इमीटेशन / खलील जिब्रान / सुकेश साहनी

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(अनुवाद :सुकेश साहनी)

शरतकाल में मैंने अपने सभी दुखों को एकत्र कर अपने बगीचे में दफना दिया।

जब अप्रैल में वसन्त ने धरती को अपने आलिंगन में लिया तो मेरे बगीचे में दूसरे फूलों से अलग बहुत ही खूबसूरत फूल उग आए.

और तब मेरे पड़ोसी उन फूलों को देखने आए और मुझसे बोले, "अगले शरत में बुवाई के समय इन फूलों के बीज हमें भी देना ताकि हम भी इनसे अपने बगीचो की शोभा बढ़ा सकें।"