उत्सव का नशा और नशे के उत्सव / जयप्रकाश चौकसे

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उत्सव का नशा और नशे के उत्सव
प्रकाशन तिथि :30 मार्च 2016


आज भी बाजार और सड़क पर आपको लोग दिखाई देते हैं, जिनके चेहरे से होली का रंग पूरी तरह साफ नहीं हुअा है गोयाकि वह रंग की तलछट है। देशज भाषा से अनजान लोगों के लिए स्पष्ट कर दें कि बरतन से दूध निकाल लेने के बाद बरतन के पैंदे में दूध की परत कायम रहती है, जिसे तलछट कहते हैं। राजनीति में अनेक स्वयंभू नेता अपने सत्तासीन सदस्य के लेन-देन के मामले में जो थोड़ा-सा पा जाना चाहते हैं, उसे भी तलछट कहा जा सकता है। मलाई पर बड़े लोगों का जन्मसिद्ध अधिकार है और अवाम की सारी जद्‌दोजहद इसी तलछट के लिए होती है।

होली पर भांग युक्त ठंडाई या भांगविहीन ठंडाई पीने का चलन है। भांग का नशा शराब के नशे से अलग होता है। शराब जल्दी चढ़ती और उतरती है परंतु भांग के मामले में समय थम-सा जाता है, दिमाग तरल परंतु गला निरंतर सूखा बना रहता है और इसीलिए आदमी तरावट की खातिर बेहिसाब पी लेता है। गांजे का सेवन शराब से भी कम समय में अपना प्रभाव जमाता है। भांग पीने पर आपको यथार्थ जीवन की झांकियां सिनेमा के स्लो मोशन की तरह लगती है अौर शराब से ये छवियां तीव्र गति से भागती नज़र आती हैं मानो आप के आने के पहले की बर्टन और चैपलिन की हास्य फिल्में देख रहे हैं। 'श्री 420' में 'जूता है जापानी' गीत के अंत में राज कपूर सड़क पर सांप देखकर सरपट भाग जाते हैं और आज लगता है कि सरपट भागने के शॉट के बिना उस गाने का पूरा ट्रेज्यो-कॉमिक प्रभाव नहीं आ पाता। पिकासो की पेंटिंग में किसी हल्के से लगाए गए स्ट्रोक को हटाने पर समग्र प्रभाव में अंतर आ जाता है। ठीक इसी तरह फिल्म में से एक शॉट भी हटाने पर अनर्थ हो सकता है परंतु यह बात केवल कालातीत फिल्मों पर लागू होती है। आम फिल्मों से एक रील भी हटा दें तो कोई अंतर नहीं आता। सोमवार को प्रकाशित मेरे लेख के शीर्षक में 'मेरी आवाज, मेरी पहचान' के साथ प्रयुक्त भैरवी शब्द उसके गठन के बारे में है न कि उसकी धुन के बारे में। संगीत गोष्टि में भैरवी के बाद किसी का रंग नहीं जम पाता, इसलिए उसे हमेशा अंत में प्रस्तुत किया जाता है।

कमसिन उम्र में सेक्स की अधकचरी जानकारी देने वाली किताबें छिपकर पढ़ी जाती हैं। पांचवें और छठे दशक में 'भांग की पकौड़ी' अत्यंत लोकप्रिय थी। गौरतलब है भांग का फंतासी से जोड़ा जाना। भांग, शराब के नशे से अलग होता है अफीम का सेवन। निरंतर रोने वाले शिशु को कामकाज में फंसी माताएं अफीम चटा देती थीं। वह गफलत में चला जाता था। बालपन के अनजाने में गुटकी अफीम का किंचित प्रभाव ताउम्र बना रहता है। याद आता है, 'तनु वेड्स मनु' का गीत, जिसका आशय है कि अफीम खाकर रंगरेज पूछता है कि रंग का कारोबार क्या है। आज संसद और विधानसभाओं के कार्यकलाप देखकर लगता है कि हमारे सारे भाग्य विधाताओं को उनकी माताओं ने उनके बालपन में आवश्यकता से अधिक अफीम चटा दी थी। गांजे के ही एक प्रकार के सेवन करने वालों को चंडुक कहते हैं। गांजे की चिलम का सुट्‌टा लगाते समय नशा करने वाले का एक पैर ऊपर उठ जाता है और नशे के प्रभाव में उस पैर को नीचे आने में एक प्रहर के गुजर जाने का-सा भाव आता है। स्लो मोशन शॉट 24 से कम फ्रेम में लिया जाता है। 16 फ्रेम और 12 फ्रेम के शॉट में भी अंतर होता है। ज्ञातव्य है कि 24 फ्रेम चलने में एक सेकंड लगता है। फ्रेम फिल्म भाषा का अक्षर है। अगर हम उत्सवों का कोई श्रेणीकरण उनमें होने वाले खर्च के आधार पर करें तो दीपावली पूंजीवादी है और होली सर्वहारा का त्योहार है। यह किसान-श्रमिक का त्योहार है। होली का रंग समाजवादी माना जाना चाहिए, क्योंकि रंगे-पुते चेहरों में कौन अंबानी है और कौन अवाम बताना कठिन हो जाता है। यह कितनी गलत बात है कि गहरे रंगों को गरीब के साथ जोड़ा जाता है और रंग चयन के आधार पर जातियों के भेद की बात भी की जाती है और उसी निंदनीय शैली में गुलाल बामन है और गहरा हरा हरिजन है। चटख लाल मजदूर है, हल्का आसमानी कुलीन है। सदियों की चक्की ने ऐसा ही महीन पीसा है। सामान्य व्यक्ति की विचार शैली को फॉर्मूला बद्ध किया गया है, जबकि विचार अपने मूल स्वरूप में साधारणीकरण के विरोध में खड़ा होता है और सोचने की शक्ति को शिथिल करने के गहरे षड्‌यंत्र रचे गए हैं।

यह राजनीतिक चिंतन क्षेत्र का दु्भाग्य है या कहे कि यही नितांत भारतीय शैली है कि भारत के समाजवादियों की ललक और रुचियां पूंजीवादी हैं और इस घटाटोप में घोर पैदाइशी आशावादी यह मान सकता है कि पूंजीवादी ही अपनी निजी सुरक्षा की खातिर ही सही परंतु अवाम की जीवन शैली सुधारने का यत्न करे, क्योंकि झोपड़पट्‌टी में फैला प्लेग हवेलियों के सुरक्षाकर्मियों के रोके नहीं रुकेगा। इस असंभव-से दिखने वाले के घटित होने पर कार्ल मार्क्स की आत्मा लहुलूहान हो जाएगी। राजनीतिक दर्शन के प्रति अंधा मोह आपको मनुष्य की करुणा से दूर ले जा सकता है।