इलाज री दुकान / प्रहलाद श्रीमाली / कथेसर

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मुखपृष्ठ  » पत्रिकाओं की सूची  » पत्रिका: कथेसर  » अंक: जनवरी-मार्च 2012  

महेन्द्र गतागम री गैरी गेळ में। चमनोबा रै कांई रोग है! हाल तांई पतो लागो कोनी। है नीं अचंभा री बात। नांवसीण म्होटो अस्पताळ। मिनख दूर-दूर सूं आवै। आडै़-पाडै़ रा गांव-नगर रो तो पूछणो ई कोनी। दूजा प्रदेसां रा रोगी ई लाई आवै अठै। पण ओ कांईं हिसाब। पखवाड़ो बीतग्यो। अर फगत टैस्ट चाल रैया है। इलाज तो अजे आगो। अठा रा डॉक्टर विधिवत काम करै। सिस्टम सर। टैस्ट, रिपोर्ट, रिजल्ट अर रिलेक्स। स्टेप बाई स्टेप। पगतिए-पगतिए दर्दी नै इलाज रै माळै चढावै। नेहचा सूं रैवणो अर मरीज नै नेहचो रखावणो। यां रा कारोबार में ओ फर्जीयात कर्म। धर्मियात ड्यूटी। सो अै डिग्रीधारी धनवंतरी ठाठ-बाट सूं फर्ज निभावै। शान-शौकत सूं जीवण रो खेल खेलै। अर नुंवी पीढी रा होनहार टाबरां नै डॉक्टर बणण री प्रेरणा देवै। मतलब उकसावै।

बस सूं उतरनै इण चावा-ठावा अस्पताळ तक चालतां-चालतां महेन्द्र चिंतनरत रैयो। महानगर रा श्रीमंत इलाका में बण्यो थको ओ ओपतो सुपर हॉस्पिटल बणावणिया मिनख घणा भला। साव व्यवहारिक। अंग्रेजी में आछी तरियां समझोला- अेकदम प्रेक्टिकल। प्रोफेशनल ई! आपांरी भाषा में व्यवसायिक के व्यापारिक कैवां तो चोखो नीं लागै। ओपै कोनी। कदाच आ खासियत ईज अंग्रेजी नै नगर कांई गांव-ढाणी तक रै मूंडै लगाय रैयी है। खैर, ओ ठावको पाठ जूदो है, अठै विषयांतर नी करां।

तो महेन्द्र री आ खरी मानता कै अस्पताळ निर्माता सिद्धान्तवादी। साव कैवणिया, स्पष्टवादी। उणां खूब सोच-समझ नै अर पाछो अंग्रेजी रो आपो लेवां तो भरपूर सर्च-रिसर्च करनै ओ अस्पताळ बणावण वास्तै अैड़ी जग्यां वापरी। के उठासूं लगैटगै सवा किलोमीटर छेटी तक कोई बस-स्टॉप कोनी। कार-टेक्सी के पछै बाइक-स्कूटर सूं ईज अठै फटाफट पूग सकां। ओ जनता नै खुल्लम-खुल्लो जबरो इसारो। के भाई अठै इलाज पेटै आवण-जावण वास्तै कार-टेक्सी री सगवड़ परवडै़, तो ईज पधारसी। मतलब कार-टेक्सी री सवारी करण री हैसियत राखो। तो जरूर म्हां सूं इलाज करावण री हिम्मत करावो। क्यूं के आ आम आदमी रै हाथ री बात कोनी। रोगी रै इलाज रो बिल देख'र बीं रो आखो परिवार मांदो पड़ जासी। पाड़ोसी तकात! सुपर हॉस्पिटल है सुगत सुपर नाणादार वास्तै।

पण नादान मिनख इण खुलमा इसारा नै ई गिनारै कोनी। अठै आवण सारू आगता दिखै। चमनोबा 'सुपर' में भर्ती! आ बात अठा सूं ले'र ठेठ गांव तक सगा-संबंधियां में चर्चा रो विषय। चौंकण री वजह। सो रुपिया माथै करनैई अठै इलाज करावण में यां नै सार दीखै। मरीज साजो हो जावै तो अस्पताळ नै घणा रंग। अर सिधार जावै के नीं सुधरै तो बीं रा करम। पण यांनै नाक ऊंची हो जावण रो गुमान अवस हो जावै। के इत्ता बडा अस्पताळ में इलाज करायो। महेन्द्र इण रोगिष्ट मानसिकता माथै कसमसावै। पण करै कांई। अलबत्ता मौको मिळतांई उपदेश-सलाह ठरकावण में कसर कोनी राखै। जाणता छतां के विना मांग्या मिळी अणभावती सलाह री कदर कदेई नीं हुया करै।

