एंटी-वायरस / गुरदीप सिंह सोहल
पात्र
नरेश कुमार: ठेकेदार
खजाना बाबू: कैशियर
रामा देवी: स्टोर कीपर
मेनका: चपरासी
बलराम: पुलिसवाला
दृश्य: एक
नरेश कुमार: दफतर में आकर देखता है और दीवार घडी की तरफ देखकर बडबडाने लगाता है: "दोपहर होने को है और अभी तक दफतर में एक भी कर्मचारी नजर नहीं आ रहा है।"
मेनका: क्या हो गया नरेश जी आपको क्यो बडबडा रहे हो
नरेश: कुछ नहीं मेनका। मैं कह रहा था यहां के कर्मचारी कितने पाबन्द हैं। रोज लंच टाइम से पहले ही आ जाते है।
मेनका: लंच में घर नहीं जाते ना। इसलिए हम सब यहीं पर एक साथ लंच करते है।
नरेश: पता नहीं सरकार कब से बर्दास्त कर रही है अगर मेरे कर्मचारी होते तो दूसरे ही दिन घर भेज देता सबको।
मेनका: लो आ गई। वो देखों पैसंजर गाडी की तरह चली आ रही है।
रामा देवी: तुम दोनो में क्या बाते हो रही है मेनका
मेनका: कुछ खास नहीं मैडम। ये नरेश ठेकेदार कब से तुम्हारा वेट कर रहा है।
रामा देवी: क्यूं कर रहा था वेट।
मेनका: कह रहा था कि मैडम का वेट करना कितना मुश्किल है। इतनी वजनदार है कि मशीन के हाथ खडे हो जाए।
नरेश: कुछ नहीं रामा मैडम मैं कह रहा था कि आप समय की कितनी पाबन्द है आज आपकी चाल भीगी बिल्ली जैसी हो गई है बारिश में।
रामा देवी: सीधे सीधे क्यू नहीं बोलता कि तुझे यहां बैठे हुए वेट करना पडा है। देख नहीं रहा आज कितनी बारिश हो रही है। मेरा वेट तेरे वेट मतलब इंतजार से कितना बढ़ गया है।
नरेश: फिर तो मैड होकर बारिश में आपको गाना चाहिए टिप टिप बरसा पानी। पानी ने देर कराई। मेनका पंखा चला फटाफट और मैडम को लटका कर सुखा दे।
रामा देवी: मैं देर करती नहीं देर हो जाती है।
नरेश: मैडम मेरा कहने का मतलब यह था कि आप लंच टाइम से एक घण्टा पहले आ गई हैं। आज आपने कमाल कर दिया। दिन प्रतिदिन आपका वेट बढ़ता ही जा रहा है।
रामा देवी: तुझे पता है मेरे घर में कितना काम है।
नरेश: अगर आप के घर में काम है तो क्या मैं यूं ही बेकार में दफतर में आया हूं। जब कुछ काम होता है तो ही मैं आपके पास आता हूं और वेट कर कर के अपना वेट कम करता रहता हूं।
रामा देवी: बता आज क्या काम है। तेरा वेट क्यों कम हो रहा है।
नरेश: मैने आपके दफतर में कुछ सप्लाई दी थी उसका बिल लाया हूं।
रामा देवी: ला दिखा क्या है और किस चीज का बिल है।
नरेश: सप्लाई का एक बिल है तीन कापियों में जिसे उपर भेजना है।
रामा देवी: सप्लाई में क्या है
नरेश: साबुन, तेल, क्रीम, शैम्पू और इसी तरह के सामान है।
रामा देवी: तूने इतना सारा सामान दे दिया है और मुझे पता ही नहीं है।
नरेश: मैडम ये बिल देखकर आपको पता लग जायेगा कि मैने क्या क्या सप्लाई किया है। आप जल्दी से इसे उपर भेजने का काम कर दो।
रामा देवी: देखो भाई जान। इस बिल पर कुछ न कुछ वजन रखना पडेगा नही ंतो इसके उड जाने का खतरा हो जायेगा।
नरेश: मैं कुछ समझा नहीं। जरा साफ साफ कहो।
रामा देवी: जो सप्लाई तूने दी है उसका एक सैम्पल ला कर बिल पर रख देना फिर देखना तुम्हारा बिल उड़ कर कैसे उपर को चला जाता है।
