इंदिरा गांधी का स्मरण: संदर्भ सिनेमा / जयप्रकाश चौकसे

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इंदिरा गांधी का स्मरण: संदर्भ सिनेमा
प्रकाशन तिथि : 19 नवम्बर 2014


आज इंदिरा गांधी का जन्म दिन है। वे 1917 में जन्मीं, जब पहला विश्व युद्ध समाप्त होने की आेर अग्रसर था। जब नेहरू जेल से उन्हें विश्व इतिहास के बारे में खत लिख रहे थे तब वे मात्र सत्रह वर्ष की थीं। उनके पिता आैर दादा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में तन, मन आैर धन से लगे थे आैर अनेक वर्ष जेल में काटे। उनकी माता की तबीयत प्राय: खराब रहती थी आैर अंततोगत्वा वे टीवी की शिकार हुईं जिसकी दवा उनकी मृत्यु के कुछ वर्ष बाद इजाद हुई। अत: उनका बचपन आैर किशोर अवस्था सामान्य व्यक्तियों से अलग ढंग की रही। आजादी के समय वे तीस वर्ष की थीं आैर 41 की अवस्था में कांग्रेस की अध्यक्ष हुईं। अपने पिता के साथ उन्होंने देश-विदेश की यात्राएं की आैर राजनीति तथा साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण लोगों से मिलीं।

इस फिल्म के कॉलम में उनकी जीवनी नहीं लिखी जा सकती परंतु फिल्म से संबंधित कुछ घटनाआें से उनकी विचार प्रक्रिया समझने में थोड़ी सी सहायता हो सकती है। एक बार उन्होंने सत्यजीत रॉय से फोन पर आग्रह किया कि वे नेहरू पर एक वृतचित्र बनाएं। रॉय महोदय ने इनकार कर दिया। कुछ समय बाद सत्यजीत रॉय का एक निवेदन वित्त मंत्रालय में आया, उन्हें विदेश जाने के लिए कुछ डॉलर चाहिए थे या इसी किस्म का कोई काम था। जिस अफसर को यह ज्ञान था कि वे इंदिरा गांधी का एक निवेदन ठुकरा चुके हैं, उस अफसर ने रॉय महोदय की अर्जी निरस्त कर दी आैर जब इंदिरा जी को यह मालूम पड़ा तो उन्होंने अफसर को खूब लताड़ा आैर रॉय महोदय की अर्जी स्वीकार करने तथा क्षमा मांगने का आदेश दिया। इसी तरह जब राज्यसभा में मनोनीत सदस्या नरगिस ने बयान दिया कि सत्यजीत रॉय की फिल्में भारत की गरीबी का चित्रण करके विदेश में प्रशंसा पाती है तो जीवन में पहली बार इंदिरा जी को नरगिस के साथ सख्त व्यवहार करना पड़ा आैर उन्होंने स्वयं इस बयान के लिए क्षमा मांगी। जिस महिला की लोकप्रिय छवि 'लौह महिला' की थी, उसकी संवेदना को अनदेखा किया गया।

इसी तरह जब सर रिचर्ड एटनबरो ने उन्हें अपनी फिल्म 'गांधी' की पटकथा पढ़ने को दी आैर निर्माण कार्य में सहायता मांगी तब इंदिरा जी ने सहर्ष उन्हें सारी सहायता उपलब्ध कराई, चितरंजन रेलवे फैक्टरी को पुरानी ट्रेन उपलब्ध कराने का आदेश दिया तथा नेशनल फिल्म विकास निगम को पूरा सहयोग का आदेश दिया। उन्हें याद था कि निर्देशक पटकथा का पहला संस्करण नेहरू को दिखा चुके थे आैर उनसे सुझाव ले चुके थे। 'गांधी' फिल्म का निर्माण प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सहयोग के बिना संभव नहीं होता।

इसी फिल्म के निर्माण के समय दिल्ली के सरकारी होटल अशोका के दो माले कार्यालय की तरह इस्तेमाल होते थे आैर दूसरी यूनिट के निर्देशक गोविंद निहलानी ने किताब की दुकान से बलराज के भाई भीष्म साहनी की 'तमस' खरीदी थी तथा इसके फिल्मांकन के बारे में एटनबरो ने पूरी सहायता का वादा भी किया था तथा यूनिट को इंदिरा जी द्वारा की गई दावत में गोविंद ने इंदिरा जी से 'तमस' की बात की तो उन्होंने सहायता का वचन दिया था। यह बात अलग है कि जब 'तमस' बनी तो राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे आैर उन्होंने वचन निभाया था।

जब जे. आेमप्रकाश की गुलजार रचित 'आंधी' का प्रदर्शन रोका गया तब सागर के विठ्ठल भाई पटेल ने निर्माता की मुलाकात इंदिरा जी से कराई तथा उन्होंने तुरंत फिल्म पर लगा प्रतिबंध हटाया। फिल्म की नायिका की वेष-भूषा, व्यवहार सब कुछ इंदिरा जी से प्रेरित था। इंदिरा जी ने आपात-काल के दरमियान जब अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध था, उनकी इस आलोचना करने वाली फिल्म से प्रतिबंध हटाया। बहरहाल एक बार बासु भट्टाचार्य इंदिरा जी पर फिल्म्स डिवीजन के लिए डॉक्यूमेंट्री बनाने उनके घर गए जहां नेहरू की एक आदमकद पेंटिंग लगी थी। बासु की इच्छा थी कि इंदिरा अपनी साड़ी के पल्लू से पिता की तस्वीर साफ करती हुई शॉट दें, इंदिरा जी ने कहा कि पेंटिंग्स डस्टर से साफ की जाती है, साड़ी के पल्लू से नहीं। बासू इसे अतिभावुकता का फिल्मी रच देना चाहते थे। इंदिरा जी ने इनकार कर दिया। पारम्परिक होते हुए भी आधुनिका थीं आैर किस तरह की धूल किस डस्टर से साफ की जाती है, यह वह जानती थीं। कांग्रेस का सिंडीकेट उन्होंने अलग डस्टर से साफ किया था। बंगाल से पाकिस्तान को अन्य डस्टर से साफ किया था। वह अत्यंत साहसी थी आैर अटल बिहारी बाजपेयी ने उन्हें दुर्गा का अवतार कहा था।