इमोशन / प्रियंका ओम
जब वह शाम की चाय बना रही थी तो कॉल बेल की आवाज ने उसे चौंका दिया। कौन हो सकता है?।
अनमने ही लड़की ने दरवाजा खोला, सामने लड़के को देख फिर से चौंक गई "वो घर में नहीं है!"
जानता हूँ "फ्रेंड की पार्टी में गई है रात वहीं रुकेगी। मैं तुमसे मिलने आया हूँ।" लड़के ने कहा।
"नहीं वह बॉस के साथ गई है। प्रमोशन की लिस्ट में उसका नाम सबसे ऊपर है।" लड़की ने ये जान बूझ कर कहा था।
"लेकिन मुझे तो ।" लड़का बोलते-बोलते रुक गया।
"कहा न, मैं बेहतर हूँ।" लड़की ने आत्मगर्वित स्वर में कहा।
लड़का चुप ही रहा, लड़की ने फिर पूछा "चाय पीओगे?"
"नहीं रहने दो।" लड़के ने दुखी स्वर में कहा था।
लड़की दो कप चाय ले आई थी। "पी लो बेहतर फील करोगे।" लड़की ने ज़िद की।
लड़के ने चाय पीते हुए पुछा "तुम इस प्रोफेशन में कैसे आई?"
"तुम पहले इंसान हो जिसने मेरे काम को मेरा प्रोफेशन कहा है।" लड़की ने खुश होते हुए कहा था।
"हम्म, तो फिर बताओ" ! कहते हुए लड़के ने अपना टैब निकाल लिया।
"सुनो। ट्रेन की पटरी पर सिक्के रख चुम्बक बनाने की कला बहुत पुरानी है जिसमें सिक्का अपनी पहचान खो कर सिर्फ़ बच्चों के मनोरंजन का उपाय बन जाता है।"
"मर्द का औरतों को अपने मनोरंजन का साधन बनाने की कला भी बहुत पुरानी है, जिसमें एक औरत की असलियत भुला दी जाती है और वह जानी जाती है सिर्फ़ 'दो या तीन लेटर' वाले नाम से" ! लड़के का हाथ टैब पर बहुत तेजी से चल रहा था।
"21वीं सदी में ये कला सफ़ेद टाइगर्स की तरह विलुप्त होती जा रही है क्योंकि मैंने मर्द को औरत के मनोरंजन का साधन बनाने की मुहिम छेड़ दी है। मैंने भी मर्दों को दो या तीन लेटर वाले नाम देने शुरू कर दिए हैं और मेरे फ़ोन बुक में 'रिकी' , 'मिकी' , 'जो' और 'निक' जैसे बहुत से नाम उनके नंबर्स के साथ फीड हैं।"
"उनकी वास्तविक पहचान तुम्हारे लिए क्या मायने रखती है?" लड़के ने लिखना छोड़ कर पूछा था।
"उनकी पहचान से मुझे कोई लेना देना नहीं है। क्योंकि अब मेरी अपनी पहचान सिर्फ़ मेरा जिस्म है जिसकी नुमाइश मैं आधे खुले, आधे ढंके कपड़े पहन कर किया करती हूँ और छुपी हुई चीज़ को देखने की जिज्ञासा आम इंसानी फितरत है इसलिए कभी मैं जान बूझ कर छुपा हुआ दिखाने की मंशा से कुछ गिराकर उठाने के बहाने से झुक जाती हूँ और इसी बहाने से गिर जाता है वहाँ मौजूद पुरुषों का ईमान।"
लड़की ने आगे कहा "क्योंकि मुझे पूरा यकीन है एक मर्द का ईमान औरत के ब्लाउज में छुपा होता है।"
"सभ्य आचरण के बहाने से मर्द मेरी मदद करने आते हैं और तय हो जाता है उसी वक़्त, कहाँ और कितने दिन! "
"लेकिन न तो तुम्हारे गले में प्राइस टैग लटक रहा है और न ही माथे पर कॉल गर्ल का स्टीकर चिपका हुआ है।" लड़के ने पूछा।
"लेकिन बाज़ार में वही उपलब्ध होता है जिसकी कीमत होती है। हाँ ये अलग बात है कि बिकने वाली हर चीज़ का सौदा मोल भाव करके नहीं किया जाता।"
लड़का ध्यान से सुन रहा है, लेकिन उसके चेहरे पर दर्द की लकीरें साफ़ दिख रही थीं। शायद वह "उस लड़की" की वजह से दुखी था। पता नहीं उसके झूठ बोलने से दुखी था या झूठ बोलकर बॉस के साथ जाने से दुखी था।