नरेश: मैडम मैंने बिल की पतंग नहीं बनानी है। पास करवाना है। एक सैम्पल तो मैने परचेज कमेटी को दिया था आपको भी सैम्पल दूंगा तो मेरे पास क्या बचेगा।
रामा देवी: तेरे पास बिल की एक कॉपी बचेगी न देखते रहने के लिए। देख भाई जान। तूने साबुन दी, तेल दिया, क्रीम दी और भी न जाने क्या क्या
नरेश: आपके दफतर की मांग के अनुसार मैने दिया
रामा देवी: कमेटी ने सैम्पल का क्या किया
नरेश: कमेटी ने सैम्पल और सप्लाई का मिलान किया। बाद में सैम्पल सप्लाई में मिक्स हो गया।
रामा देवी: सप्लाई्र में मिल गए सैम्पल को वापस निकाल कर इधर ले कर आ जा। उससे पैक्टिकल करके देखेगे। सैम्पल और सप्लाई असली है या नहीं।
नरेश: वे कैसे
रामा देवी: कमेटी ने केवल मिलान किया और हम प्रैक्टिल करके देखेंगे।
नरेश: वो कैसे मैडम।
रामा देवी: जो साबुन तुमने सम्लाई किया उसको पहले बाथरूम में काम लेंगे। क्रीम लगा कर देखेंगे और तेल बालों में लगा कर देखेंगे कि उसमें कितने प्रतिशत चिकनाई है।
नरेश: इन सब का क्या मतलब है।
रामा देवी: इधर आ। मैं तुझे मतलब समझाती हूं।
नरेश: लो अब बताओं
रामा देवी: पहले हम बाथरूम में जाते है। फिर साबुन का उपयोग करते है। फिर शैम्पू का और बाद में तेल का।
नरेश: ये काम तो सारे लोग ही करते है।
रामा देवी: इसमें एक खास बात ये है कि जब हम बाल धोते है और साबुन से वो इतने ज्यादा रूखे हो जाते है कि कंघी नहीं होती। इतने स्पीड ब्रेकर होते है कि पूछो मत।
नरेश: बाद में हम तेल लगा लेते है तो कंघी 100 किमी की स्पीड से निकलती जाती है।
रामा देवी: हां यहीं जो मैं सुनना चाहती थी तूने अपने आप ही कह दिया सब कुछ
नरेश: मैंने तो आपका आधा काम पूरा किया।
रामा देवी: अभी तो काम का आगाज ही नहीं हुआ। पूरा कैसे हो गया
नरेश: आपने कहा साबुन और शैम्पू से बाल कठोर और रूखे सूखे हो जाते है।
रामा देवी: तूने कह दिया कि बालों में तेल लगाना जरूरी है। नहीं तो कंघी फंस जाती है।
नरेश: मैं तो कंघी का काम आसान करना चाहता था।
रामा देवी: कंघी का काम तो आसान हो गया लेकिन तेरे बिल का काम भी तो एैसे ही आसान करना होगा।
नरेश: रूखे बाल और कंघी का चक्कर। बिल के आवागमन का चक्कर।
रामा देवी: साबुन से हुए सूखे बाल, रूखे बालों में कंघी का फंस जाना और फिर बालों में आवले का तेल लगा लेना और फिर 100 की स्पीड से कंघी का निकल जाना।
नरेश: ये क्या मामला है मैडमजी।
रामा देवी: अंग्रेजी में कहते है कि टू ग्रीस द पाम। हिन्दी में कहते है हथेली गर्म करना और आम की भाषा में आम के आम गुठलियों के दाम।
नरेश: मतलब मुझे साफ साफ बताओं
रामा देवी: हथेली में कुछ चिकनाई लगाओं या बिल के गुबारे में हाइ्रडोजन भरो ताकि बिल जल्दी से उठ कर उपर जाने
लायक हो जाये। पास हो जाए।
नरेश: मैडम जी मैं वादा करता हूं कि मेरा बिल उपर भेज दो मै तुम्हे दीपावली पर बोनस का इ्रतजाम कर दूंगा।
रामा देवी: वादा पक्का या कच्चा।
