उदारता / शोभना 'श्याम'

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"ड्राइवर!"

"जी सर जी!"

"वो तुम...अपनी बेटी की शादी के लिए कुछ रुपये मांग रहे थे उनका इंतेजाम हुआ?"

"कहाँ सर जी? इतने सालों से आप के यहाँ काम कर रहे है, आप ही ने कह दिया कि आपके पास नहीं हैं तो और कौन देगा?"

"हम्म म ... अच्छा इस बेटी के अलावा और कितने बच्चे हैं तुम्हारे?"

"दो बेटे और है सरजी स्कूल में पढ़ रहे है।"

"अच्छा तुमने उनके और अपनी पत्नी के बैंक में अकॉउंट तो खुलवा रखे है?"

"पत्नी का तो है सर जी, बेटों का नहीं।"

"अरे आजकल तो ये ज़रूरी है...।आगे जाकर उन्हें अपना कॅरिअर बनाने के लिए पैसे की ज़रुरत पढ़ेगी अभी से जोड़ोगे ...तभी तो ..."

"ऐसा करो मैं मैनेजर को भेज रहा हूँ उसके साथ जाकर दोनों बेटों के अकाउंट खुलवा लो आज ही"

"थैंक यू सर जी, मैं...आपका अहसान ..."

" अरे, अरे, अहसान कैसा? तुम इतने समय से हमारी सेवा कर रहे हो, हमारा भी तो फ़र्ज़ बनता है।

और ...देखो अगले कुछ दिनों मैं तुम्हें दस लाख रुपये दूंगा तुम चारो अकाउंट में बराबर-बराबर डाल देना। बेटी की शादी के लिए तुमने एक लाख मांगे थे अब आराम से अपनी बेटी की शादी करो और बाद में हमें बस आठ लाख वापस करना बाकि ...तुम्हारे बेटो के भविष्य के काम आएगा। ठीक है न । "