आ फोटू अठै कियां / सत्यनारायण सोनी
14 अक्टूबर, 2007।
आज ईद है। ईद सूं दो दिन पैली दरगाह में बम फूटग्यो। दो मरग्या, बाईस जख्मी हुया। हादसो दरदनाक हो, देस रै वास्तै सरमनाक हो। लोग इण में परदेस रो हाथ बतावै। पण... पण, देस-परदेस छोडो... परदेस में किसा इंसान को बसै नीं अर देस में किसा हैवान? परदेस रो अेक इंसान ईद सूं पैलड़ी सिंझ्या दिल्ली रै कुतुबमीनार में 'नवभारत-टाइम्सÓ कानी सूं आयोजित 'दिल्ली मेरा दिलÓ कार्यक्रम मांय गज़्ालां पेस करै...गुलाम अली। श्रोता झूमै। म्हारा साथी अंग्रेजी रा प्राध्यापक राजेन्द्र कासोटिया बठै बिराजमान। मोबाइल फोन माथै म्हानै गज़्ालां सुणावै...लाइव। अेक गज़्ाल रा शेर हा... 'कैसी चली है अबके हवा तेरे शहर में बंदे भी हो गए हैं खुदा तेरे शहर में। कुछ दुश्मनी का ढब है ना अब दोस्ती के तौर दोनों का इक रंग हुआ तेरे शहर में। शायद उन्हें पता था कि खातिर है अजनबी लोगों ने उसको लूट लिया तेरे शहर में।Ó ...शायर तो शायर है, इण में देस-परदेस कांईं! ...हिन्दु-मुसळमान कांईं! पण उण मिनख रो कांई करां...जको लारलै दिनां रामस्वरूप किसान रै बारलै कमरै मांय आयÓर बैठ्यो। कमरै मांय टंगी फोटुआं कानी आंगळी करÓर पूछ्यो- आ फोटू?ÓÓ किसोर कुमार री।ÓÓ किसान जी बतायो। अर आ?ÓÓ बण दूजी फोटू कानी आंगळी करी। मोहम्मद रफी री।ÓÓ मोहम्मद रफी रा फेन है किसान जी। पक्का। बां रो बेटो किरसन भी। होठां सूं बोल फूटण रै समचै ई बां रै चेÓरै ऊपर चेळको आयग्यो अर आंख्यां में नूरानी। जाणै मोहम्मद रफी रो नांव लियां बां नै घणों गुमेज हुयो हुवै। पण... पण, बो मिनख...जको फोटू कानी आंगळी करÓर पूछै हो...उणरी आंख्यां में खीरा हा...अर इसा ई उणरा बोल... ईं...री फोटू, आपरै घरां?ÓÓ सुणÓर किसानजी रै चेÓरै री रंगत बदळगी। उण मिनख सम्प्रदाय विसेस सारू अपमानजनक सबद बरत्यो हो अर किसानजी नै इण बात माथै जबरी झाळ आई। बोल्या- भाई साÓब, जळ अरोगो अर अठै सूं चालता बणो, तुरता-फुरत। म्हैं आपसूं नीं बतळा सकूं। बस!ÓÓ बो मिनख गयो परो। ........................ आज ईद है। म्हारी नींद खुली कोनी ही अजै, विजय रो फोन आवै। गुरुजी, ईद मुबारक।ÓÓ तनै भी।....और सुणा!ÓÓ गुरुजी, ईद मुबारकबाद रो धांसू-सो एसएमएस त्यार करÓर भेजो नीं अेक।ÓÓ क्यूं भई, तनै कांईं दरकार?ÓÓ क्यूं, ईद आपणी कोनी के?ÓÓ बो हांसतो थको बोल्यो। म्हैं ई हांस्यो...भेजूं भई, भेजूं।ÓÓ इत्तै में महबूब अली रो मैसेज आयो फेफाणै सूं... आज खुदा की हम पर हो मेहरबानी करदे माफ हम लोगों की सारी नाफरमानी ईद का दिन आज आओ मिल करें ये वादा खुदा की ही राहों में हम चलेंगे सदा सारे अज़्ाीजों अकरीबों को।ÓÓ -ईद मुबारक। लगतो ई आमीन खांन रो मळसीसर सूं... ईद-दिवाळी दोनूं आवै, ईं महीनै रै मांह। हिन्दु-मुसळिम सगळा मिलै, घाल गळै में बांह।ÓÓ म्हैं दोनूं ई मैसेज विजय नै भेजूं। ....................... घर में रुणक है। आज बेटी नीतू नै आपरी सहेली मैमुना रै घरां जीमण जावणो है। बा त्यारी करै। इणी बीच म्हानै अेक बात चेतै आवै, जकी नीतू री मैडम म्हनै कैयी ही कै नीतू री संगत सुधारो। म्हैं घणा सवाल-जवाब नीं कर्या हा उण मैडम सूं, पण म्हारी चिंता बधगी ही। आथण घणै हेत सूं नीतू नै वा ओळमैं-वाळी बात बताई। सुणÓर बा तो रोवण लागगी...। पापा, मैडम मैमुना खातर कैवै।