नरेश: पक्का वादा। 100 प्रतिशत। इस दीपावली पर आपके घर में पटाखे नही ंबम फूटेंगे।
रामा देवी: क्या मतलब
नरेश: छोटे छोटे पटाखे तो आपने खूब बजाए होगे लेकिन इस बार आपके घर में बम बजेंगें। आपके घर का नजारा ही कुछ ओर होगा।
रामा देवी: मजाक छोडो अब तुम जाओ।
नरेश: ठीक है
रामा देवी: मैं तुम्हारे बिल में गैस भरने का प्रबन्ध कर देती हूं। घण्टी बजा कर आवाज लगाती है मेनका
मेनका: अभी आती हूं। अब बोलो क्या है
रामा देवी: ये बिल साहब की मेज पर छोड दे
मेनका: किसका बिल है ये
रामा देवी: नरेश ठेकेदार का है
मेनका: फिर तो कुछ न कुछ जरूर देगा इनाम
रामा देवी: मैने उसे कह दिया है अपने आप दे जायेगा।
मेनका: ठीक है मुझे दे दो साब की मेज पर रख देती हूं
रामा देवी: हां तो नरेश जी। हमारी मेनका का भी ध्यान रखना उसे भी कुछ न कुछ दे देना साहब से साइन करवाकर वो तुम्हारा बिल खजाना बाबू को दे आएगी।
नरेश: मेरा बिल भिजवाने का प्रबन्ध तो करों मैं कुछ न कुछ अवश्य ही करूगंा
मेनका: एक बात याद रखना नरेश जी अगर आप इस मेनका को भूल गये तो आपका बिल यहां से तो उड जायेगा लेकिन पहुंचेगा कौन से मण्डल में। ये फिर कोई भी नहीं जान पायेगा। हो सकता है वो अंतरिक्ष में चला जाए।
नरेश: मेनका जी एैसा काम मत करना प्लीज। मुझे आगे भी पेमैण्ट करना है।
मेनका: जिदगी में एक गाना याद रखना जो हम सब पर लागू होता है।
नरेश: कौन सा गाना है वो प्लीज मुझे भी बताओ न।
मेनका: जिंदगी के सफर में गुजर जाते है जो मुकाम वो फिर नहीं आते। आपका मूल बिल उड जाऐगा दूसरा मिलेगा नहीं।
नरेश: फिर तो तुझे भी देना पडेगा कुछ न कुछ।
रामा देवी: ठीक है तुम अब जाओ। तुम्हारा बिल चला जाऐगा। बडे दफतर में अगले हफते में खजानाबाबू से मिल लेना।
नरेश: चल उड जा रे पंछी।
दृश्य: दो
नरेश: खजाना बाबू के कमरे में घुसते हुए। नमस्कार सर।
खजाना बाबू: आओ आओं भई नरेश कुमार। कहो कैसे आना हुआ
नरेश: मेरा एक बिल आपके पास आया हुआ है सप्लाई का
खजाना बाबू: कब भिजवाया था कितने का है
नरेश: पिछले हफते में भिजवाया था। छोटा सा ही है कोई तीन लाख रूप्ये का।
खजाना बाबू: आज तो काम बहुत है एैसा करो एक दो दिन बाद में आ जाना फिर देखेंगंे
नरेश: सर एैसा है मुझे आगे पेमैण्ट करना है अगर आप देख लेते तो ठीक होता।
खजाना बाबू: पहली बात तो यह है कि समय नहीं है दूसरा साहब नहीं है तीसरा बजट नहीं है।
नरेश: बजट कब मिलेगा।
खजाना बाबू: जब उपर वाला चाहेगा।
नरेश: उपर वाला कब से चाहने लगा है।
खजाना बाबू: अरे भाई हैड क्वाटर वाला अधिकारी
नरेश: तो उसको फरियाद करो यार
खजाना बाबू: उसने आगे फरियाद कर रखी है
नरेश: वे कहां से लेगा
खजाना बाबू: ये तो वो उपरवाला ही जानता है
नरेश: सही सही और सीधी बात बताओ यार। ये उपरवाले कितने है मैंने तो केवल एक ही उपरवाला सुना था। वास्तव में कितना समय लग जायेगा
खजाना बाबू: ये तो भाई तुझ पर निर्भर करता है
नरेश: वो केसे