लेकिन ये लड़की अपनी ही धुन में कहे जा रही थी "मैं तंग गलियों की सस्ती दुकानों में उपलब्ध नहीं हूँ। मेरी कीमत चुकाने वाले न तो कोई नेता होते हैं न ही चालीस पार कर चुके होते हैं ये वह भी नहीं होते जो ़िजंदगी से हार कर किसी तलाश में आते हैं और वह भी नहीं जिन्हें अपनी बीवी से प्यार नहीं, असल में ये होते हैं जिनकी बीवियाँ डिज़ाइनर कपड़े और ़जेवरात पहने महंगी गाड़ियों में घुमती हैं और वह काम के सिलसिले में यहाँ आते हैं।"
"वैसे तो ये सारा दिन व्हाट्स एप पर वाइफ को 'मिस यू' 'लव यू' लिखते रहते हैं लेकिन रात को थकान का बहाना कर फोन ऑफ करके मुझ जैसी किसी रात की रानी की गोद में पड़े होते हैं।"
"ऐसा नहीं है कि इनकी बीवियाँ ये सब समझती नहीं या जानती नहीं वह भी तो सारा दिन किटी पार्टी और शापिंग के बाद रात या तो किसी फाइव स्टार रूम में या किसी फार्म हाउस के आलीशान कमरे के राजसी गद्दे पर जिगोले के साथ बिताती हैं।"
" लड़के की आँखें आश्चर्य से फ़ैल गई थीं। लिखते-लिखते वहीं रुक गया है। वह कुछ पूछना चाहता है लेकिन लड़की ने उसे देख कर अनदेखा करते हुए कहा।
"इतना आश्चर्य करने की ज़रूरत नहीं है। आज कल घरों में एक साथ दो तरह के पर्दे लगाने का चलन है। पहला, अन्दर से बहुत ही महीन कपड़े का जिससे दुनिया आर-पार देखी जा सकती है। दूसरा, बहुत ही मोटे और भारी कपड़े का। घर के अंदर की असलियत को छुपाने के लिए और मेरे पास आने वाले ये वही लोग हैं जो अपने घरों में दो तरह के परदे लगाते हैं। हाई सोसाइटी में ये सब चलता है, ये आम बात है। मेरे लिए भी ये सब आम बात है।"
"पुरुष ताकतवर होने के भ्रम में जीता है लेकिन वह वहीं से कमज़ोर है जिसे वह अपनी ताक़त समझता है और तुमने पुरुष की इसी कमजोरी को अपनी ताक़त बना लिया है।" लड़के ने धीरे से कहा था।
"हाँ, तुमने सही समझा। लेकिन मुझमें और बाकी औरतों में कोई खास फर्क नहीं है, बल्कि मेरी स्थिति उनसे कहीं बेहतर है। मेरे पास कम से कम च्वॉइस है कि किसके साथ जाना है किसके साथ नहीं। मैं उसका चुनाव खुद करती हूँ लेकिन मेरे जैसों के अलावा के पास कोई च्वॉइस नहीं है और उनको ये सब करके कोई ़खास ख़ुशी भी नहीं मिलती है बल्कि मज़बूरी में करती हैं, लेकिन जिस काम को करके कोई ख़ुशी नहीं मिलती है उसमें आत्मा मर जाती है और रह जाता है सिर्फ़ शरीर। पैसा पॉवर और प्रमोशन ऐसी बहुत-सी जिजिविषाएँ हैं जिसके लिए उन्हें अपनी आत्मा को मारना पड़ता है और ज़िन्दगी भर ढोते हैं सिर्फ़ शरीर!"
लड़का अवाक् रहकर उसका चेहरा देख रहा है। लड़की ठीक कह रही है ये सब आम बात है, 'वो' भी तो उससे झूठ बोलकर अपने बॉस के साथ गई है प्रमोशन के लिये।
लड़की उसके अवाक् चेहरे का लुत्फ उठाते हुए कहती है। मेरी कीमत देने वाले बिना धुले कपड़े पहने पसीने की दुर्गन्ध लिए नहीं होते। न ही वह होते हैं जिनके पेट निकला हो या वह जो पान मसाला चबाते हैं।
पेट निकला हुआ शरीर उसे भद्दा लगता है और पान मसाला की गंध से एक खास किस्म की घृणा है, उसे उबकाई आने लगती है। ये घृणा उसे बहुत पहले हो गई थी जब बस वाले अंकल ने उसके स्कूल यूनिफार्म पर बायीं ओर लिखे स्कूल के ास्ंतस् को 'कितने अच्छे से लिखा हुआ है' कह कर सहलाया था। उस अंकल का पेट निकला हुआ था और वह गुटखा खाते थे! अगले दिन किसी और की शिकायत पर उस अंकल को नौकरी से निकाल दिया गया था!
