आवाज़ / हेमन्त शेष
Gadya Kosh से
एक सुबह उसी चिड़िया की आवाज़ नींद में कहीं दूर सुनाई पड़ी. आँख खुली तो सुना वह आवाज़ पेड़ पर थी. मैं आवाज़ से चिड़िया का नाम जानता था, पर भूल रहा था. फिर वह आवाज़ पेड़ से उड़ी और दूर हो गई. पूरा दिन आवाज़ ने मेरा पीछा किया पर चिड़िया का नाम ध्यान न आना था, न आया. दुपहर को खाने पर बैठे तो चावल-दाल खाते एकाएक मैंने कहा- “धन्यवाद- ग्रीन बी ईटर!” बच्चों ने सुना और कुछ भी समझ न आने पर अपनी माँ की तरफ देखते हुए मुस्कुराने लगे!