उंगली में अंगूठी, अंगूठी में नगीना / जयप्रकाश चौकसे

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उंगली में अंगूठी, अंगूठी में नगीना
प्रकाशन तिथि :03 अगस्त 2017


ख़बर है कि इम्तियाज अली की शाहरुख व अनुष्का शर्मा अभिनीत फिल्म 'जब हैरी मेट सेजल' में प्रेमियों की अंगूठी गुम हो जाना कथा का आधार है। इत्तेफाक यह है कि वेंडी डोनीगर की किताब 'द रिंग ऑफ ट्रुथ' कुछ समय पूर्व ही प्रकाशित हुई है। हमारे पुरातन अध्यायों का उन्होंने गहरा अध्ययन किया है। यह कल्पना करना भी कठिन था कि अंगूठी जैसे विषय पर भी इतना गहरा शोध किया जा सकता है। पुस्तक में संस्कृत एवं ग्रीक महाकाव्यों का हवाला दिया गया है। कालिदास के काव्य में अंगूठी के विवरण के साथ शेक्सपीयर के पात्रों के अंगूठी प्रेम का विवरण भी दिया गया है। दुष्यंत द्वारा शकुंतला को दी गई अंगूठी एक मछली निगल गई। राजमहल के खरीददारी विभाग ने मछली खरीदी और रसोइये के माध्यम से दुष्यंत को अंगूठी मिली तो उन्हें शंकुतला का स्मरण हुआ और उनके ही पुत्र भरत के नाम से हमारे देश को 'भारत' कहकर पुकारा जाने लगा। क्या खरीददार विभाग को मछुआरों ने कमीशन दिया होगा गोयाकि हमारी कुंडली में ही भ्रष्टाचार समाया हुआ है। नीतीश कुमार व लालू इस पुरातन आख्यान के नए अध्याय हैं। भारत महान में हम कहीं भी मौलिक नहीं हो पाते। साहित्य में अंगूठी और मछली याददाश्त के आने-जाने से जुड़े हैं, जबकि विज्ञान कहता है कि मछली केवल सात सेकंड तक ही स्मरण कर पाती है।

यह भी खबर है कि अभिनय सम्राट दिलीपकुमार अपनी याददाश्त खो चुके हैं और कभी-कभी उन्हें पुरानी घटनाएं याद आती हैं परंतु यह स्मरण नहीं रहता कि सुबह नाश्ता किया या नहीं। इसी धुंध में कहीं वे अपनी बेगम सायरा बानो को मधुबाला कहकर न पुकार लें। पहला प्रेम आखिरी वक्त तक याद रहता है। यूरोप की एक कथा इस तरह है कि 94 वर्षीय पति का कत्ल उसकी हमउम्र पत्नी कर देती है, क्योंकि पति की पुरानी फाइल में उसे उसकी युवा अवस्था में हुए प्रेम के प्रमाण मिले। डायरी लिखना कितना खतरनाक हो सकता है। पति-पत्नी के रिश्ते में अवचेतन में भी घुसपैठ की संभावना रहती है। विवाह गुरिल्ला युद्ध होता है, जिसमें समय-समय पर आक्रमण करके लोग अपनी कमजोरियों के पहाड़ों में छिप जाते हैं।

मनुष्य की पलक झपकती है परंतु मछली सोते समय भी पलक नहीं झपकाती गोयाकि वह खुली आंखों के साथ सोती है। इसीलिए वह उम्मीद का प्रतीक भी बन जाती है कि हर खोई चीज कभी न कभी मिल सकती है।

वाल्मीकि रामायण में विवरण है कि सीता अपने पति राम के साथ वन में जाते समय अपने गहने साथ ले गई थीं गोयाकि राजमहल को त्यागने वाली सीता को अपने गहनों से मोह बना रहा परंतु यह गहने महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, क्योंकि रावण द्वारा अपहरण किए जाने पर वे अपने आभूषण फेंकती जाती हैं ताकि राम उन्हें खोज सकें। एक संस्करण में लिखा है कि सीता अपने साथ गहने नहीं ले गई थीं। वनवास में उन्हें एक मुनि ने गहने दिए थे। उन्होंने श्रीराम को जिस मायावी हिरण के पीछे भेजा था, उस स्वर्ण हिरण के शरीर पर भी गहने थे। दरअसल, महाकवि मनुष्य को आभूषणों से प्रेम नहीं करने का नैतिक संदेश दे रहा है। श्मशान में चिता प्रज्वलित करने के पूर्व गहने उतार लिए जाते हैं परंतु पश्चिम के कुछ भागों में आभूषणों सहित कब्र में रखने की परम्परा भी है। क्या आभूषणों की जरूरत मृत्यु के बाद भी पड़ सकती है गोयाकि रिश्वत वहां भी देने की आवश्यकता को बनाए रखा गया है।

'मसान' फिल्म में प्रेमी को प्रेमिका की दुर्घटना में मृत्यु की जानकारी भी मृत देह के साथ के आभूषण से प्राप्त होती है। फिल्मी गीतों में भी आभूषण का प्रयोग है। साधना पर फिल्माया गीत 'झुमका गिरा रे बरेली के बाजार में' अभी भी याद आता है। असली-नकली आभूषण पर मोपांसा की कहानी को महान माना जाता है। कथा सार इस प्रकार है कि एक महिला अपने जान-पहचान वाले से आभूषण उधार लेती है परंतु वे गुम हो जाते हैं तो उन्हें उसी तरह के आभूषण देने के लिए वह कर्ज लेती है, जिसे चुकाने में उसके जीवन के श्रेष्ठ वर्ष बीत जाते हैं। बाद में जान-पहचान वाला व्यक्ति ही उन्हें बताता है कि वे आभूषण तो नकली थे। टेलीविजन के सीरियल संसार में सारे महिला पात्र आभूषणों से लदे-फदे दिखाए जाते हैं। इस तरह के आभूषण बनाने का नया उद्योग विकसित हो गया है। शशि कपूर के लिए गिरीश कर्नाड ने द संस्कृत नाटकों की प्रेरणा से 'उत्सव' रची थी, जिसमें गहने उतारने का दृश्य है और लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने माधुर्य रचा था। गीत था 'रात शुरू होती है आधी रात को।'

मोपांसा की तरह ही मुंशी प्रेमचंद भी महान लेखक माने जाते हैं। उनकी रचना 'गबन' में पति पत्नी के आभूषण मोह के कारण गबन करता है। माता अपनी पुत्री को अपना चंद्रहार नहीं देती। फिल्म में गीत था, 'मैंने सपने में देखा चंद्रहार, मेरे साजन ने मुझे पहना दिया।' इम्तियाज अली की सारी फिल्में इत्तेफाक केंद्रित है। अभय देओल अभिनीत 'मैंने सोचा न था' की कथा को ही उन्होंने री-सायकिल किया करीना-शाहिद अभिनीत 'जब वी मेट' में। 'रॉक स्टार' में अपने गीत-संगीत के कारण वे लागत निकाल पाए थे। उनकी फिल्मों के प्रेमी इनकार से इकरार तक की यात्रा करते हैं। यह संभव है कि इस बार 'इकरारनामा' कुछ अलग होगा। दरअसल, स्वर्ण-मृग सामूहिक अवचेतन में गहरे पैठा हुआ है।