खजाना बाबू: तेरे सहयोग से ही तो उपरवाला खुश होगा और धन बरसायेगां
नरेश: मैं समझा नहीं
खजाना बाबू: आ तुझे समझाऊं। तू कुछ न कुछ मुझे देगा उसमें से मैं आगे कुछ न कुछ दूंगा।
नरेश: फिर
खजाना बाबू: फिर प्रसाद चढायेंगे तो भगवान खुश जाएगा। भगवान से जो मिलेगा उसे हम मिल बांट लेंगे
नरेश: इसका मतलब भगवान को भी रिश्वत देनी पडती है
खजाना बाबू: भगवान को नहीं पुजारी को। भगवान के नाम पर।
नरेश: भगवान तो केवल श्र्द्धा के भूखे होते है।
खजाना बाबू: पुजारी ही तो भगवान और भक्त के बीच का पुल होता है। भगवान जो वरदान देता है वो पुजारी को खुश करके ही प्राप्त होते है। टोल टैक्स पुजारी ही इकटठा करता है।
नरेश: आपके भगवान कहां और कौन से दफतर में रहते है मैं भी तो जानू।
खजाना बाबू: तूने आम खाने हैं या पेड गिनने है।
नरेश: आम देखकर ही तो स्वाद का पता चलता है।
खजाना बाबू: भईया सरकारी आम खाने में स्वाद होते है देखने में अच्छे नहीं लगते
नरेश: ठीक है यार अगर तू नहीं मानता तो तुझे भी दीपावली को बोनस देना ही पडेंगा।
खजाना बाबू: आज क्यूं नहीं
नरेश: न तेरे आम का पता न स्वाद का पता।
खजाना बाबू: मैं पता लगा दूंगा कि आम कब पकेंगे
नरेश: ठीक है तू आम का पता लगा मैं कुछ करता हूं।
दृश्य: तीन
नरेश: तू मेरा किस बात का मित्र है यार बलराम
बलराम: आज तुझे क्या हो गया यार नरेश
नरेश: मैं तो तंग आ गया यार इन कर्मचारियों से
बलराम: क्या हुआ
नरेश: ऑफिस इनका करप्ट, विण्डो इनकी करप्ट, कम्प्यूटर इनका करप्ट और यहां तक कि सारा सिस्टम ही करप्ट हो चुका है।
बलराम: क्या हो गया है तुझे। आजकल तुझे सारा सिस्टम ही करप्ट लगने लगा है। क्या बात है।
नरेश: मैंने इनके दफतर में कुछ दिन पहले कुछ सप्लाई दी थी। चपरासी से लेकर अफसर तक सारा सिस्टम करप्ट हो चुका है
बलराम: वो कैसे
नरेश: हर आदमी रिश्वत मांगता है। न दो तो बिल में हाइड्रोजन भरने की धमकी दे देता है।
बलराम: फिर तूने क्या किया
नरेश: कुछ नहीं यार मुझे तेरी मदद चाहिए एक पुलिस वाले की लेकिन
बलराम: लेकिन क्या
नरेश: अपने को एैसा काम करना है कि बिना लाठी तोडे सांप मर जाये।
बलराम: दफतरों में सब अनाकोण्डा हैं वाइपर नहीं है। ये सब तेरे जैसों को डस कर नहीं कस कर मारते है।
नरेश: बात तो तेरी सही है यार।
बलराम: विण्डो दुबारा लोड कर दे सबकी।
नरेश: खाली विण्डो लोड करने से काम नहीं चलेगा
बलराम: विण्डो के साथ एण्टी वायरस भी डाल देंगे
नरेश: छोटे मोटे एण्टी वायरस से तो काम चलेगा नहीं
बलराम: नहीं चलेगा तो पक्का काम कर देंगें
नरेश: एैसा काम करना कि बार बार अपडेट नहीं करना पडे
बलराम: मै ऐसा एण्टी वायरस डालूंगा कि ये सारे याद रखेंगे मुझे।
नरेश: देख यार तबादला या सस्पैंसन से तो कोई समस्या हल नहीं होती
बलराम: हमने बहुतों को रंगे हाथ भी पकडा है लेकिन आज तक किसी केस की तारीख ही नहीं पडी
नरेश: जब तक कोई तारीख पडती होगी तब तक तो कुछ रिटायर हो जाते है। कुछ मर खप जाते है।
