उद्गम रीवा से बही कृष्णा ‘नदी’ / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 01 जनवरी 2021
इस वर्ष के आखिरी दिन कोरोना से बचते-बचाते दैनिक भास्कर के लिए काम करने वालों को नववर्ष की बधाई। लिखते समय मुझे आभास होता है मानो पाठक मुझ पर निगाह रखे बैठा है कि सदैव जागरुक रहते हुए अपना काम करें।
आज कृष्णा राज कपूर 91 वर्ष की होतीं। अगर हम फिल्म उद्योग के 10 व्यक्तियों से राज कपूर के बारे में बात करें तो संभव है कुछ लोग उनकी बुराई करें परंतु कृष्णा कपूर को सभी आदर करते हैं। उन्होंने अपने जीवन में मीडिया को कोई साक्षात्कार नहीं दिया। लाइमलाइट से बचती रहीं। उनके ससुर, पति, भाई और पुत्र और पोते, पोतियां सभी कलाकार रहे हैं। उन्होंने कभी किसी की ख्याति पर धूप सेंकने का प्रयास नहीं किया। सीरियल और कैलेंडर में देवी-देवता पात्रों का एक आभामंडल दिखाया जाता है। संभव है कि कृष्णा जी के गिर्द भी आभामंडल था जो हम देख नहीं पाए। कृष्णा जी की मृत्यु के 13 दिन बाद शांति पाठ हुआ और पूजा के पश्चात सभी मेहमानों को भोजन कराया गया। वापसी के समय मेरे ड्राइवर अख्तर ने कहा कि आज पहली बार ड्राइवरों को भोजन नहीं कराया गया। कृष्णा जी हर दावत में मेहमानों के पहले मेहमानों के ड्राइवर और सेवकों को अपनी निगरानी में भोजन कराती थीं। ऐसा आभास होता है कि उनके पास उनके ससुर द्वारा दिया गया अक्षय पात्र था, जिसमें भोजन हमेशा उपलब्ध होता था। स्मरण रहे कि महाभारत में श्री कृष्ण ने द्रौपदी को अक्षय पात्र दिया था। कुछ संस्करणों में सूर्य द्वारा अक्षय-पात्र दिया गया ऐसा विवरण मिलता है।
कृष्णा कपूर का जन्म मध्यप्रदेश के रीवा में हुआ। खाकसार ने अपनी रीवा यात्रा में यह अनुरोध किया कि ‘कृष्णा राज कपूर’ स्मृति भवन बनाया जाए। तत्कालीन सरकार ने रीवा में भूखंड आवंटित किया भूमि पूजा के लिए रणधीर कपूर रीवा गए थे। आशा है कि भवन निर्माण हो चुका होगा। श्रीमती कृष्णा अपने प्रियजनों को जन्मदिन या किसी तीज त्यौहार पर भेंट अवश्य देती थीं। उन्होंने लगभग तीन दशक तक किसी न किसी के हाथ शिरडी के मंदिर में कुछ रुपए अवश्य भिजवाए। खाकसार की विवाह की वर्षगांठ पर उन्होंने हमेशा भेंट भेजी है।
ज्ञातव्य है कि राज कपूर और नरगिस का अलगाव 1956 में हो चुका था। अलगाव के बाद राज कपूर ने एक मित्र द्वारा नरगिस को संदेश दिया कि ‘जागते रहो’ के अंतिम सीन में नरगिस पर एक गाना फिल्माना है। मंदिर में लगे पौधों को जल देती नरगिस के सामने नायक हाथ फैलाए खड़ा है। उसकी पूरी रात दो घूंट पानी के लिए तरसती हुए बीती है। यह बात सिर्फ भावों द्वारा अभिव्यक्त की गई। नरगिस उसे पानी देती है। वह अंजुरी से जल पीता है। ग़ौरतलब है कि गुरु दत्त की फिल्म ‘प्यासा’ का साहिर रचित अंतिम गीत है, ‘आज सजन मोहे अंग लगा लो हृदय की पीड़ा तन की अग्नि सब शीतल हो जाए।’
ऋषि कपूर ने अपने माता-पिता की आज्ञा लेकर सुनील दत्त और नरगिस को अपने विवाह के स्वागत समारोह में निमंत्रित किया। सुनील दत्त नरगिस और संजय दत्त आए। राज कपूर हाथ जोड़े ठगे से खड़े रहे। कृष्णा जी ने गर्मजोशी से स्वागत किया। कृष्णा कपूर और नरगिस सहज भाव से बात करते रहे। नरगिस ने कहा कि आज माता होने के पश्चात वे समझ सकती हैं कि उन्होंने कृष्णा जी को कितना आहत किया। कृष्णा कपूर ने नरगिस से कहा कि मिथ्या अपराध बोध से ग्रसित न रहें। राज कपूर इतने योग्य सुंदर व प्रेमिल हृदय हैं कि नरगिस नहीं होती तो कोई और होता। राज कपूर के जीवन और सृजन में कृष्णा, नदी की तरह बहती रहीं। इस नदी पर एक घाट नरगिस और दूसरा वैजयंती माला कहा जा सकता है। नदी हमेशा बहती है और घाट अपनी जगह स्थिर खड़े रहते हैं।