हफ्ता भर पैली विमल सूं फोन माथै बात हुई। जणै ठाह पडिय़ो के चमनोबा मांदा है। अर इलाज पेटै सुपर हॉस्पिटल में भर्ती है। अस्पताळ रो नांव उच्चारतां विमल रा स्वर में हळकी-सी गर्व री खनक ही। चमनलालजी विमल रा बापूजी है। गांव रा संबंध सूं चमनोबा। अठै देसावर में गांव रा मिनख सारू हेत-प्रेम अणूंतो उपजै। पण सागै महानगर री मजबूरियां ई है। काम-काज रो भार अर रैवास री दूरी। आणो-जाणो, हिलणो-मिलणो अबखो। बीं दिन विमल कैयो हो के लारला कीं 'दिनां' सूं वां नै ताव आय रैयो हो। घर रै कनै अेक क्लिनिक है। उठै इलाज करायो पण कीं फरक पड़्यो नीं। तो अेक भायला री सलाह सूं अठै भर्ती कराय दिया। अठा री दवाई सूं ताव तो उतरग्यो, पण कमजोरी घणी है। डॉक्टर रेस्ट सागै आखा डील रो टैस्ट करावण रो कैयो है। सो टैस्ट चाल रैया है। पूरा होवतांई छुट्टी मिळ जासी। जणै महेन्द्र विचार कर्यो हो के अदीतवार नै विमल रै घरै जा'र चमनोबा सूं मिळनै हाल-चाल पूछनै थोड़ा दाड़ा गांव जायनै रैवण री सलाह देवतो आवैला। राजस्थान में गांव री सूखी शुद्ध हवा महानगर री मिळावटी दवा करतां चोखो असर करसी। सो खबर काडण पेटे फोन कर्यो तो विमल बतायो कै चमनोबा हाल घरे आया कोनी। अस्पताळ में ईज है। किडनी में कीं गड़बड़ है। अेक-दो टैस्ट फेर करावणा पड़सी। बोलता थकां विमल आंती आयोड़ो-सो लाग्यो। इण ठावका अस्पताळ पेटै बीं रा स्वर में अबकै महेन्द्र गर्व री खनक री जग्यां खीज री झरळाहट सुणी।

महेन्द्र चौंक्यो हो। उणनै पछतावो हुयो। हेतापो देखतां इत्ता दिनां री ढीलनी करणी ही। तुरंत उणीज दिन मिळवा वास्तै जाणो चाईजतो हो। पण वो थोड़ोई जाणतो हो के ईयां व्हे जासी। वो अैड़ी बात सोचतो ई कियां। अलबत्ता इत्ती जाणकारी उणनै जरूर ही के इण अस्पताळ रो इलाजिया तामझाम घणो जबरो। काचा-पोछा मिनख सूं पार नीं पड़ै अठा रा खळका-नखरा। विमल उणनै पूछतो तो वो अठै आवण री सलाह कदेई नीं देवतो। पण अबै कांई व्है सकै। यूं देखां तो ज्यूं कागला सगळी जग्यां रा काळा होवै। त्यूं ईज महानगर रा तमाम प्राइवेट अस्पताळ मरीज री टाट मंतरण आळा होवै। जणे ईज तो मगन भाई अैड़ा अस्पताळां नै इलाज री दुकान कैवै है। अर ओ अस्पताळ तो इलाज री दुकान नीं इलाज रो भव्य शो-रूम है। बल्कि इणनै तो इलाज रो शॉपिंग मॉल कैवणो ओपै।