उसका मन घृणा से भर गया। उसके मुँह का स्वाद बिगड़ गया, उसने कोलगेट माउथवाश से कुल्ला किया और सैमसंग गैलेक्सी निकाल फेसबुक में अपनी नई पिक्चर अपलोड कर दी। उसके बाद कमेंट्स की बाढ़ में ये भी भूल गई कि लड़का उसके साथ है।
अपनी पिक्चर को ध्यान से देखती है। उसने अपनी बायीं हाथ की कोहनी को टेबल जैसी किसी ठोस चीज़ पर टिका रखा था और उसका आधा गला कलाई से और आधा चेहरा उसकी हथेली में छुपा था उसके मध्यम लम्बाई में बढ़े नाखून काले रंग से रंगे हुए थे और बीच की अंगुली में उसने प्लैटिनम में जड़ित नीले रंग का पत्थर पहना हुआ था जो उसके नीले रंग की टॉप और काले रंग की स्कर्ट से मैच खा रहा था।
ऐसा उसने जान बूझ कर किया था। इस पिक्चर के पहले वाली रात वह जिसके साथ थी वह चेहरे से बहुत ही मासूम दिख रहा था लेकिन बिस्तर पर जाते ही वह भूखा जानवर बन गया था। वाइट टाइगर्स के विलुप्त होने वाली बात सिर्फ़ अफवाह है!
अपने गले पर काला निशान देखकर उससे पूछा भी था "आज से पहले कोई मिली नहीं।"
"घर में बीवी है मेरी।" उस आदमी ने संक्षिप्त-सा उत्तर दिया था।
"ऐसा लगा तो नहीं।" मुँह बना कर कहा था उसने।
फाउंडेशन के पहले कंसीलर से भी वह दाग छुप नहीं पाया था, उसने अंगूठी से मैचिंग ड्रेस भी इसलिए पहनी कि उसके परफेक्ट स्टाइल सेंस में बाकी सब नज़रअंदाज़ हो जाये और ऐसा ही हुआ भी। मिनटों में ही उसे सौ से भी ज़्यादा लाइक्स और कमेंट्स मिल गए थे, ज्यादातर का कहना था कि वह बेदाग़ है।
फेसबुक पर रोज पिक्चर बदलना उसका शौक नहीं नशा था। बाज़ार में मिलने वाली कीमत से उसे कभी इतनी संतुष्टी नहीं मिलती थी जितनी फेसबुक के लाइक्स और कमेंट्स से।
"इसकी शुरुआत कब हुई थी?" लड़के ने ये पूछते हुए उसका ध्यान फिर से अपनी ओर खींचा था।
दूर बैठी हुई लड़की पास आकर बैठ गई थी "बहुत पहले जब मैं उम्र के उस-उस पड़ाव पर थी जहाँ रात को मम्मी पापा के कमरे से आने वाली चूड़ियों की आवाज़ और सुबह उनके बिस्तर पर बिख़री सलवटें मुझे बेचैन कर देती थी। न्यूज़ पेपर का साप्ताहिक 'सेक्स एक्सपर्ट' कार्नर के सवाल जवाब मेरी जिज्ञासा के लिए काफी नहीं थे ना ही स्टार मूवीज पर आने वाली एडिटेड मूवीज। स्मूचिंग और फ्रेंच किस तो आम बात थी, हिन्दी सिनेमा में भी दिखाया जाने लगा था।"
"राजा हिंदुस्तानी में बारिश में भीगते हुए पेड़ के नीचे करिश्मा कपूर और आमिर खान के बीच का चुम्बन दृश्य। मुझे आज भी अचम्भा होता है लोगों ने उसे प्यार समझा जबकि वह सिर्फ़ एक औरत और मर्द के बीच शारीरिक चाह थी जिसे प्रेम का जामा पहना दिया गया था।"
उसने लड़के की शर्ट के बटन को खोलते हुए आगे कहा "स्कूल में इंग्लिश पढ़ाने वाले फ्रेंच 'एरिक सर' ने लंच टाइम में ऑडिटोरियम में परदे के पीछे जब अपनी जीभ से मेरे मुँह को और अपने हाथों से मेरे शर्ट के बटन को खोला तब पहली बार मुझे 'फ्रेंच किस' का तजुर्बा हुआ था। अपनी पैंट की ज़िप को खोला ही था कि किसी की आहट सुन कर फ़ौरन उसे वापस बंद भी कर लिया था। आहट वाले भी उसके जैसे ही लोग थे जिनकी उत्सुकता स्कूल बंक करके 'मोर्निंग शो' देखने के बाद और बढ़ जाती थी!"