बलराम: कई मामलों में ग्वाह भी भूल जाते है कुछ के ग्वाह मुकर जाते हैं और कुछ लोग गवाहों को भी भगवान के नाम पर खरीद लेते है।
नरेश: फिर सरकार को उनको बाइजत बरी करना पडता होगा
बलराम: अगर सरकार बरी नहीं भी करती तो पैंशन के बाद तारीखें भुगतते रहते है।
नरेश: तुझे पता ही है तारीख पे तारीख
बलराम: तरीख पे तारीख हंसता है।
नरेश: तू क्या करेगा इनका
बलराम: तू एक काम करना जिस दिन तुझे भुगतान मिलेगा उस दिन मुझंे तू फोन कर देना और मैं एण्टी वायरस लेकर आ जाउंगा।
दृश्य: चार
नरेश: हैलो भाई बलराम
बलराम: हां भाई नरेश
नरेश: आज भुगतान मिलने की संभावना है। दीपावली भी नजदीक है।
बलराम: दीपावली किस किस ने मनानी है
नरेश: पूरी दुनिया ही मनायेगी
बलराम: अरे यार वो कौन कौन हैं जिनकी विण्डो करप्ट है
नरेश: वैसे तो पूरा सिस्टम ही करप्ट है पूरे को सुधारने की जरूरत है
बलराम: तू आज केवल उनकी बात कर जिनकी विण्डो लोड कर एण्टी वायरस लोड करना है।
नरेश: पहला कम्प्यूटर रामादेवी का, दूसरा खजानाबाबू का और तीसरा मेनका का
बलराम: तू एैसा कर तीनो कम्प्यूटरों को एक स्थान पर इकटठा कर ओर मै एण्टी वायरस लेकर आ रहा हूं।
नरेश: हां भाई खजानाबाबू भुगतान कब तक मिलने की संभावना है।
खजाना बाबू: अभी तो मैंने चैक बनाया है फिर साहब के पास भेजेंगे
नरेश: साहब आयेंगे आज
खजाना बाबू: ये तो मुझे भी नहीं पता
नरेश: तू पक्का बता यार ताकि मैं कुछ इनाम देने लायक हो जाउ तुम सबको
खजाना बाबू: पहले तों तू कभी मांगे से भी नहीं देता था और आज अचानक मेहरबान कैसे हो रहा है।
नरेश: मेरा भी तो मतलब हल हो जायेगा न।
खजाना बाबू: तेरा क्या मतलब हल होगा
नरेश: भुगतान लेकर अगर मुझे खुशी मिलेगी तो क्यो न कुछ खुशी तुम सब में भी बांट दी जाए।
खजाना बाबू: ठीक है मैं फोन करके पता करता हूं साब से
नरेश: पक्का पता कर ताकि बम फटने का टाइम आ सके
खजाना बाबू: बम फटने का क्या मतलब
नरेश: अरे यार दीपाली आ रही है न
खजाना बाबू: दीपाली तो अभी दूर है आज ही बम की बात कैसे कर रहा है। मरवा मत देना यार
नरेश: मेरा मतलब है दीपाली पर हमेशा हम छोटे छोटे पटाखे फोडते है और अबकी बार बडे बम फूट सकते है।
खजाना बाबू: वे कैसे
नरेश: तूम मुझे खुश करोगे न
खजाना बाबू: साब आयेगे तो ही पता चलेगा। सारे ही खुश हो सकते है।
नरेश: अभी तो मैं जा रहा हूं। चैक तैयार होते ही मुझे बता देना
खजाना बाबू: ठीक है। तू शाम को आ जानां मिठाई लेकर
नरेश: साथ में पटाखे भी बम भी
दृश्य: पांच
- (शाम का समय, दीपावली का त्योहार नजदीक है। सभी कर्मचारी छुटिटया मनाने की तैयारी में। दफतर में चहल पहल)
खजाना बाबू: अपने कमरे में बैठा हैं। बडबडाता है। पता नहीं ये नरेश आयेगा भी कि नहीं मैंने बोनस के लालच में चैक तैयार करवा तो लिया है। आज आ जाये तो बढिया है दीपाली ढंग से मनाई जा सकेगी। नहीं तो मन में ही रह जायेगी। नरेश का इंतजार तो करना ही पड़ेगा।
नरेश: (कमरे में दाखिल होते हुए) चैक तैयार है भई खजाना बाबू