सो विमल री बात सुणतांई उणै ताबड़तोड़ कारखाना रा मैनेजर सूं आधा दिन री छुट्टी लीवी। अर दोय बस बदळता छतां पाव घंटो पाळो चालतो थको अठै पूगो हो। तीनेक बरस पैली अेकर अठै आयो हो। महेन्द्र रा बडा सेठ स्वर्गवासी पन्नालालजी भर्ती हा। सेठजी रा बीस दाड़ा रा खालमा इलाज में उगणीस लाख रो बिल बण्यो हो। छोटोड़ा सेठ राजी-राजी भर दियो हो। अर ठरका सूं भाई-सैण में इण थकी चरचा करता रैया हा। के वां नै लगैटगै ठाह पड़ग्यो हो के भाईसा बचैला कोनी। पण तोई आछी तरियां इलाज करावण रो आपरौ फर्ज उणां पूरो कर्यो हो। बीस दिन रा बीस कांई इक्कीस लाख खर्च व्है जाता तोई चालतो! इण हिसाब सूं दो लाख रा फायदा में रैया। कुण? छोटा सेठ के बडा सेठ! सोच'र महेन्द्र मुळक्यो। सेठजी री छेहली जात्रा में ई चर्चा वां री बीमारी अर इलाज माथै हुया खर्च री होय रैयी ही। म्होटा मिनखां नै ईज मोकळी बीमारियां ओपै अर परवड़ै।

बडा सेठजी खूब सैंठा हा, जाणै छोटो-म्होटो हाथी। खाणै-पीणै रा खूब शौकीन। हार्ट सूं निबळा, कमजोर। तोई हाई बीपी रा पालक, डायबीटिज रा पोषक। ऊपर सूं दोनूं गुर्दा में भारी पथरी राखता। डॉक्टर वार-वार काडता अर वै पाछी भेळी कर देवता। इत्ता उदार! खून में पण कीं खराबी ही। कोई कैवतो ब्लड कैंसर है तो दूजो कोई फेर कोई दूजो रोग बतावतो। सेठजी खूब गुस्सा आळा हा। स्वास्थ पेटै लापरवाह। अलबत्ता रोग री कदर करता। पण मिनख री नीं। तोई महेन्द्र वां री फोटू माथै श्रद्धाभरी दीठ राखै। क्यूं के बडा सेठ होवण रा ठरका सागै उणां बडी बीमारियां पाळी-पोसी। जिण सूं करनै महंगा इलाज पेटै महा म्होटा अस्पताल में घणो भारी बिल चुकावण रो मौको मिळ्यां सूं छोटा सेठ रो माथौ ऊंचो होग्यो। ऊंचा माथा सूं करनै छोटा सेठ रो मूड हरमेस चोखो रैवै। आ बात महेन्द्र अर बीं रा साथीड़ां रा हक में जावै। सो बडा सेठ माथै श्रद्धा राखणी महेन्द्र री नैतिकता, स्वाभाविकता, व्यवहारिकता, आत्मीयता आदि-आदि सै कीं।

पण अबकाळै महेन्द्र नै चमनोबा माथै अणूंती खीज आय रैयी ही। यूं खीज रै लारै-लारै थोड़ी-सीक सहानुभूति ई चाल रैयी ही। खीज इण वास्तै के चमनोबा मांदा पड़्या क्यूं। अर पड़्या तो थोडा-घणा इलाज सूं घरै ईज साजा-सारा क्यूं नीं हुया। इण अस्पताळ तक लावण री नौबत क्यूं लाया। अर हां, आखी उमर गांव में गुजार्यां पछै डोकरगाळै इत्ता आगा दूजा प्रदेस रा महानगर में क्यूं आया! जठै भाषा-बोली, मिनख-मारग सगळा ओपरा, अणजाण। हळ खडण आळो मेणतधारी खेडूत। रूखी-सूखी खाय अनै ठंडो पाणी पी'र मस्त रैवण वाळो कुदरत-जीवी। ताजी हवा अर बेळा तावड़ा रो आदतियो। कांई अठै राजी-बाजी आयो व्हेला। चमनोबा नै जो मजबूरी अठा तांई खींच लाई। उणरो थौड़ोक अहसास महेन्द्र नै हो। सो इण पेटै ईज सहानुभूति ही।

