उदय चोपड़ा और इन्ग्रिड बर्गमैन / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 15 जून 2013
यशराज फिल्म संस्थान की एक शाखा है, जिसका काम है अंतरराष्ट्रीय फिल्में बनाए और आदित्य के छोटे भाई उदय चोपड़ा इस शाखा के प्रबंधक हैं। उदय चोपड़ा ने 'ग्रेस ऑफ मोनेको' के लेखक अराश अमेल से मुलाकात की। लेखक ने उन्हें बताया कि क्रिस ग्रीनहेग के उपन्यास 'सिड्यूसिंग इन्ग्रिड बर्गमैन' पर उन्होंने पटकथा लिखी है। इस उपन्यास में प्रसिद्ध सितारा इन्ग्रिड बर्गमैन और फोटोग्राफर रॉबर्ट कापा की प्रेम कथा है।
ज्ञातव्य है कि इन्ग्रिड बर्गमैन का जन्म स्वीडन में हुआ था और उसकी माता की मृत्यु के समय वह मात्र दो वर्ष की थी और पिता की मृत्यु के समय बारह वर्ष की थी। इस कारण वह अंतर्मुखी हो गई थी और प्राय: अपने सपनों के संसार में डूबी रहती थी। उसके चाचा ने उसे पाला और उसकी इच्छा के अनुरूप उसे रॉयल एकेडमी ऑफ आट्र्स में शिक्षा के लिए भेजा। यह बात सन १९३१ की है, जब इन्ग्रिड मात्र सोलह बरस की थी। प्रशिक्षण लेने के बाद उसने स्वीडन में बनने वाली फिल्मों में चरित्र भूमिकाएं निबाहीं। लोकप्रियता के बढऩे के साथ उसकी भूमिकाएं महत्वपूर्ण होती गईं और उसे जर्मनी में बनने वाली फिल्मों में भी काम मिला। वह आसानी से जर्मन भाषा बोल सकती थी। स्वीडन में उसने 'ए वीमंस फेस' में अद्भुत अभिनय किया। यह पात्र एक अत्यंत कर्मठ महिला का था, जिसके स्वभाव में ही काम भावना भी तीव्र है। मासूमियत के साथ मादकता का मिश्रण हमेशा महिला को लोकप्रिय सितारा बनाता है।
हमारे देश में भी मधुबाला, माधुरी और श्रीदेवी में यह मिश्रण रहा है। पश्चिम के सिनेमा में मादकता भारत की तरह संकेत में नहीं वरन पूरी देह के साथ प्रस्तुत होती है। सन १९३६ में स्वीडन में बनी 'इनफर्नो' में नायिका संगीत अकादमी में काम करती है और प्रतिभाशाली भी है। वहां के विवाहित वायलिन वादक से उसे प्रेम हो जाता है और वह उसे उसकी पत्नी से छीन लेती है। हॉलीवुड के एक प्रमुख स्टूडियो के मालिक सेल्जनिक ने यह फिल्म देखी और अपनी सहायक ब्राऊन को यह कहकर स्वीडन भेजा कि हर हाल में इन्ग्रिड बर्गमैन से अनुबंध करे और उसे हॉलीवुड लेकर आए। इन्ग्रिड को भय था कि स्वीडिश लहजे में बोली गई उनकी इंग्लिश दर्शक नापसंद करेंगे, परंतु सेल्जनिक ने उसे 'इन्फर्मो' में ही ऐसी कशिश से प्रस्तुत किया कि वह सितारा हो गई। सेल्जनिक ने फोटोग्राफर को हिदायत दी कि इन्ग्रिड के चेहरे का लुभावना भाग ही फोटोग्राफ करे। हॉलीवुड के बादशाह ने इन्ग्रिड बर्गमैन को सितारा बनाने के लिए बहुत प्रयास किया और इसका लाभ उन्हें मिला। उन्होंने ८०,००० डॉलर प्रतिवर्ष के मेहनताने पर अनुबंधित किया और अपने स्टूडियो के बाहर बनने वाली फिल्म से डेढ़ लाख डॉलर वसूल किए। सन १९४२ में बनी 'कैसाब्लांका' ने इन्ग्रिड को शिखर सितारा बना दिया।
हेमिन्गवे के जगत प्रसिद्ध उपन्यास पर बनी फिल्म 'फॉर हूम द बेल टोल्स' में उसे बहुत सराहा गया। निर्देशक जॉर्ज कूकोर की 'गैसलाइट' में अपनी भूमिका के लिए इन्ग्रिड बर्गमैन को ऑस्कर मिला। हिचकॉक की 'स्पेलबाउंड' में उसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया और हिचकॉक की ही 'नोटोरियस' में उसने एक गुप्तचर की भूमिका की और अपने काम के समय उसे इश्क हो गया। क्या हमारी 'एक था टाइगर' भी इससे प्रेरित है?
इन्ग्रिड की 'जॉन ऑफ आर्क' स्टेज और फिल्म दोनों पर अभूतपूर्व मानी गई है। इतालवी निर्देशक रॉबर्टो रोजीलीनी से उसका गहरा इश्क हुआ और उस समय वह किसी और से विवाहित थी, परंतु उसने सरेआम इस प्रेम से उत्पन्न संतान की घोषणा की। उनके इस कदम से उनकी स्क्रीन छवि को धक्का पहुंचा, परंतु इन्ग्रिड इस तरह की बातों से हतोत्साहित नहीं होने वाली थी, उसने कभी अपने विविध प्रेम-प्रसंग गुप्त नहीं रखे और विवादों के बावजूद सन १९५७ में 'एनेस्टेशिया' के लिए दूसरा ऑस्कर जीता।
पूछे जाने पर उसने कहा था कि अपनी भूमिकाओं के लिए और अपने जीवन में विवादों में घिरने के समय वह अपने एकांत में बिताए बचपन की यादों से ऊर्जा प्राप्त करती है। उसने अपने अनाथ होने के बाद के दिनों की तन्हाई को अपने अवचेतन में संजोए रखा था। उसके व्यक्तित्व में अन्य गुणों की ही तरह काम-इच्छा का आवेग प्रबल रहा और उसने इस पर कभी परदा नहीं डाला। इस उतंग लहर पर केवल पुरुषों का एकाधिकार नहीं है, यह बात इन्ग्रिड ने उस समय की, जब महिला स्वतंत्रता कोई आंदोलन नहीं था। इन्ग्रिड का बॉक्स फिस जादू इसी पर आधारित था कि उसके सौम्य शरीर के भीतर काम-इच्छा के जलप्रपात के छींटे सीधे दर्शक के चेहरे पर पड़ते थे।
सिनेमा का यह सच यथार्थ जीवन के कड़वे पक्ष पर प्रकाश डालता है। अनेक मध्यमवर्गीय महिलाओं के भीतर के इस जलप्रपात के छींटे अपनी कमतरी का कवच पहने पुरुषों पर नहीं पड़ते या वे अनदेखा करते हैं।