खजाना बाबू: हां भई नरेश। बडी मुश्किल से तैयार करवाया है
नरेश: क्यों भई क्या बात थी मुश्किल वाली
खजाना बाबू: साब को भी गांव जाना है तैयारी में लगे हुए थे। शाम की गाडी पकडनी है। बडी मुश्किल से समय मिला।
नरेश: समय खींच कर निकालना पडता है निकलता नहीं है।
खजाना बाबू: साब को भी तो दीपाली मनानी है।
नरेश: चिंता मत कर यार उनके घर में भी बम फूटेंगे
खजाना बाबू: तू आज सुबह से ही बम फोडे जा रही है। चक्कर क्या है।
नरेश: दीवाली पर बम नहीं फूटेंगे तो क्या पिचकारी छूटेगी।
खजाना बाबू: लगता है आज तू करेगा कुछ न कुछ
नरेश: कुछ नहीं आज एण्टी वायरस लोड कर ही देना है तुम्हारे क्म्पयूटरों में।
खजाना बाबू: अरे बाबा। एण्टी वायरस उधर डाल जाके
नरेश: चल छोड यार। तू एैसा कर मेनका और रामा देवी को भी बुलवा ले
खजाना बाबू: वो किस लिए
नरेश: सब को एक ही साथ निपटा देंगे
खजाना बाबू: तू खुद ही बुला ले इतनी देर मैं तेरा चैक निकाल लेता हूं।
नरेश: ठीक है मै उनको बुला लेता हूं
खजाना बाबू: जल्दी ला बुला के मैंने भी जल्दी ही जाना है। खरीद दारी करनी है।
नरेश: मेनका को आवाज देता है। अरे मेनका तू एैसा कर रामादेवी को साथ में लेकर इधर खजानाबाबू के कमरे में आ जा।
मेनका: रामा जी आपको खजाना बाबू के कमरे में बुलाया है। नरेश ठेकेदार ने साथ में मुझे भी।
रामा देवी: मैं अलमारी बंद कर दू फिर चलते है।
मेनका: मैं जाती हूं आप भी आ जाना
रामा देवी: नरेश भाई आप आज ही दीवाली मना रहा है।
नरेश: हां मैंने सोचा दीपाली से पहले ही धमाका कर दूं बाद में राम राम करेंगे
खजाना बाबू: रामादेवी जी आज सुबह से ही ये धमाके कर रहा है
नरेश: कोई छोटे छोटे धमाके करता है कोई एक ही। सबसे पहले आपको दीपाली की अग्रिम बधाई। उसके बाद में मेरा बिल मेरा पेमैण्ट
खजाना बाबू: पेमैण्ट भी मिल जायेगा यार क्यों चिंता करता है।
नरेश: एैसा करो पहले तुम सब मुंह मीठा करो मैं तुम्हारे लिए चाय बोलता हूं
खजाना बाबू: तू इधर बैठ यार चाय मेनका बोल देंगी
नरेश: नहीं यार आज तुम सब मेरे गैस्ट हो मैं तुम्हारा होस्ट
खजाना बाबू: जैसी तेरी मर्जी
नरेश: (जेब में से मोबाइल निकाल कर नम्बर डायल करता है) बलराम भईया पांच चाय भेज दे पांच मिनट से पहले। तेरा समय शुरू होता है अब।
रामा देवी: तू चाय मंगवा रहा है या गेम खेल रहा है।
नरेश: मैडम चाय के साथ साथ गेम भी हो जायेगा।
खजाना बाबू: अरे ये बलराम कौन आ गया चाय वाला। इसका नाम नहीं सुना आज तक
नरेश: इसने नई कैंण्टीन खोली है। कडक चाय पिलाता है। इसकी चाय एक बार पी ली तो उम्र भर याद रखोंगे।
खजाना बाबू: तू चाय पिलवा रहा है या कुछ इंजैक्शन लगा रहा है।
नरेश: आज तू एैसा ही समझ
बलराम: (ले भई नरेश तेरी चाय आ गई पांच कप)
खजाना बाबू: अरे ये कौन है चाय वाला
नरेश: यही है वो बलराम जो चाय पिलाने के साथ साथ कम्प्यूटर में से वायरस निकालता है यानि ए सी डी यानि भ्रष्टाचार निरोधक विभाग का बंदा।
