आशीष / इन्दु पाण्डेय खण्डूड़ी / कविता भट्ट
समृद्ध सैद्धान्तिक पृष्ठभूमि क्रियात्मक क्षमता एवं व्यावहारिक उपयोगिता के कारण योग-दर्शन एवं योगाभ्यास वैश्विक पटल पर अपना महत्त्वपूर्ण स्थान सिद्ध कर चुका है। योग-दर्शन एवं योगाभ्यास के वैश्विक महत्त्व सिद्ध होते ही इस विधा में नए दृष्टिकोण से नवीन परिप्रेक्ष्यों एवं अपेक्षाओं के अनुरूप अध्ययन एवं लेखन की अत्यन्त आवश्यकता है। विशेष रूप से असीम सम्भावनाओं एवं अद्भुत्त क्षमताओं से परिपूर्ण किशोर मन-शरीर के अनुशासन हेतु योग को सहज-सरल रूप से प्रस्तुत करना वर्तमान शैक्षणिक जगत् में महत्त्वपूर्ण चुनौती बनकर उभरा है। डॉ कविता भटट ने इस चुनौती को स्वीकार कर इस पुस्तक रचना का महत्त्वपूर्ण कार्य किया। इसके लिए वे बधाई एवं प्रशंसा की पात्र हैं।
डॉ भट्ट विगत एक दशक से योगदर्शन के सैद्धान्तिक एवं क्रियात्मक पक्ष के विविध पहलुओं पर शोध एवं लेखन में समर्पित भाव से कार्य कर रही हैं। परिणामतः योग-दर्शन के गम्भीर सैद्धान्तिक पहलुओं के साथ प्रायोगिक एवं क्रियात्मक पक्षों की उन्हें गहन समझ है; परन्तु;किशोर मनोविज्ञान के अनुरूप योग के सिद्धान्तों को समग्रता में प्रस्तुत करना और वह भी सहज-सरल भाषा में रोचक अभिव्यक्ति द्वारा; यह निश्चय ही एक कठिन कार्य है। इस कार्य को डॉ. भट्ट ने कुशलतापूर्वक किया है।
प्रस्तुत पुस्तक इस कारण विशिष्ट है; क्योंकि यह सैद्धान्तिक एवं व्यावहारिक पक्षों को पृथक् न कर समग्रता के साथ देखने का प्रयास है। योगाभ्यास एवं यौगिक क्रियाओं का मन-शरीर पर प्रभाव, शरीर एवं शरीर क्रिया विज्ञान के ज्ञान के अभाव में सम्मव नहीं है।शारिरिक संरचना एवं योगाभ्यास का उन पर सकारात्मक प्रभावों का वर्णन इस पुस्तक को विशिष्ट बनाता है। योगाभ्यास का मानवीय शरीर एवं मन पर सकारात्मक प्रभाव की प्रक्रिया को सात्त्विक एवं शाकाहारी भोजन प्रवृत्ति, नित्यकर्म में अनुशासन तथा अपेक्षित सामान्य नियमों का विवरण प्रस्तुतीकरण समग्र विषय-वस्तु का अपेक्षित आयाम है। योगाभ्यास के व्यावहारिक एवं क्रियात्मक पक्ष का प्रभावी ढंग से प्रस्तुतीकरण के बीच सम्यक् सैद्धान्तिक एवं आध्यात्मिक पक्ष का यथोचित विवेचन योग-दर्शन की मूल आत्मा को भी: बचाए रखने में समर्थ है।
विशेष उद्देश्य से लिखी गई यह पुस्तक छात्रों के लिए तो उपयोगी होगी ही, साथ ही सामान्य जन एवं योग के सिद्धान्त के जिज्ञासुओं एवं योगाभ्यास के इच्छुक सुधीजनों के लिए उपयोगी है। ऐसा मेरा विश्वास है। डॉ. भट्ट का श्रमसाध्य प्रयास अपने उद्देश्य एवं लक्ष्य को पूर्ण करें ऐसी मेरी शुभकामना है।
डॉ . इन्दु ( पाण्डेय) खण्डूड़ी
असोशिएट प्रोफ़ेसर, दर्शन शास्त्र विभाग,
हे . न . ब . गढ़वाल विश्वविद्यालय , श्रीनगर (गढ़वाल) उत्तराखण्ड