उम्र भर दोस्त लेकिन साथ चलते हैं / ममता व्यास

Gadya Kosh से
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मेरे एक मित्र हैं, जो कई दिनों से बहुत दुखी और परेशान हैं और लगभग अवसाद से ग्रस्त हैं। पिछले दिनों उनके इक मित्र की मृत्यु अचानक से हो गयी। दोनों गहरे मित्र थे। मेरे मित्र चार महीनों बाद भी उस दुःख से उबर नहीं पा रहे। जैसे उनकी दुनिया ही खतम हो गयी। मैंने उन्हें समझाया की, किसी एक के चले जाने से क्या दुनिया खतम होती है? उनका जवाब था... मित्र तो बहुत-से है मेरे लेकिन इक सच्चा मित्र मैंने खो दिया। इसकी भरपाई कौन करेगा?

बात सोचने वाली थी। इक खुशहाल परिवार, बहुत से मित्र, रिश्तेदारों के होने के वावजूद क्यों हम सारी उम्र इक सच्चा मित्र खोजते रहते हैं। बचपन से शुरू हुई ये खोज अंतिम समय तक क्यों चलती है? महिला हो या पुरुष, सभी को इक सच्चे मित्र की या साथी की जरुरत होती ही है। क्यों होती है हमें मित्रों की जरुरत? क्या है मित्रता का मनोविज्ञान?

क्या खोजते है हम मित्र के भीतर?

हम उसे ही हमारा मित्र समझते हैं जो हमें समझता हो; जिससे मिलकर बाते करके हमें हमारे होने का अहसास हो। जैसे आपके सामने आइना हो। आप क्या हैं वो आपको बताएगा। आपकी कमियों और खूबियों को इक सच्चे मित्र से बेहतर कौन जान सकता है। हम जिसके सामने खुद को उजागर कर सके। अपने, ख़ुशी और गम साझा कर सके। पूरी दुनिया में कोई तो इक ऐसा रिश्ता हो जो निस्वार्थ भाव से आपसे जुड़ा हो। जब संसार भर की मुसीबत आप पर टूट पड़े और सभी बारी -बारी से आपको छोड़ कर चले जाएँ; लेकिन उस समय भी अगर कोई एक भी मित्र आप के पास टिका रहता है। तो आप खुशकिस्मत हैं। आपके बैंक अकाउंट मे रकम हो ना हो, दोस्ती के अकाउंट में सच्चे मित्र बचा सकते है तो बचा लेना चाहिए।

कैसे संभाला जाए इस दोस्ती की दौलत को? मनोविज्ञान की नजर से…

मित्रता अंतर्वैयक्तिक संबंधों का एक विशिष्ट रूप है। इस मित्रता के स्थायी वैयक्तिक चयनात्मक सम्बन्ध (परमानेंट सेलेक्टिव इंडिविजुअल रिलेशनशिप ) तथा अन्योन्यक्रिया महत्व रखती है। जब दो लोग आपस में मित्र बनते हैं तो उनके बीच परस्पर लगाव (अटैचमेंट) होना लाजमी है। इसके अलावा मित्र वही होता है जिससे बात करके आप संतुष्टि अनुभव करें। सम्प्रेषण की प्रक्रिया के तहत दो लोग आपस में अपनी भावनाएं, पसंद, नापसंद, अपने विचार, अपनी योजनाएँ या अपने इरादे व्यक्त करते हैं। साथ ही अपेक्षा रखते हैं की दूसरा भी अपनी बात, उसी पारदर्शिता के साथ रखे।

दरअसल मित्रता के विकास के लिए कुछ अलिखित नियम होते हैं। जिनका पालन करना आवश्यक है, और जो लोग वाकई इस मतलबी, झूठी, फरेबी दुनिया में कोई सच्चा मित्र खोजना चाहता है तो उसे इन नियमों को गौर से समझना चाहिए।

पहला नियम तो ये की दो मित्रों के बीच परस्पर समझ हो। एकदूसरे को शिद्दत के साथ समझे। गहराई के साथ महसूस करे। उसके भाव, विचारों की कदर करे, सम्मान करे।

दूसरा नियम ये कि एक दूसरे के बीच स्पष्टवादिता तथा खुलेपन का होना जरुरी है। हम जो भी बात कहें स्पष्ट रूप से कहें। बातों को छिपा लेना, घुमा-फिरा कर कहना, या टालना, मित्रता की नींव को कमजोर करता है।

तीसरा नियम, अपने मित्र की सहायता के लिए हमेशा सक्रिय रहना, उसका सुख अपना हो या ना हो, लेकिन दुःख तो अपनाना ही होगा।

मित्रता का चौथा नियम ये की, दोनों ही लोग इकदूजे में रूचि लें। दिलचस्पी दिखाएँ।

अन्तिम और महत्वपूर्ण नियम की, दो लोगों के बीच ईमानदारी हो, पारदर्शिता हो, निस्वार्थभाव हो, ये सब सीमेंट का काम करते हैं।

वही इसके उलट, छल, धोखा, फरेब या झूठ मित्रता में दीमक का काम करते हैं।

यदि आप, संदेही है, पूर्वाग्रह से ग्रस्त है, नकारात्मक सोच रखते हैं। तो आपके मित्रों की संख्या कम ही होगी। आपका हंसमुख स्वभाव और सकारात्मक सोच, जहाँ आपके मित्रों की संख्या बढाती है वहीँ आपके संदेह, आपके पूर्वाग्रह, आपकी आजमाइश आपके मित्रों की संख्या कम कर देगी।

आपकी चालाकी और चतुराई आपको बहुत से लोगों में लोकप्रिय तो बना सकती है, लेकिन सच्ची मित्रता के मामले में आप कंगाल ही रहेगे। ये आप तय करे की आप सच्ची मित्रता का मोती पाना चाहते हैं या चतुराई का मुकुट पहनना चाहते है। वैसे भी सच्चे मित्रों के सर पर कोई ताज भले ही न हो, प्यार भरा हाथ जरुर हाथों में होता है। और ये हाथ, हमें दुनिया से लड़ने की ताकत देता है। किसी की सच्ची दुआएँ, सच्ची भावनाएं आपके लिए, किसी दवा से कम नहीं होती। जब सारी दुनिया आपकी दुश्मन हो, तब इक सच्चा रिश्ता आपको उर्जावान बनाता है। आप अपने चारों तरफ इक मजबूत घेरा महसूस करते है। ये घेरा या कवच सच्चाई का होता है। सच्ची दोस्ती का होता है। शौहरत, दौलत तो हम सभी इक न एक दिन कमा ही लेते है; लेकिन कितने रिश्ते हमने कमाए? कितने रिश्ते हमने बचाए... ये विचार किया जाना चाहिए। किसी ने क्या खूब कहा है... दौलत और जवानी, इक दिन खो जाती है, सच पूछो तो सारी दुनिया दुश्मन हो जाती है। उम्र भर दोस्त लेकिन साथ चलते हैं...