आवाज ने खोला भेद / पंचतंत्र

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आवाज ने खोला भेद

किसी नगर में एक धोबी रहता था। अच्छा चारा न मिलने के कारण उसका गधा बहुत कमजोर हो गया था। एक दिन धोबी को जंगल में बाघ की एक खाल मिल गई। उसने सोचा कि रात में इस खाल को ओढ़ाकर मैं गधे को खेतों में छोड़ दिया करुँगा।

गाँववाले इसे बाघ समझेंगे और डर से इसके पास नहीं आएँगे।

खेतों में चरकर यह खूब मोटा-ताजा हो जाएगा। एक रात गधा बाघ की खाल ओढ़े खेत में चर रहा था।

तभी उसने दूर से किसी गधी का रेंकना सुना। उसकी आवाज सुनकर गधा प्रसन्न हो उठा और मौज में आकर स्वयं भी रेंकने लगा।

गधे की आवाज सुनते ही खेतों के रखवालों ने उसे घर लिया और पीट-पीटकर जान से मार डाला।

इसलिए कहते हैं अपनी पहचान नहीं खोनी चाहिए। कभी-कभी यह खतरनाक भी साबित होता है।