ÓÓ म्हनै अचूंभो हुयो, क्यूं?ÓÓ मैडम नै बीं बास रा टाबर आछा कोनी लागै।ÓÓ ......................... प्रमोद नै भी मुश्ताक नूंत्यो है। मिठायां उडसी। बण मुश्ताक सारू निजराणो भी पैक कर्यो है। बो त्यार हुयो इत्तै में तो मुश्ताक आयग्यो आपआळो फीटर (जुगाड़) लेयÓर। उणरा दोय बेली और भी हा फीटर पर बीं रै साथै। नीतू मैमुना रै अर प्रमोद मुश्ताक रै घरां गयो। ........................ दीवाळी रा दिन नेड़ै आयग्या। हारुन आज ई कोनी आयो। रंग के ठा कद होसी। पन्दरा बरस होग्या घर घाल्यां नै। ईं घर गो तो म्हूरत उघडऩो ई कोनी।ÓÓ जोड़ायत रा बोल हा। आज तो ईद है। हारुन आज तो आवै कोनी। ईद सूं आगलै दिन लागण री कैवै हो।ÓÓ तो पूछ तो ल्यो फोन करगे! तड़कै लागै तो आज साÓमला दोनूं कमरा खाली करल्यां। बैड अर कम्प्यूटर बारलै कमरै में जचाणो पड़सी।ÓÓ हां भई, पूछूं।ÓÓ म्हैं हारुन नै फोन करूं। मोबाईल फोन री डायरेक्ट्री खोलूं। हारुन रो नांव सोधूं अर डायल करूं। घंटी री जिग्यां...'हरे राम...हरे राम...हरे कृष्णा, हरे राम...Ó सुणीजै। फोन काटूं। सोचूं, आ कॉलर ट्यून हारुन री नीं हुय सकै। स्यात रोंग नम्बर लागग्या। भळै नम्बर लगावूं। बा ई ट्यून! म्हैं अजय नै हेलो मारूं। बो आवै। बेटा, हारुन रा नम्बर देखÓर बताई।ÓÓ निनानवे दो सौ चौरासी, पंदरा जीरो चोमाळीस।ÓÓ बो डायरी देखÓर बतावै। म्हैं भळै डायल करूं। मोबाइल फोन रै स्क्रीन पर कॉलिंग रै साथै हारुन रो नांव आवै। नम्बर तो बै ई है। 'हरे राम, हरे राम...हरे कृष्णा...हरे रामÓ अर बा ई टोन। बो फोन रिसिव करै। म्हारै बोल्यां सूं पैली ई उणरी आवाज आवै.... गुरुजी, राम-राम!ÓÓ राम-राम भई, राम-राम। ईद मुबारक।ÓÓ गुरुजी, आपनै भी।ÓÓ यार, आ ट्यून? फोन तो तेरो ई है नीं?ÓÓ हां, क्यूं चोखी कोनी लागी?ÓÓ है तो चोखी।ÓÓ म्हैं बात नै टाळतो मतलब री बात माथै आयग्यो। हारुन, तू तड़कै लागसी नीं? म्हे समान बारै काढां।ÓÓ हां गुरुजी, काढल्यो। आठ बजे आ जास्यूं दिनगे।ÓÓ ठीक।ÓÓ म्हैं फोन काट दियो। ........................ म्हे सामान बारै काढण लागग्या। म्हैं उतरादै पासैआळै कमरै री अलमारी खाली करै हो। ईं कमरै मांय ई साम्होसाम थान है, मतलब पूजाघर है, जठै शिवजी अर गणेशजी री मूरतियां है। दुरगा, लिछमी अर हड़मानजी री फोटुआं जचायोड़ी है। म्हैं कदे पूजा-पाठ को करूं नीं, म्हारी जोड़ायत नै इण बात री घणी नाराजगी रैवै। बा है पक्की धार्मिक। स्कूल रो बारणो को देख्यो नीं, पण टाबरां रै देखोदेख घरे ई पढगी अर अटक-अटकÓर ई सही आंक तो बांचल्यै है। काÓल ई बारह म्हींनां रै बरत-त्यूंहारां री पोथी खरीदी है। बा ई अठै जचा राखी है। अलमारी खाली करतां-करतां म्हारी निजर थानां पर पड़ी। हड़मानजी अर दुरगा री फोटू बिचाळै अेक नुवीं फोटू दिखी म्हनै। हाथ में उठायÓर देखी, अेक पुराणै पोस्टकार्ड पर अखबार री रंगीन कतरन चिपायोड़ी। जिण माथै चाँद अर तारै रो चितराम अर ऊपर देवनागरी अर नीचै फारसी लिपि मांय मोटै-मोटै आखरां मांय मंड्योड़ो हो- 'ईद मुबारक!Ó म्हारै हरख रो पार नीं। म्हैं बा फोटू उठाÓर आंगण में ल्यायो अर पूछ्यो, आ फोटू थानां में कुण लगाई भई?ÓÓ म्हैं लगाई।ÓÓ जोड़ायत रा बोल हा। बा मुळकती अर म्हारो मूंडो जोंवती भळै बोली, पण थानै कोई तकलीफ?ÓÓ म्हानै कांईं तकलीफ हुय सकै ही अर इण बात सूं किणी नै कोई तकलीफ हुवै ई क्यूं!
(2007)