इक बंगला टूटे न्यारा… / जयप्रकाश चौकसे

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प्रकाशन तिथि :23 जून 2017


हास्य कलाकार कपिल शर्मा ने अपने घर में परिवर्तन करके कुछ अतिरिक्त जगह में निर्माण कार्य किया था। अरशद वारसी ने भी ऐसा ही कुछ किया था। दोनों के द्वारा बिना आज्ञा के बनाए हिस्से को सरकार ने तोड़ दिया है। इस तरह की घटनाएं अनेक शहरों और कस्बों में प्राय: होती रहती है। कुछ समय पूर्व शाहरुख खान अपने 'मन्नत' नामक बंगले के बाहर अपनी कारें पार्क करते थे। इसके खिलाफ भी कार्रवाई की जा चुकी है। ज्ञातव्य है कि शाहरुख ने अपनी सितारा हैसियत जमने के पहले ही पूंजी निवेशक भरत भाई शाह से कर्ज लेकर यह बंगला खरीदा था परंतु शीघ्र ही उन्होंने कर्ज चुका दिया। उन्हें अपनी सफलता का विश्वास था। ऋषि कपूर ने भी पाली हिल क्षेत्र में बने अपने बंगले को तोड़ दिया है और अब उसी स्थान पर अठारह माले की इमारत बनाई जा रही है। सुनील दत्त ने अपने अजंता आर्ट्स के दफ्तर और उससे जुड़े निवास को तोड़कर दो बहुमंजिला इमारतें बनाईं। उनके सुपुत्र संजय दत्त ताउम्र किराये द्वारा प्राप्त धन से ऐश्वर्यपूर्ण जीवन यापन कर सकते हैं।

दिलीप कुमार और सायरा बानो के बंगले एक-दूसरे के पास थे। सायरा बानू के बंगले के पीछे की जमीन बहुमंजिला इमारत बनाने वालों को बेची जा चुकी हैं। सबसे भव्य बंगला राजेन्द्र कुमार का था, जिसमें डिम्पल डबिंग थिएटर भी था। उसके एक हिस्सा बहुमंजिला के लिए बेचा जा चुका है। ज्ञातव्य है कि राजेन्द्र कुमार अपनी सफलता के शिखर दिनों में कार्टर रोड पर समुद्र तट के सामने आशीर्वाद नामक बंगले में रहते थे, जो उन्होंने अपने निकट रिश्तेदार रमेश बहल की राजेश खन्ना अभिनीत फिल्म 'द ट्रेन' के निर्माण के समय राजेश खन्ना को बेच दिया और रकम अदाएगी में किस्तों की छूट भी दी। उस समय उनके परिवार के लोग उस बंगले को सौभाग्य का चिह्न मानते थे, इसलिए उसे बेचे जाने के खिलाफ थे परंतु राजेन्द्र कुमार को धन का अर्थ मालूम था और उन्होंने 'आशिर्वाद' को बेचने से प्राप्त धन से जो जगह खरीदी, वह आज हजार करोड़ से अधिक मूल्य की है। राजेन्द्र कुमार पहले सितारे थे, जिन्होंने शेयर भी खरीदे।

दक्षिण भारत के एक निर्माता की 'सूरज' नामक फिल्म में राजेन्द्र कुमार ने अभिनय किया था और इसी निर्माता की अगली फिल्म 'नज़राना' में राज कपूर ने अभिनय किया। उस निर्माता ने राज कपूर को 'नज़राना' में अभिनय के मुआवजे के बदले दक्षिण की एक कंपनी के शेयर देने की पेशकश की और राजेन्द्र कुमार के दबाव के कारण राज कपूर ने शेयर लिए। लंबे अरसे तक राज कपूर राजेन्द्र कुमार को ताना मारते थे कि बेकार के शेयर उन पर थोप दिए गए। कुछ वर्षों बाद उसी कंपनी से बड़ा लाभ आना शुरू हुआ। उस कंपनी ने वृक्षारोपण किया था और वृक्षों को पनपने में समय लगा परंतु मुनाफा जबर्दस्त प्राप्त हुआ। राज कपूर और राजेन्द्र कुमार की मित्रता गहरी थी। एक दौर में राजेन्द्र कुमार के पुत्र कुमार गौरव व राज कपूर की बेटी रीमा की सगाई हुई थी, जो बाद में किसी कारण टूट गई परंतु उनकी मित्रता में कोई फर्क नहीं आया।

राज कपूर ने टेनिसन की लंबी कविता 'ऑडेन' प्रेरित पटकथा इंदरराज आनंद से लिखाई, जिसका नाम था 'घरौंदा।' यह घटना 1946 की है, जब राज कपूर अपनी पहली फिल्म 'आग' बनाने में व्यस्त थे। इसके कई वर्ष पश्चात राज कपूर ने 'घरौंदा' को दोबारा नए सिरे से लिखवाया और अपने मित्र दिलीप कुमार से कहा कि वे दो नायकों वाली पटकथा में अपनी मनचाही भूमिका चुन लें परंतु दिलीप कुमार ने केवल इस आधार पर काम करने से इनकार किया कि दोनों के प्रशंसक आपस में भिड़ सकते हैं। दरअसल, दिलीप कुमार राज कपूर की निर्देशन प्रतिभा से परिचित थे और जानते थे कि वे कितना ही बेहतर अभिनय करें, यह फिल्म निर्देशक राज कपूर की ही मानी जाएगी।

दिलीप कुमार के इनकार के बाद राज कपूर ने वही भूमिका राजेन्द्र कुमार को देकर 'संगम' बनाई, जो अत्यंत सफल रही। यह पहली भारतीय फिल्म थी, जिसकी शूटिंग यूरोप और लंदन में हुई थी। जब राज कपूरने से 'घरौंदा' का नाम बदलकर 'संगम' करने के बारे में पूछा गया तो उनका जवाब था कि 'घरौंदा' अच्छा नाम है परंतु 'संगम' तो जनमानस के हृदय में सदियों से दर्ज है। अवाम में किसी व्यक्ति या वस्तु की लोकप्रियता के ठोस कारण हते हैं, जिनको समझना आसान नहीं होता। नोटबंदी की असफलता से बहुत नुकसान हुए हैं। यहां तक कि किसान आत्महत्याओं के लिए भी नोटबंदी ही जवाबदार है परंतु अनेक गलतियों के बाद और बावजूद यह सरकार लोकप्रिय बनी हुई है। इसकी लोकप्रियता के रहस्य को समझने के प्रयास जारी हैं परंतु असहिष्णुता के वातावरण में साफगोई से अभिव्यक्त नहीं किए जा सकते। डर की एक चादर पूरे आसमान पर तनी हुई है। 'इक रिदाएतीरगी है और ख्वाबे कायनात, डूबते जाते हैं तारे, भीगती जाती है रात।'