बाकी खीज तो खरी अर जबरी। पनरै दिनां में कित्तो बिल बणग्यो व्हैला! मानां के विमल व्यापारी है। उणरै ज्यूं नौकरियात कोनी। किराणा री दुकान धड़ाकाबंद चला रैयो है। पण इण काम-धंधा पेटै उणै कित्तो लोन-उधार लियोड़ो है। आ बात महेंद्र सूं छानी कोनी। उणरै हिसाब सूं इण टीप-टॉप अस्पताळ में आपरा बापूजी रो इलाज करावतो थको विमल थोथा वट वास्तै थाप देयनै खुद रो मूण्डो रातो राख रैयो है। सो उणरी खीज बाप-बेटा दोनूं माथै लटक रैयी है। ओ इलाज तो सरकारी के पछै किणी समाजसेवी ट्रस्ट रा अस्पताळ में ई चाल सकतो हो। विमल कांई आ बात जाणै कोनी! पण कुटुंब-समाज अर घर-गांव मे आपरी थोथी धाक जमावण रो मौको मना रैयो है गेलसफो। महेंद्र पाछो झल्लायो।

साधारण मिनखां में हीणता रा भाव अर खास मिनखां में गर्व-घमंड उपजावतो सुपर होस्पिटल रो शानदार दरवाजो राजमहल में बणी ठाठदार होटल रो भरम दैवै। आवण-जावण वाळा मिनखां माथै खरी नजर राखता चुस्त-तगड़ा चौकीदार किणी मंत्री-नेता रा सिक्युरिटी गार्ड-सा लागै। शाम रा चार सूं छह बज्यां तक रो बखत 'विजिटिंग हवर' है। सो कोई रोक-टोक कोनी। नीतर इन्ट्री पास बिना मरीज तक पूगणो असंभव। महेन्द्र ओ विचार आवतांई कसमसायो। इत्तो कड़ो सुरक्षा प्रबंध होवतो तो आतंकवादी संसद माथै हमलो करण में हरगिज सफल नीं होवता। सरकारी अर प्राइवेट प्रबंधन रो ओ आंतरो उण नै तड़पावै।

पैली करतां अबकै अस्पताळ रो स्वास्थ्य बेसी निखर्योड़ो लागो। विशाल हॉल खूब फूटरो, सजियो-धजियो आकर्षक अर ठसाठस। रिसेप्शन, इन्क्वायरी, मेडिकल शॉप अर केंटिन जठै नजर पडै़ उठै भीड़। आत्मनियंत्रित, सभ्य-शालीनमनखां रा टोळा, लेण। महेन्द्र मुळक्यो। सांचाणी आपांरो देश विकास कर रैयो है। कंठ सूख रैयो हो। चा-पाणी दोनूं री जरूरत ही। केंटीन मांय पगला राख्या। चाय अठारह रिपिया! बांच'र तलब दबगी। बारै पांच में मिळै। तो पछै फिजूलखर्ची क्यूं! जाती वेळा पी लेस्यूं! निर्णय करनै उणै ठंडा पाणी री मशीन सूं पाणी पीधो। अर ऊंचा मोल सूं मिनरल वाटर री बोतलां बेचता छतां मुफ्त पाणी री उदार व्यवस्था राखण सारू प्रबंधकां नै मन सूं धन्यवाद दियो।

"अरे महेन्द्र! थूं अठै कियां ?" सुण'र मूण्डो घुमायो। छोटा सेठ रा भायला घेवरचंदजी हा। उठै उणरी उपस्थिति सूं वां रा मूंडा माथै आया अचरजिया भाव महेन्द्र साव बांच्या।

"मुजरो सा! म्हारा अेक दोस्त रा पिताजी अठै भर्ती है।" महेन्द्र नरमाई सूं सफाई देवण रा लहजा में बोल्यो। यूं घेवरचंदजी घणा भला मिनख। पण वां री अहमतुष्टि पेटै ओ जरूरी हो। वां रा भायला रो कामगार इण अस्पताळ में कियां! इण विषम जिज्ञासा री शांति में सम कारण मिळ्यों तो घेवरजी नै नेहचो हुयो। नीतर कठैई महेन्द्र अठै खुदरो के खुदरा बाप-भाई रो इलाज करावण सारू आयो व्हैतो तो! तो घेवरचंदजी खस्टाय जावता। के वां रै नौकर री श्रेणी रो मिनख ई इलाज सारू अठै आवै है। तो पछै अस्पताळ रो कांईं माजणो रैयो। अर कठै रेई उणां जिसा सेठां री वत्ताई खासियत।

