इतिहास प्रेरित काल्पनिक फिल्में / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 27 नवम्बर 2019
पानीपत युद्ध से प्रेरित फिल्म बन चुकी है और हल्दी घाटी पर बनाई जा रही है। इतिहास प्रेरित काल्पनिक फिल्में हमेशा बनती रही हैं। एक दौर में सोहराब मोदी इसके विशेषज्ञ माने जाते थे। संजय लीला भंसाली 'पद्मावत' में हाथ झुलसा चुके हैं। 'लगान' के लिए प्रसिद्ध गोवारीकर को भी इतिहास प्रेरित कथाएं आकर्षित करती हैं। वे ऋतिक रोशन अभिनीत 'जोधा अकबर' बना चुके हैं। जिसे हुड़दंगियों ने राजस्थान में प्रदर्शित नहीं होने दिया था। आमिर खान अभिनीत फिल्म 'फना' राजस्थान में प्रदर्शित नहीं हो पाई।
किसी भी फिल्म का सिनेमा घर में प्रदर्शन रोका जा सकता है, परंतु डीवीडी और टेलीविजन पर यह फिल्में दिखाई जाती हैं। मात्र 5 करोड़ दर्शक ही सिनेमा घर में फिल्में देखते हैं। हल्दी घाटी फिल्म बनाने वालों की टीम के एक सदस्य का कथन है कि फिल्म में महाराणा प्रताप को विजयी दिखाया जाएगा। इस दौर में तो नया इतिहास लिखवाने का दावा भी किया गया है। महाराणा प्रताप को विजयी के रूप में प्रस्तुत करने में बेचारे चेतक की भूमिका हटाना पड़ेगी। ज्ञातव्य है कि राणा प्रताप का घोड़ा चेतक ही अपने घायल सवार को सुरक्षित जगह ले गया था। किंवदंती है कि महाराणा प्रताप ने धन अभाव के कारण घास की रोटी खाई थी। महंगाई और आर्थिक मंदी के दौर में अवाम को भी घास की रोटियां खाना पड़ सकती हैं। ऐसा होने पर हुक्मरान फ्रांस की रानी मेरी एंटोइनेट की तरह कह सकते हैं कि डबल रोटी न मिले तो अवाम को केक खाना चाहिए। अगर केक उपलब्ध हुआ तो अवाम उस पर जलती हुई मोमबत्ती की तरह ही हो सकता है। हुक्मरान तो केक का बंदर बाट भी करते रहे हैं।
कुछ समय पूर्व ही कंगना रनोट की 'मणिकर्णिका' भी सफल रही है। अजय देवगन की 'तानाजी' भी इतिहास प्रेरित फिल्म है। इस तरह की फिल्में बनाने के लिए बहुत पूंजी की आवश्यकता होती है। जूनियर कलाकारों के लिए भी पोशाक बनवानी होती है। सिने विद्या को नित प्रगति करती टेक्नोलॉजी बड़ी सहायक सिद्ध होती है। आज 10 कलाकारों की संख्या 100 दिखाई जा सकती है। यह ताे शापूरजी पालनजी का ही दमखम था कि के आसिफ 'मुग़ल ए आज़म' बना पाए। इस दौर में सितारे की रजामंदी मिलते ही पूंजी उपलब्ध हो जाती है।
फिल्मकारों को अभिव्यक्ति के नए मंच मिल गए हैं। वेब सीरीज के लिए धन उपलब्ध है और वह सेंसर के दायरे से भी मुक्त है। फिल्मकार शिवम नायर ने वेब के लिए एक सीरीज की शूटिंग पूरी कर ली है, जो संभवत अगले वर्ष मार्च में वेबसाइट पर दिखाई जाएगी। विषय अत्यंत रोचक है। भारतीय संसद पर आक्रमण करने वाले पांचों आतंकवादी मारे गए, परंतु गुप्तचर विभाग को सूचना है कि छह आतंकवादी आए थे और यह छठा व्यक्ति घटनास्थल से दूर खड़ा था। अत: वह बच निकला। इसी की खोज थ्रिलर का विषय है। ज्ञातव्य है कि जेएफ कैनेडी की हत्या के समय भी कुछ लोग यह मानते थे कि पांचवें माले से ओसवाल्ड द्वारा चलाई गोली से कैनेडी की मृत्यु नहीं हुई, वरन उनके नजदीक ही रहे किसी व्यक्ति ने गोली मारी थी। ओसवाल्ड को महज रहस्यमय बनाने के लिए इस्तेमाल किया गया था। फिल्मकार ओलिवर स्टॉन ने अपनी फिल्म 'जेएफके' में रहस्य से सारे परदे उठा दिए थे और किसी भी संबंधित व्यक्ति ने उन पर मानहानि का मुकदमा नहीं किया।