बलराम: मैंने सुना है यहां पर कई कम्प्यूटर करप्ट हो चुके है। कईयों की विण्डो बिगड गई है।
खजाना बाबू: कम्प्यूटर इधर नहीं है दूसरे कमरे में है। भईया तू उधर जा।
नरेश: ये तुम्हारे तीनों के कम्प्यूटर ठीक करेगा
बलराम: पहला कम्प्यूटर है खजानाबाबू
खजाना बाबू: अबे क्या बोलता है तू। मेरे पास कोई कम्प्यूटर नहीं है।
बलराम: दूसरा कम्प्यूटर है रामादेवी का
रामा देवी: मुझे तो कम्प्यूटर आता ही नहीं है।
बलराम: कोई बात नहीं मैडम पहले ठीक तो कर दूं बाद में सिखा भी दूंगा
नरेश: और तीसरा कम्प्यूटर कौन सा है।
बलराम: वो है मेनका देवी का। जो पूरे दिन दफतर में से इधर उधर मेल भेजती रहती है। इसका कम्प्यूटर कुछ ज्यादा ही करप्ट है। ये मेल भेजती कम है और उडाती ज्यादा है।
नरेश: तीनों पे आज विण्डो लोड करनी है और पॉवरफुल एण्टी वायरस।
बलराम: सबसे पहले एक गिलास पानी मंगवा।
खजाना बाबू: हमने क्या किया है।
बलराम: अभी पता चल जायेगा तुमने क्या किया। मुझे खबर मिली थी कि तुम्हारे यहां के सारे कम्प्यूटर करप्ट हों चुके है। हर काम से सब के सब मुटठी गर्म करने के चक्कर में रहते हैं
मेनका: मेरी मुटठी तो कभी गर्म नहीं हुई। देखों कितनी ठण्डी है।
रामा देवी: मै तो मजाक कर रही थी।
नरेश: इनकी मुटठी में ग्रीस होती है। उस कहावत के अनुसार टू ग्रीस द पाम
बलराम: पानी मंगवा के हाथ धुलवाता हूं और अभी गिरफतार करता हूं इन सबको
नरेश: भईया अगर पानी पीने के लिए मंगवाना है तो मैं अभी लाकर देता हूं लेकिन हाथ धोने लायक अभी कुछ नही है।
बलराम: हाथ नहीं धुलवाने तो मुझे काहे को बुलाया तूने। मैं तेरा पिण्ड नहीं छोडूंगा
नरेश: मेरा पिण्ड तो हरिद्वार में ही छूटेगा।
बलराम: मैं तुझे केवल इनका रंग उडाने के लिए ही बुलाया है न कि नोटो का रंग उतारने के लिए
नरेश: रंग तब उतरेगा न जब मैं किसी को तुम्हारे दिए हुए नोट दूंगा
खजाना बाबू: हम सबकी मुटिठयां ठण्डी है चैक कर ले चाहे।
नरेश: मैं इन सबको सबक सिखाना चाहता था न कि गिरफतार करवाना। अपने तरीके से मैं इनके दिमाग में से
करप्शन निकालना चाहता था।
बलराम: हमारा तरीका है हाथ धुलते ही केस फाइल करो और तुरन्त सस्पैण्ड करो।
रामा देवी: हम सस्पैण्ड नहीं होना चाहते।
नरेश: सस्पैण्ड करना किसी समस्या का हल हैेे तो बता। इनकी उम्र बीत जायेगी घर बैठ कर। रिटायर हो जायेंगे लेकिन इनमें से किसी पे भी केस नहीं चलेगा दस साल से पहले। कोई रिटायर हो जायेगा कोई मर जायेगा। किसी का ग्वाह मर जायेगा कोई भूल जायेगा। इसका कोई हल नहीं निकलेगा।
बलराम: अब तो तुम सब बच गए लेकिन अगली बार नहीं बचोगे।
खजाना बाबू: चलो जान बची लाखो पाये
नरेश: लाखों मिल गए न तुम्हे।
रामा देवी: इज्जत बची तो करोडो पाये समझो
नरेश: खजाना बाबू तुम्हे लाखों मिले, रामादेवी को करोडों मिले। सबको कुछ न कुछ तो मिला
बलराम: मुझे धक्के मिले।
नरेश: ला भईया खजाना बाबू मेरा चैक दे दे अब तो।
मेनका: हमारा बोनस तो दे दो
नरेश: बलराम भईया बोनस देना मेनका को।
सब हंसते हैं।