ऋषिकपूर: मिट्टी पकड़ पहलवान / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 25 नवम्बर 2013
कुछ समय पूर्व बीबीसी की हिन्दी वेबसाइट ने ऋषि कपूर, डिम्पल अभिनीत राज कपूर की 'बॉबी' के प्रदर्शन के चालीस वर्ष पूरे होने पर एक कार्यक्रम किया। बॉबी बनने से तीन वर्ष पूर्व 'मेरा नाम जोकर' में सोलह वर्षीय ऋषि ने नायक की किशोर अवस्था को अभिनीत किया था, जिसके लिए उसे अभिनय का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था। किशोर वय के लिए कोई श्रेणी नहीं होने पर बाल कलाकार श्रेणी में पुरस्कार दिया गया। ऋषि विगत 43 वर्षो से लगातार सक्रिय हैं और सन् 91 में शाहरुख खान की पहली प्रदर्शित 'दीवाना' में नायक थे और इसके बाद भी उन्होंने 'बोल राधा बोल' की तरह कई सफल फिल्मों में काम किया। जिन चार वर्षो में उन्होंने अभिनय नही किया, उन वर्षों में उन्होंने 'आ अब लौट चलें' निर्देशित की तथा विगत दशक में चरित्र अभिनेता के रूप में विविध भूमिकाओं में सफलता प्राप्त की। कुछ समय पूर्व हबीब फैजल की 'दो दूनी चार' में वे नायक थे। दरअसल आज केवल अमिताभ बच्चन और ऋषि कपूर ही दो सीनियर कलाकार हैं जिन्हें अपने मुंहमांगे दामों पर चरित्र भूमिकाएं मिल रही हैं। 'दो दूनी चार' के आदर्शवादी गणित शिक्षक ने 'अग्निपथ' के नए संस्करण में कसाई खलनायक की भूमिका की।
ऋषि कपूर एकमात्र सितारा है, जिसने राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन, जीतेन्द्र इत्यादि के दौर में सबसे अधिक सफल एकल फिल्म नायक फिल्में की हैं और नायिका प्रधान 'प्रेम रोग' तथा 'दामिनी' में भी अपनी छाप छोड़ी है। ऋषि अपनी लंबी यात्रा में कहां-कहां से गुजरा है और मिट्टी पकड़ पहलवान है जो गिर सकता है परन्तु पराजित नहीं होता। यह कितने आश्चर्य की बात है कि 43 वर्षों से लगातार सक्रिय कलाकार को केन्द्र सरकार ने कभी पद्म भूषण नहीं दिया और मात्र 20 वर्ष पहले आए सैफ अली खान को नवाजा गया हैं। ऋषि कपूर के बाद फिल्मों में आने वाले तथा उनसे कहीं कमतर कलाकारों को पुरस्कारों से नवाजा जा रहा है क्योंकि इस देश में कदाचित हर पुरस्कार के लिए सिफारिश चाहिए और ऋषि कपूर उस परिवार से हैं, जहां दो सदस्यों को दादा फाल्के पुरस्कार प्राप्त हुआ है। विगत चार पीढिय़ों में किसी कपूर ने न काम मांगा है और न ही नवाजे जाने का प्रयास किया हैं।
ऋषि ने सबसे अधिक नई नायिकाओं के साथ काम किया है। आज भी उनके पास चरित्र भूमिकाओं के बेशुमार प्रस्ताव हैं और जब उनका बेटा सितारा रणवीर कपूर एक समय में एक ही फिल्म करता है और किसी दिन दूसरी शिफ्ट नहीं करता तब उसके पिता वर्ष में आधा दर्जन फिल्में कर रहे हैं और एक दिन में दो शिफ्ट भी कर रहे हैं। उम्र के इस पड़ाव पर उन्हें इतने परिश्रम की आवश्यकता नहीं है अर्थात कोई आर्थिक मजबूरी नहीं है परन्तु अभिनय के अतिरिक्त किसी काम में उनकी रुचि नहीं है। सिनेमा उनकी ऊर्जा की गंगोत्री है। राज कपूर की 'श्री 420' के विश्वविख्यात प्रेम युगल गीत 'प्यार हुआ इकरार हुआ... दसों दिशाएं दोहराएंगी हमारी कहानियां' के एक शॉट में रेनकोट पहन कर तीन बच्चे जा रहे हैं यह रणधीर कपूर और नन्हें ऋषि कपूर का प्रथम शॉट था तथा तीसरा बच्चा रितु नंदा हैं तथा यह उनका एकमात्र शॉट हैं। इस तरह से देखें कि नन्ही उम्र से आज इकसठ वर्ष तक दर्शक ऋषि को देख रहा हैं। वे सारा समय केवल सिनेमा के बारे में ही सोचते हैं क्योंकि यही उसकी जीन्स है 'जीना यहां मरना यहां इसके सिवा जाना कहां'।