इंतिज़ार हुसेन / परिचय
उर्दू के प्रसिद्ध लेखक, शायर और पत्रकार इंतिज़ार हुसैन का 2 फ़रवरी 2016 को 93 साल की उम्र में डिफेंस हॉस्पिटल लाहौर में निधन हुआ था ।
उनका जन्म भारत के उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के दिबाई गाँव में 07 दिसंबर 1923 को हुआ था। 1947 में वह लाहौर चले गए थे। 1946 में उन्होंने मेरठ कॉलेज से एम०ए० (उर्दू) किया। 1988 में ‘डेली मशरीक’ से सेवानिवृत्त होने से पहले उन्होंने विभिन्न अख़बारों में काम किया।
उन्हें पाकिस्तान सहित कई देशों ने प्रतिष्ठित सम्मानों से सम्मानित किया. साहित्य अकादमी ने उन्हें प्रेमचंद फेलोशिप से भी सम्मानित किया था. उन्होंने 2013 में फिक्शन के 'मैन बुकर इंटरनेशनल पुरस्कार' के लिए अंतिम दौड़ में 10 लेखकों की अंतिम सूची में जगह बनाई थी। अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार के लिए नामांकित होने वाले वह पहले पाकिस्तानी और पहले उर्दू लेखक थे। उन्होंने ‘गली कूचे’, ‘कांकड़ी’, ‘दीन और दास्तान’, ‘शहर-ए-अफसोस’ ‘खाली पिंजरा’, ‘मोरेनामा’ ‘शहरजाद के नाम’ जैसी चर्चित किताबें लिखीं।
इंताजर हुसैन का सबसे चर्चित उपन्यास है ‘बस्ती’. इसका कई भाषाओं में अनुवाद हो चुका है. हिंदी में यह उपन्यास राजकमल प्रकाशन से छपकर आया है. ‘बस्ती’ उपन्यास की कहानी 1971 के युद्ध की पृष्ठभूमि पर लिखी गई है. कहानी का नायक देश की आजादी के समय हुए कत्लेआम का चश्मदीद रह चुका है. इस समय वह भारत छोड़कर पाकिस्तान में बस चुका है.