शर्ट के बटन खोलने पर लड़के ने ज़रा भी विरोध नहीं किया बल्कि अपनी जीभ से उसके मुँह को खोलने लगा था।
तेरहवी मंजिल के अपने दो कमरे और एक हॉल वाले आलीशान फ्लैट के बेडरूम की खिड़की पर कॉफ़ी का मग और ऊँगलियों में दबी हुई सिगरेट लेकर कुछ सोच रही है वो।
कल रात बहुत कुछ ऐसा घटित हुआ जो कल से पहले कभी नहीं हुआ था लेकिन जीवन में बार-बार से पहले सब कुछ पहली बार ही होता है।
वो कॉफ़ी की एक सिप से पहले सिगरेट का एक कश लेती फिर हवा में उसके छल्ले बनाती। उसे ये सब करने में मज़ा आ रहा था जैसे छोटे बच्चे साबुन वाले पानी का बुलबुला बना कर खुश होते हैं।
ऐसी बचकानी हरकतें और बच्चों के जैसे ही खुश कभी-कभी होती है, आज भी उसका दिल बच्चों जैसा है। वह पलट के देखती है बिस्तर पर वह लड़का पड़ा हुआ है। बेहोशी वाली नींद में। सोया हुआ वह बहुत मासूम लग रहा है, उसके चेहरे पर एक हल्की-सी मुस्कराहट है जैसे बीती रात से पहले वह कभी खुश नहीं हुआ था।
क्या उससे भी किसी को ख़ुशी मिलती है, क्या वह भी किसी को मानसिक तौर पर खुश करती है? जो लोग उसके पास ख़ुशी की तलाश में आते है वह भी कितने बेवकूफ हैं ख़ुशी से उसका क्या रिश्ता, उसका रिश्ता तो शरीर और उसकी कीमत से है।
किसी होटल का आलीशान कमरा, फाइव कोर्स मेनू और lubricated कंडोम के साथ किसी रेपुटेड हॉस्पिटल से एच आइ वी नेगेटिव का cirtificate जो वह खुद भी साथ रखती है। अपडेटेड।
लड़के को बेडरूम में ले जाते हुए लड़की ने कहा वह nympho नहीं है। कभी-कभी तो महीनों किसी के साथ नहीं जाती और कभी-कभी हफ्ते भर किसी एक के साथ ही रह जाती है। ये उसकी पसंद पर निर्भर करता है अगर आदमी उसे पसंद आ जाता है तो रह जाती है हफ्ते भर के लिए भी। हाँ किसी विदेशी के साथ वह कभी नहीं जाती उनके तरीके उसे पसंद नहीं थे।
क्रिसमस की छुट्टी में फ्रेंड के घर जाने के बहाने से वह एरिक सर के साथ एक सस्ते से होटल में गई थी जहाँ फ्रेंच किस से पहले सर ने शराब पी थी।
वो शराब नहीं पीती थी शराब से उसे नफरत थी, हाँ दूसरों के पीने पर उसे कोई खास आपत्ति नहीं थी। शराब पी कर लोग इमोशनल हो जाते हैं जो नहीं बताना चाहिए वह भी बता देते हैं। फ्रेंच किस के पहले और शराब पीने के बाद एरिक सर ने होटल के कमरे में बदबू से भरे बिस्तर पर उसके ऊपर चढ़ने के बाद कहा था ' उनकी गर्लफ्रेंड उन्हें नामर्द कहती है, एक ऐसा मर्द जिसकी ताकत सिर्फ़ उसकी उंगलियों और जीभ में होती है और सर ने पढ़ा है शराब पीने से मर्दानी ताक़त आती है।
ऐसे इमोशन का क्या काम जो गैऱज़रूरी वक़्त पर बेतक्कलुफ़ तरीके से बाहर आती है इसलिए इमोशन उसे शराब से भी ज़्यादा बुरी लगती है।
मम्मी बहुत प्रैक्टिकल थी उसे भी हमेशा यही कहती थी "इमोशन सिर्फ़ दुख देता है।" उसे मम्मी की बात हमेशा याद रहती है इसलिए शराब नहीं पीती है।
जब पापा काम के सिलसिले में शहर से बाहर गए थे तब पापा के बॉस घर आये थे। उसका खाना उसके कमरे में ही भिजवा दिया गया था। उसके मन का छोटा जासूस हाथ पैर मारने लगा था, डाइनिंग टेबल पर जूठे बर्तन के साथ शराब के खाली ग्लास भी पड़े थे। बॉस का डिनर सूट वहीं सोफे पर पड़ा था मम्मी के बेडरूम से चूड़ी बजने की आवाज आ रही थी।
पापा सुबह-सुबह आ गए थे जब वह स्कूल जाने से पहले नाश्ता कर रही थी आते ही मम्मी से पूछा था 'डन' ?
