उम्रदराज योद्धा और परिवार की महाभारत / जयप्रकाश चौकसे

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उम्रदराज योद्धा और परिवार की महाभारत
प्रकाशन तिथि : 06 अक्टूबर 2018


'वो तेरा नाम’ फिल्म के निर्माता विजयपत सिंघानिया जीवन के 80वें वर्ष में अपनी आत्मकथा लिख रहे हैं, जिसे पेंगुइन प्रकाशन जारी करने जा रहा है। उनके सुपुत्र गौतम सिंघानिया ने अदालत में प्रार्थना पत्र दाखिल किया था कि इस पुस्तक के लेखक और प्रकाशन को रोका जाए, क्योंकि इससे सिंघानिया परिवार की ख्याति में दाग लग सकता है। अदालत ने इस प्रार्थना पत्र को अस्वीकार कर दिया है और पुस्तक प्रकाशन का मार्ग प्रशस्त कर दिया है। ज्ञातव्य है कि फिल्मकार किशोर साहू की आत्मकथा प्रकाशित हो चुकी है। मीना कुमारी की कथा उनकी डायरियों से माध्यम से अभिव्यक्त हो चुकी है। कलाकार दुर्गा खोटे ने मराठी भाषा में अपनी जीवन कथा लिखी और उसका अनुवाद प्रकाशित हो चुका है। हंसा वाडकर की जीवन कथा भी प्रकाशित हुई थी। नरगिस की मां जद्दन बाई की जीवन कथा प्रकाशित हो चुकी है। क्रिकेट खिलाड़ी सुनील गावसकर और सचिन तेंडुलकर की जीवन कथाएं भी प्रकाशित हो चुकी हैं। हरिवंश राय बच्चन की आत्मकथा चार किताबों में उजागर हुई है। विमल राय के जीवन पर उनकी सुपुत्री रिंकी भट्टाचार्य ने विविध लेखों वाली एक किताब संपादित की और गुरुदत्त पर भी अबरार अल्वी लिख चुके हैं। राज कपूर की जीवन कथा उनकी बेटी रितु नंदा ने प्रकाशित की है। कुछ वर्ष पूर्व ऋषि कपूर की आत्मकथा 'खुल्लम खुल्ला’ अंग्रेजी व हिंदी भाषा में प्रकाशित हो चुकी है। गुरुदत्त की फिल्म 'कागज के फूल’ और राज कपूर की 'मेरा नाम जोकर’ आत्मकथात्मक फिल्में थीं। गोयाकि उन्हें आधी हकीकत और आधा फसाना बयां किया गया था। महात्मा गांधी, विन्स्टन चर्चिल और जवाहरलाल नेहरू की आत्मकथाएं देसी विदेशी विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में शामिल हैं। इन महान नेताओं की आत्मकथाओं में उनके कालखंड की राजनीतिक और सामाजिक परिस्थितियों का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया गया है। गौरतलब है कि आम आदमी की जीवन कथा प्रकाशित नहीं हुई। उनके जीवन का दर्द उन लंबी कतारों में अभिव्यक्त हुआ है, जो कभी राशन की दुकानों के सामने लगी और कभी अपने कमाए हुए रुपयों को बदलने के लिए बैंकों के सामने लगी थी, जिनमें कुछ उम्रदराज लोग मर गए थे। बादल सरकार के नाटक 'बाकी इतिहास’ में आम आदमी की आत्मकथा केंद्रीय विचार कर रहा है।