राजीव गांधी की हत्या पर 'मद्रास कैफे' नामक फिल्म अत्यंत विश्वसनीय मानी जाती है। गुप्तचर विभाग ने उन्हें सलाह दी थी कि वे इस सभा में नहीं जाए, परंतु राजीव कार्यक्रम में किसी तरह का परिवर्तन नहीं करना चाहते थे। प्रसिद्ध फिल्मकार डेविड लीन ने 'बृजेश ऑन रिव्हर क्वाई' बनाई थी। अपने देश की स्वतंत्रता के लिए लड़ने वाले दल के एक सदस्य ने एक बम अपनी बहन के बस्ते में बिना उसकी जानकारी के रख दिया। साथी के प्रश्न के जवाब में उसने कहा कि उसकी बहन समाज सेवा के कार्य लंबे समय से कर रही है। इस तरह की लोकप्रिय महिला पुलिस द्वारा पकड़ी जाएगी तो अवाम में असंतोष बढ़ेगा और क्रांति की सफलता के लिए अवाम में असंतोष का बढ़ाना आवश्यक है। दरअसल इतिहास से सबक सीखे जा सकते हैं। इतिहास की घटनाओं का दोहराव भी होता है। दोनों विश्व युद्ध का इतिहास पढ़ने वाला व्यक्ति यह जान सकता है कि तीसरा विश्वयुद्ध नहीं होना चाहिए वरना संपूर्ण मनुष्य प्रजाति का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा। सम्राट अशोक के जीवन से प्रेरित कुछ फिल्में बनी हैं। शाहरुख खान और करीना कपूर अभिनीत फिल्म बनी है। किशोर साहू 'कुणाल की आंखें' नामक फिल्म बना चुके हैं। कलिंग युद्ध में विजय पाने के बाद सम्राट अशोक महात्मा बुद्ध के अनुयायी हो गए और उन्होंने महात्मा बुद्ध के आदर्श का प्रचार अनेक देशों में किया।
अफगानिस्तान में तालिबानी ताकतों ने महात्मा बुद्ध की मूर्ति तोड़ी थी और वहां के नागरिकों ने टूटी हुई मूर्ति के अंश अपने घर में रख लिए। नकारात्मक शक्तियां कभी पूरी तरह सफल नहीं हो पातीं। जापान ने चीन पर हमला किया था। घायल लोगों की सेवा के लिए भारत से डॉ. कोटनीस वहां गए थे। डाॅ. 'कोटनीस की अमर कहानी' नामक फिल्म शांताराम जी ने बनाई थी। यह सत्य घटना से प्रेरित महान फिल्म है। फिल्मकार मोहन कुमार ने हिरोशिमा पर अमेरिका द्वारा किए गए आणविक बम के इस्तेमाल के कारण कई पीढ़ियां लाइलाज बीमारी से पीड़ित रहीं। उनके इलाज के लिए एक भारतीय डाॅक्टर जापान गए। इस काल्पनिक बात से प्रेरित फिल्म का नाम 'अमन' था। इस फिल्म के प्रारंभ में महान विचारक बर्ट्रेंड रसेल से नायक द्वारा लिया गया काल्पनिक साक्षात्कार दिखाया था। बर्ट्रेंड रसेल जैसे महान व्यक्ति ने युद्ध विरोधी बात कही। यह एकमात्र फिल्म है जिसके लिए बर्ट्रेंड रसेल ने शूटिंग की थी। साहित्य इतिहास से अधिक यथार्थ प्रस्तुत करता है परंतु इतिहास में दिनांक और वर्ष मात्र सत्य होते हैं।