मम्मी ने हँसते हुए कहा था 'डन डना डन'।
मम्मी अभी तक उसी पारदर्शी नाईटी में थी।
इसके बाद वह दो परदों वाले मकान में रहने आ गए थे।
वो फिर से उस लड़के को देखती है। वह अब तक सो रहा है। लड़का उस लड़की का बॉयफ्रेंड है जो उसके दूसरे कमरे में किराये पर रहती है। लड़का किसी प्रोडक्शन हाउस में क्रिएटिव डायरेक्टर है और लड़की किसी न्यूज़ चैनल में काम करती है। दोनों ने एक ही स्कूल से मीडिया प्रोफेशन की ट्रेनिंग ली है।
वो लड़की उसे बहुत चालाक लगती है और लड़का लट्टू बना उसके गिर्द घूमता रहता है। उसे जलन होती है।
लड़की की शिफ्ट ज्यादातर रात की होती है फिर भी आने जाने का समय निश्चित नहीं रहता। आज वह ऑफिस से सीधा उसके बॉस के साथ किसी होटल में जा रही है।
कल से पहले भी ये लड़का उसके फ्लैट पर बहुत बार आया है उस लड़की के साथ। वह फ़िल्म स्क्रिप्ट लिखना चाहता है एकदम से अलग विषय पर जिसपे आज से पहले किसी ने नहीं लिखा हो।
उसने पारदर्शी कपड़े के ऊपर से गॉउन पहन लिया है। ए.सी. की ठंडी हवा उसे कंपकंपा रही है। गर्म कॉफ़ी पीते हुए वह बार-बार उस लड़के को देख रही है, वह अब तक सो रहा है। जैसे आम तौर पर लोग सुकून के साथ सोते हैं। उसकी मुस्कराहट देख कर वह खुद भी मुस्कुरा उठती है।
उसने उसका कोई cirtificate नहीं देखा, बीती रात से पहले उसके बेडरूम में कोई मर्द नहीं आया था! ये एक ऐसा मर्द है जिसने आज से पहले डीवीडी और रंगीन चित्र वाली किताब देख कर सिर्फ़ अपने हाथों का ही इस्तेमाल किया था!
उसे अचानक हंसी आ गई है। एरिक सर की गर्ल फ्रेन्ड ने सच कहा था वह नामर्द थे और उस दिन सर को यकीन हो गया था शराब पीने से मर्दानगी नहीं आती।
जाने से पहले सर ने उससे माफ़ी भी मांगी थी।
उसके हँसने की आवाज़ से वह लड़का उठ गया था, कपड़े पहनते हुए पूछा था "तुम हँस क्यों रही हो?"
उसने लड़के की बात का जवाब नहीं दिया बल्कि सवाल किया "तुम इतनी जल्दी में क्यों हो।"
"उसके आने से पहले निकल जाना चाहता हूँ।" लड़के ने सपाट स्वर में कहा था।
"क्या तुम शर्मिंदा हो।" लड़की की आवाज़ में दर्द था।
"नहीं" कहकर लड़का रुक गया था फिर कुछ सोचते हुए कहा "चलता हूँ!"
"फिर कब आओगे?" लड़की ने शराब नहीं पी थी लेकिन इमोशनल सवाल पूछा था
जब "वो" फिर किसी-किसी फ्रेंड की पार्टी में जायेगी।