इतिहास से शरारत हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है / जयप्रकाश चौकसे

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इतिहास से शरारत हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है
प्रकाशन तिथि : 09 अगस्त 2018


टेलीविजन पर लोकप्रिय 'भाभीजी घर पर हैं' का मूल विषय यौन फंतासी है परंतु इसे इतनी चतुराई से लिखा गया है कि सारा परिवार साथ बैठकर देख सके। दादा कोंडके और कादर खान के प्रभाव से बचाते हुए इसे इस कदर गढ़ा गया कि कहीं भी यह अश्लील नहीं लगता। हर बात का मखौल उड़ाया जाता है परंतु कमाल यह है कि आलोचना का शिकार भी मुस्कुराता है। सारे कलाकारों ने विश्वसनीय अभिनय किया है और हप्पू सिंह बाजी मार ले जाते हैं। कुछ उनकी प्रतिभा है और कुछ बेहतरीन लेखन का कमाल है। जिन दिनों संजय लीला भंसाली की 'पद्‌मावत' को लेकर बवाल मचा था, उन दिनों प्रसारित एपिसोड में अनारकली, सलीम और अकबर से प्रेरित नाटक प्रस्तुत किया जाता है और पड़ोस के गुंडों का दल कलाकारों की पिटाई करता है। इन स्वयंभू संस्कृति रक्षकों का आरोप है कि इतिहास से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी। ये सब अनपढ़ जाहिल हुल्लड़बाज हैं।

इस एपिसोड के एक दृश्य में पुलिस कमिश्नर रेशमपाल सिंह पिटने वालों से सहानुभूति दिखाने आते हैं और हुल्लड़बाजों को दंडित करने के दावे करते हैं परंतु हुल्लड़बाजों के आने की शंका होते ही छुप जाते हैं और पिछले दरवाजे से खिसक जाना चाहते हैं। इस दृश्य से हम पुलिस महकमे पर भांति-भांति के दबाव को शिद्दत से महसूस करते हैं। पुलिस महकमे पर दबाव नहीं हो तो वे चंद घंटों में हुल्लड़बाजों और सारे अपराधियों को सबक सिखा दें। बहरहाल हर क्षेत्र में कोई अदृश्य शक्ति दबाव बनाए हुए है परंतु हमारा अवाम अपने को अभिव्यक्त अवश्य करता है। कभी-कभी वे इस हिरण की तरह सुगंध खोजते नज़र आते हैं जो उसकी अपनी नाभि से आ रही है और वे इस तथ्य से अनभिज्ञ हैं। हमारे आख्यानों में भी हिरण के महत्व को रेखांकित किया गया है। इतिहास से खिलवाड़ एक मंच है, जिसके माध्यम से सुविधाजनक बातें अभिव्यक्त की जाती हैं। वाचनालय जला दिए गए और कुछ लोग कत्ल भी कर दिए गए जैसे नरेन्द्र दाभोलकर और गौरी लंकेश। बहरहाल करण जौहर भी इतिहास क्षेत्र में कूदने की तैयारी कर रहे हैं और वे औरंगजेब तथा दारा शिकोह प्रसंग को फिल्माना चाहते हैं। यह कहा जा रहा है कि वे रणवीर सिंह को औरंगजेब और रणबीर कपूर को दारा शिकोव की भूमिका अभिनीत करने का आमंत्रण देने जा रहे हैं। 'पद्‌मावत' के बाद रणवीर सिंह इस तरह की भूमिकाओं से बचना चाहेंगे। दारा शिकोह ने अकबर द्वारा आरंभ किया मकतबखाना जारी रखा, जिसमें संस्कृत में लिखे हुए ग्रन्थों का अनुवाद फारसी भाषा में किया जाता था। दारा शिकोव ने संस्कृत भाषा का ज्ञान भी प्राप्त किया था।

औरंगजेब को लेकर बहुत धुंध है। कहा जाता है कि उसने धार्मिक यात्रियों पर जजिया कर लगाया परंतु जजिया कर पहले भी लगाया जाता था किंतु उससे मौलवी और पंडित मुक्त थे। औरंगजेब का विचार था कि जब सब लोग जजिया देते हैं तब मौलवी व पंडित क्यों मुक्त रखे जाएं। इस घटना के बाद मौलवी और पंडित दोनों ही औरंगजेब की छवि खंडित करते रहे। उसने 49 वर्ष तक शासन किया। इन सब बातों के कारण देश की स्वतंत्रता के समय से सहिष्णुता के प्रतीक अकबर भारत के हो गए और औरंगजेब पाकिस्तान के हो गए। आज दोनों ही देशों में सहिष्णुता का लोप हो चुका है। इतिहास से छेड़छाड़ हमारा प्रिय शगल रहा है और हम अपने अतीत एवं इतिहास को रोमेन्टेसाइज भी करते हैं।

एक तथ्य यह है कि गुजरात के एक हीरा व्यापारी से औरंगजेब ने उस समय कर्ज लिया था, जब वह दारा शिकोह पर चढ़ाई करने के लिए साधन जुटा रहा था। एक खूनी संग्राम के बाद औरंगजेब तख्त पर बैठा और उसने उस हीरा व्यापारी का कर्ज अदा कर दिया और उसे जमीन भी दी जिस पर मंदिर का निर्माण किया गया। यह एक लोकप्रिय बात है कि केवल मुगल 'तख्त या तख्ता' की जंग लड़ते थे। महात्मा गांधी, जॉन एफ. कैनेडी, अब्राहम लिंकन इत्यादि के कत्ल गणतंत्र व्यवस्था में हुए हैं।

करण जौहर के हाथ इतिहास फिर छेड़ा जाएगा। उन्होंने मराठी भाषा की 'सैराट' से प्रेरित हिन्दी फिल्म में भी क्लाइमैक्स से छेड़छाड़ की है। करण जौहर महत्वाकांक्षी हैं परंतु प्रतिभा और महत्वाकांक्षा समानार्थी नहीं हैं। आशंका है कि दारा शिकोह फिर मारा जाएगा।