनके समान ही भावना की तीव्रता प्रेम कहानी में कहता है, गोयाकि यहां एक प्रकार का आक्रोश दूसरे प्रकार के आक्रोश से टकरा रहा है। अभिनय का यह दंगल रोचक होगा और शमिताभ के रचने वाले आर बाल्की एक समर्पित फिल्मकार हैं। वे विपरीत और विरोधाभास की स्थितियों को अपने सिनेमा में बखूबी साधते हैं। उनकी पहली कथा फिल्म 'चीनी' कम में नायिका और नायक के बीच उम्र की खाई मुंह खोले खड़ी है जिसे पाटकर उन्हें विवाह करना है। अपने से आधी से भी कम उम्र की तब्बू के साथ उन्होंने इस फिल्म में प्रेम का नया रसायन रचा। 'चीनी' कम में भोजन पकाना एक मेटाफर है और हमें फिर शेक्सपीयर की याद दिलाता है- 'इफ म्युजिक बी फूड ऑफ लव, प्ले ऑन।' उम्र के दो अलग छोरों पर खड़े पात्र प्रेम की अनुभूति को समान तीव्रता से जीते हैं। इसी तरह उनकी 'पा' भी एक विचित्र कथा थी। एक अजीबोगरीब बीमारी से ग्रसित पात्र उम्र के कैलिडियास्को में विचित्र पैटर्न रचते हैं और फिल्म में अभिषेक बच्चन अमिताभ के पिता की भूमिका में हैं। इस फिल्म का नाम भी शमिताभ हो सकता था। अब आर बाल्की अमिताभ बच्चन के साथ अपनी तीसरी और धनुष के साथ पहली फिल्म कर रहे हैं तथा धनुष की भी 'रांझना' के बाद दूसरी हिंदी फिल्म होगी। आर बाल्की मानवीय रिश्तों के कथाकार हैं। यूं तो उनकी फिल्मों के लोकेशन लंदन, दिल्ली इत्यादि महानगर होते हैं, परंतु वे तो अपनी फिल्मों को मानव हृदय की रहस्यमय कंदरा में ही शूट करते हैं। शामिताभ इस वर्ष की अत्यंत महत्वपूर्ण फिल्म है। आर बाल्की, अमिताभ बच्चन और धनुष का एक नया और उत्तेजक संयोग है। क्या अमिताभ बच्चन धनुष में अपना सात हिंदुस्तानी वाला युवा देखेंगे, गोयाकि उम्रदराज अमिताभ के सामने युवा अमिताभ खड़ा है। सिनेमाई आईने में व्यक्ति और आईने में उभरी छवि के बीच में अंतर होता है। स्वयं अमिताभ बच्चन अपनी 'अमर अकबर एंथोनी' में एक दृश्य आईने में उभरी अपनी परछाई से बात करने का कर चुके हैं। कुछ इसी तरह का दृश्य दिलीप कोहिनूर में और राज कपूर श्री 420 में कर चुके हैं। बहरहाल, 'शमिताभ' टाइटिल का अर्थ फिल्म देखे के बाद में समझ आएगा, परंतु आर बाल्की की गंभीर कथानक वाली फिल्मों में निर्मल हास्य के दृश्य गुगगुदी करते हैं।