उदार, महान घेवरजी उणनै ठैरण रो इसारो करनै 'सेल्फसर्विस' व्यवस्था पेटै खुद जा'र दो चाय अर बिस्किट ले आया। महेंद्र मन में मुळक्यो अर बारै मुळक सागै वां नै धन्यवाद दियो। चाय पीता थकां उणा महेंद्र सूं मरीज अर मरीज रा सपूत बाबत पूछताछ करी। चमनोबा री उमर अर विमल रा मध्यम आर्थिक स्तर री जाणकारी सूं वै गंभीर व्हैग्या। उणां महेंद्र रा खवा माथै आत्मीयता भर्यो हाथ राख्यो अर बोल्या, "ध्यान सूं सुण! पैली बात तो आ है के ओ अस्पताळ मेनत रा पसीना सूं दाळ-रोटी री कमाई करण आळां वास्तै कोनी। अर दूजी बात आ के टैस्ट रै पांण रोग री ओळखाण करनै होवण आळा अै आधुनिक इलाज चढता खून वास्तै उपयोगी व्है सकै। 75 साल रा गांवठू वडील नै अठै राखणा वां री हलाली करण जिसो है। ऊपर सूं खून-पसीना री कमाई रा पईसां रो खालमो पाणी। आ इण लोगां रै बस री बात कोनी। भला वास्तै कैवूं। समजाय नै बा सा नै जल्दी सूं डिस्चार्ज कराय लो। व्है सकै तो आज ई।"

घेवरचंदजी री बात बीं रै हियै उतरणी कांई उतर्योड़ीज ही। पण इण लोगां नै समझावणा कीकर। राम जाणै किण मूड में है। विचारतो महेंद्र बैड नंबर सोजतो थको सादारण वार्ड में पूगो। अठा रा सादा वार्ड ई खास असर नांखै। अेक हॉल में छह पर्दादार पलंग, जाणै केबिन के तंबू। पण साफ-शुद्ध, शांत-अेकांत अर अेसी आळा। हैरान, परेशान के बेभान चमनोबा पलंग माथै सूता थका। कनै विमल रो छोटो भाई कमल। आळूझाण पोतियोड़ा चेहरा सूं कंटाळपणो टपकै। देख'र उणनै दया आयगी। महेन्द्र उदास व्हे जातो। पण उठै मगन भाई नै ई देखनै सहज रैयो। वां नै नमस्कार करनै हळको-सीक मुळक्यो। अेक अण-ओळखीता सगा-संबंधी सागै हाजर मगन भाई सूं जाणकारी मिळी। आज तक सवा लाख रो खर्च वेय चुको है। लोही जाडो पडग्यो हो सो बदळ्यो, पतलो कर्यो। अबै किडनी में इन्फेक्सन बताय रैया है। कीं टेस्ट फेर करावणा पड़सी। चमनोबा रा जूना डील में केई री केई नुंवी-नुंवी खोट काड रैया है डॉक्टर!

सुण'र मगज में जो विचार आयो उण माथै मुळकै के माथौ कूटै! महेंद्र सारू निर्णय अबखो हो। विचार ओ आयो के जाणै चमनोबा पुराणी बिकाऊ गाडी है। अर अठा रा चालाक खरीददार सेकेण्ड हैंड वस्तु नै सस्ता में लेवण पेटै खालमी खोट काड रैया है! जणै के बात उल्टी ही। खरी के खोटी, पण खोट काड नै वै इलाज नै महताऊ जता'र महंगो बणा रैया हा। आ अैड़ा अस्पताळां री व्यवसायिक नीति होवै। जठां तांई मरीज खरीदतो जावै इलाज बेचता जाओ। कंटाळ नै नाठ छूटै तो उणरा भाग।

घेवरचंदजी री बात विमल नै समझावण वास्तै फोन लगावण पैली मानसिक तैयारी पेटै महेन्द्र रा दिमाग में डॉयलॉग गूंज रैयो हो- ओ अस्पताळ इलाज री दुकान है। स्वास्थ्य रो मंदिर कोनी। सो लम्बो भरोसो ठीक नी!