विजयपत सिंघानिया ने हॉट एअर गुब्बारों में बैठकर 80 हजार फीट की ऊंचाई तक पहुंचकर विश्व कीर्तिमान बनाया था। इस यात्रा का प्रारंभ ब्रेबोर्न स्टेडियम से हुआ और धरती पर वे उतरे साईं बाबा के मंदिर से थोड़ी-सी दूर एक खुले मैदान में जिसका निर्णय उन्होंने यात्रा प्रारंभ करने के बहुत पहले ही तय कर लिया था। एकल व्यक्ति हवाई जहाज को लंदन से उड़ाकर वे भारत लाए थे तथा इसके पूर्व भी हवाई जहाज उड़ाने के दो कीर्तिमान वे रच चुके थे। उन्होंने अपने जीवन में कई यात्राएं की हैं और सभी चुनौतीपूर्ण रही हैं। रेमंड कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर और चेयरमैन बनते ही उन्होंने अपने कुशल प्रबंधन से अपने पारिवारिक व्यवसाय को शिखर पर पहुंचा दिया था। मुंबई के थाना क्षेत्र में उन्होंने एक शिक्षा संस्थान की स्थापना की, जहां के छात्र कीर्तिमान बना रहे हैं। इसी क्षेत्र में उनके द्वारा स्थापित अस्पताल को हुड़दंगियों ने जलाकर नष्ट कर दिया था। रेमंड कंपनी द्वारा बनाए गए कपड़े लंबे समय तक टिकते हैं और उसका रंग भी नहीं उड़ता। इस कंपनी के बनाए गए ऊनी कम्बल पश्चिम के कई देशों में बहुत भरोसेमंद माने जाते हैं। विजयपत सिंघानिया ने दुग्ध उत्पादन भी वैज्ञानिक ढंग से किया है।

फिल्म उद्योग के अनेक लोगों से उनकी मित्रता रही है, जिनमें अमिताभ बच्चन और रेखा जैसी हस्तियां भी शामिल रही हैं। एक दौर में उन्होंने अनेक फिल्मों के निर्माण की योजना बनाई थी परंतु परिवार के सदस्यों द्वारा विरोध किए जाने के कारण उन्हें भारी मन से यह योजना त्यागनी पड़ी। विजयपत सिंघानिया के एक पूर्वज ने ऐतिहासिक महत्व की वस्तुओं का संग्रह किया है, जिनमें कुछ दुर्लभ पेंटिंग्स भी शामिल हैं। मुंबई के वार्डन रोड पर उन्होंने एक 22 माला भवन का निर्माण किया, जिसके दो मालों में पूर्वजों द्वारा खरीदी वस्तुओं का संग्रहालय भी है। उनके ज्येष्ठ पुत्र को उसका हिस्सा दिया गया और वह विदेश में बस गया है। उसकी सुपुत्री अनन्या की तस्वीर वे अपने हवाई जहाज में लगाते थे और अपनी हवाई यात्राओं पर लिखी उनकी किताब का नाम है 'एन एंजिल इन कॉकपिट'। विजयपत सिंघानिया अपने कपड़ा उत्पादन व्यवसाय के विशेषज्ञ हैं और कठोर निर्णय लेने में कभी हिचके नहीं परंतु इसके साथ ही वे अत्यंत भावुक व्यक्ति भी हैं। अरसे पहले एक मराठी भाषी कन्या के प्रति उनके मन में मोह जागा परंतु कन्या ने उनके निवेदन को अस्वीकृत कर किया। कुछ समय बाद उन्हें ज्ञात हुआ कि उस कन्या को कैंसर हुआ है। उन्होंने उसके इलाज का सारा व्यय स्वयं किया और यह कार्य दूर रहकर अपने एक मित्र के द्वारा किया ताकि कन्या के मन में कोई गिला या अपराध बोध नहीं आए। वे अपनी राय से विरोध रखने वाले व्यक्ति को अपना शत्रु नहीं मानते और संकट के समय यथासंभव सहायता हमेशा करते रहे हैं। उन्हें भोजन पकाने का बड़ा शौक है और रबड़ी बनाने में उन्हें महारत हासिल है। एक बार मुंबई में चंद घंटों में ही 30 इंच वर्षा हुई थी। अपने जूहू तारा रोड स्थित बंगले में उन्होंने बाढ़ में फंसे लोगों को आमंत्रित किया और उनके भोजन तथा रहने की पूरी व्यवस्था की। वे एक कवि हृदय उद्योगपति हैं और अंग्रेजी भाषा साधिकार लिखते हैं। कुछ वर्षों से इतना संपन्न व्यक्ति किराए की किसी छोटी जगह पर रह रहा है। विपरीत परिस्थितियों में वे अपना सर्वश्रेष्ठ अभिव्यक्त करते हैं। उन्हें तोड़ा जा सकता है परंतु झुकाया नहीं जा सकता। सिंघानिया परिवार में महाभारत जारी है। विजयपथ सिंघानिया का साहस हम धर्मवीर भारती की एक कविता से समझ सकते हैं- 'हम सब के माथे पर दाग, हम सबकी आत्मा में झूठ हम सब सैनिक अपराजेय हम सब की हाथों में टूटी तलवारों की मूठ'